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CM Nitish Kumar Photograph: (social)
Bihar Elections 2025: बिहार में विधानसभा चुनाव नजदीक हैं और ऐसे में विभिन्न राजनीतिक दलों के बीच आरोप-प्रत्यारोप का सिलसिला भी जारी है. इसी क्रम में अब मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की एक सोशल मीडिया पोस्ट चर्चा में आई है, जिसमें उन्होंने वर्ष 2005 से पहले के बिहार और उसके हालातों का जिक्र किया है. उन्होंने लिखा है कि वर्ष 2005 से पहले का बिहार अराजकता, अपराध और भ्रष्टाचार से जूझ रहा था. शाम ढलते ही लोग घरों से बाहर निकलने से डरते थे.
सीएम ने बताया कि कैसे अपहरण, लूट और रंगदारी का बोलबाला था. बहन-बेटियों की सुरक्षा पर संकट था और अपराधियों के डर से लोग नई गाड़ियां या मकान बनाने से कतराते थे. उद्योग-धंधे ठप थे और डॉक्टर-इंजीनियर जैसे पेशेवर राज्य छोड़कर जा रहे थे. सत्ता और अपराध का ऐसा गठजोड़ था कि कानून-व्यवस्था नाम की कोई चीज बची ही नहीं थी.
2005 से पहले का दौर आप सब को याद होगा, जब बिहार में अपराध और भ्रष्टाचार चरम पर था। हर तरफ अराजकता का माहौल था। लोगों का घरों से निकलना दूभर हो गया था। शाम 6 बजे के बाद लोग अपने घरों से बाहर नहीं निकल पाते थे। हमारी बहन-बेटियां सुरक्षित नहीं थीं। राज्य में अपहरण का धंधा उद्योग का…
— Nitish Kumar (@NitishKumar) October 26, 2025
2005 में आई नई सरकार और बदल गया सबकुछ
मुख्यमंत्री ने आगे कहा कि नवंबर 2005 में नई सरकार के गठन के बाद सबसे पहले कानून-व्यवस्था को सुधारने पर जोर दिया गया. अपराध और भ्रष्टाचार पर ‘जीरो टॉलरेंस’ की नीति अपनाई गई. परिणामस्वरूप राज्य में डर और भय का माहौल खत्म हुआ और शांति, प्रेम और भाईचारे का वातावरण स्थापित हुआ. उन्होंने आगे बताया कि 2005 में बिहार में पुलिस थानों की संख्या मात्र 817 थी, जिसे बढ़ाकर अब 1380 से अधिक कर दिया गया है.
थानों के लिए आधुनिक भवन बनाए गए, पुलिस को अत्याधुनिक हथियारों और वाहनों से लैस किया गया. सिपाही और अधिकारियों की बड़े पैमाने पर नियुक्तियां की गईं. वर्ष 2005 में राज्य में केवल 42,481 पुलिसकर्मी थे, जो अब बढ़कर 1.25 लाख से अधिक हो गए हैं. सरकार ने 2.29 लाख से अधिक पद सृजित कर भर्ती प्रक्रिया तेज कर दी है.
महिला सशक्तिकरण में बिहार अव्वल
नीतीश कुमार ने बताया कि वर्ष 2013 से पुलिस में महिलाओं को 35 प्रतिशत आरक्षण दिया गया, जिससे महिला सिपाहियों की संख्या में भारी वृद्धि हुई. महिलाओं की सुरक्षा और सम्मान के लिए ‘आदिवासी महिला स्वाभिमान बटालियन’ का गठन भी किया गया. आज बिहार पुलिस में महिलाओं की भागीदारी देश में सबसे अधिक है.
तकनीकी और संरचनात्मक सुधार
राज्य में 2008 में सिपाही भर्ती बोर्ड और 2017 में पुलिस अवर सेवा आयोग बनाया गया ताकि भर्ती प्रक्रिया तेज हो सके. अपराध जांच के लिए विधि विज्ञान प्रयोगशालाओं की स्थापना की गई और थानों में कानून-व्यवस्था और अनुसंधान शाखा को अलग किया गया.
न्याय के साथ विकास की दिशा में अग्रसर बिहार
2005 के बाद बिहार ने तरक्की की नई इबारत लिखी है. युवाओं को रोजगार मिल रहा है, महिलाएं सशक्त हो रही हैं और राज्य में उद्योग-धंधे फल-फूल रहे हैं. आज बिहार सुशासन, सुरक्षा और विकास का प्रतीक बन चुका है. 'बिहारी कहलाना अब अपमान नहीं, सम्मान की बात है.'
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