logo-image

बिहार चुनाव: महागठबंधन में पड़ी गांठ, तेजस्वी यादव और जीतनराम मांझी भिड़े

महागठबंधन में यूं तो लालू की पार्टी राजद के साथ कांग्रेस, हम, रालोसपा और वीआईपी पार्टी है. मगर कुछ दिनों से गठबंधन में किसी की नहीं सुनने का आरोप राजद पर लग रहे हैं.

Updated on: 18 Mar 2020, 04:34 PM

पटना:

भले ही दुनिया भर में कोरोना का शोर हो, मगर बिहार (Bihar) का राजनीतिक गलियारा एक नये शोर से गूंज रहा है और वो है खुदगर्जी का शोर. जी हां, लालू प्रसाद यादव बनाम जीतन राम मांझी (Jitan Ram Manjhi) की जंग शुरू हो गई है. लालू यादव (Lalu Yadav) की तरफ से उनके बेटे तेजस्वी ने मोर्चा खोल दिया है और मांझी ने खुद कमान थामी है. बिहार में इस साल चुनाव होने हैं और ऐसे में राजनीतिक गठबंधनों के अंदर खींचतान शुरू हो गई है. महागठबंधन (Mahagathbandhan) के अंदर कई धड़े दिख रहे हैं. इस गठबंधन में यूं तो लालू प्रसाद यादव के राष्ट्रीय जनता दल के साथ कांग्रेस, जीतन राम मांझी की हम, उपेन्द्र कुशवाहा की रालोसपा और मुकेश सहनी की वीआईपी पार्टी है. मगर इधर कुछ दिनों से गठबंधन में किसी की नहीं सुनने का आरोप राजद पर लग रहा है.

यह भी पढ़ें: बिहार में महागठबंधन में भूचाल, सीएम नीतीश कुमार से मिले जीतनराम मांझी

मांझी, कुशवाहा और सहनी की तिकड़ी लगातार गठबंधन के अंदर कॉर्डिनेशन कमेटी की मांग उठा रही है और अब 30 मार्च की डेडलाइन भी दे दी है. ऐसे में राजद में नाराजगी है. राजद विधायक दल के नेता तेजस्वी यादव ने मांझी को याद दिलाया है कि कमेटी नहीं थी तो कैसे मांझी के पुत्र विधान परिषद पहुंचे, लोकसभा में तीन सीट और उपचुनाव में एक सीट दी गई थी. कमिटी के बिना ये सब कैसे हुआ. कुछ यूं तेजस्वी ने एहसान जताया और ये बात मांझी को नगवार गुजरी.

मांझी, कुश्वाहा और सहनी लगातार पटना से दिल्ली तक कभी आपस में तो कभी कांग्रेस के साथ बैठक कर रहे हैं. सियासी भूचाल तो उस समय खड़ा हुआ जब जीतन राम मांझी मंगलवार को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से मिलने पहुंच गए, जिसे औपचारिक मुलाकात बताया. या यूं समझें कि तेजस्वी के एहसान का जवाब मांझी ने नीतीश से मुलाकात करके दिया और राजद को आईना दिखा दिया. इतना ही नहीं, मांझी ने कहा कि हमारी जरूरत लालू जी को थी तो दस बार फोन करते थे, वही बोलते थे कि आपके बेटा को एमएलसी बनाएंगे. वे लोग खुदगर्ज हैं. कांग्रेस को भी धोखा दिया. मेरे सामने वादा हुआ था, मगर राजद ने राज्यसभा की एक सीट कांग्रेस को नहीं दी.

यह भी पढ़ें: बिहार के सभी 5 राज्यसभा उम्मीदवारों का आज निर्विरोध चुने जाने का होगा ऐलान

बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री मांझी ने कहा, 'हमने राजद की मदद की और मेरे कारण लालू जी की पार्टी उपचुनाव जीती. राजद से कांग्रेस भी नाराज है, क्योंकि लालू प्रसाद ने पार्टी के साथ वादाखिलफी की. लोकसभा के वक्त वादा करके भी राज्यसभा की सीट नहीं दी.' कुल मिलाकर नीतीश से मांझी की मुलाकात इस बात का इशारा कर रही है कि अगर जरूरत पड़ी तो राजद और भाजपा के बगैर भी गठबंधन संभव है. बहरहाल, महागठबंधन के अंदर स्थिति सामान्य नहीं. अब इंतजार 30 मार्च का होगा, जो डेड लाइन मांझी ने दी है, तब तक सियासी खिचड़ी तो पकती रहेगी.

यह वीडियो देखें: