Jan Suraj Exit Polls: एग्जिट पोल में प्रशांत किशोर की जन सुराज पार्टी को क्या मिला? क्या था पीके का दावा

Jan Suraj Exit Polls: बिहार विधानसभा चुनाव के बाद जारी एग्जिट पोल के नतीजों ने राज्य के सियासी माहौल को गरमा दिया है. लगभग सभी सर्वेक्षण इस ओर इशारा कर रहे हैं कि एनडीए (नीतीश कुमार–भाजपा गठबंधन) एक बार फिर सत्ता में वापसी करने जा रहा है.

Jan Suraj Exit Polls: बिहार विधानसभा चुनाव के बाद जारी एग्जिट पोल के नतीजों ने राज्य के सियासी माहौल को गरमा दिया है. लगभग सभी सर्वेक्षण इस ओर इशारा कर रहे हैं कि एनडीए (नीतीश कुमार–भाजपा गठबंधन) एक बार फिर सत्ता में वापसी करने जा रहा है.

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Dheeraj Sharma
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Jan Suraj Exit Polls: बिहार विधानसभा चुनाव के बाद जारी एग्जिट पोल के नतीजों ने राज्य के सियासी माहौल को गरमा दिया है. लगभग सभी सर्वेक्षण इस ओर इशारा कर रहे हैं कि एनडीए (नीतीश कुमार–भाजपा गठबंधन) एक बार फिर सत्ता में वापसी करने जा रहा है. वहीं, महागठबंधन को उम्मीद के मुताबिक समर्थन नहीं मिला, जिससे उसके खेमे में निराशा का माहौल हो सकता है. हालांकि अभी नतीजे आना बाकी हैं. लेकिन इस चुनाव में सबकी नजरें प्रशांत किशोर की जन सुराज पार्टी पर भी टिकी हैं. क्योंकि इस बार उनकी पार्टी ने पहली बार किसी चुनाव में ताल ठोकी. आइए जानते हैं कि एग्जिट पोल के दौरान उनकी पार्टी को क्या मिला?

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जनसुराज पार्टी: सीमित सीटें लेकिन बड़ी चर्चा

इस चुनाव में सबसे दिलचस्प पहलू रहा प्रशांत किशोर की जनसुराज पार्टी (JSP) का प्रदर्शन. P-Marq के मुताबिक, JSP को 1 से 4 सीटें मिलने का अनुमान है. बाकी सर्वेक्षण जैसे दैनिक भास्कर, मेट्रिज और पीपुल्स इनसाइट ने JSP को 0 से 2 सीटों के बीच दिखा रहे हैं.

हालांकि यह संख्या कम है, लेकिन एक नए राजनीतिक दल के लिए यह प्रभावशाली शुरुआत मानी जा रही है. जनसुराज का असर सीमित क्षेत्रों में जरूर है, पर उसने यह साबित किया है कि बिहार की राजनीति में जनता अब तीसरे विकल्प की ओर भी देखने लगी है.

क्या था प्रशांत किशोर का दावा?

प्रशांत किशोर ने चुनाव से पहले दावा किया था कि उनकी पार्टी या तो 10 सीटें जीतेगी या फिर 150 से अधिक, यानी या तो सीमित असर दिखेगा या बड़ा राजनीतिक उलटफेर होगा. एक समय देश के सबसे चर्चित चुनावी रणनीतिकार रहे किशोर ने 2014 में भाजपा की ऐतिहासिक जीत में अहम भूमिका निभाई थी. बाद में उन्होंने टीएमसी, डीएमके और कांग्रेस जैसी पार्टियों के लिए भी चुनावी रणनीति बनाई.

2022 में उन्होंने जनसुराज आंदोलन की शुरुआत की, जो पहले एक सामाजिक मुहिम थी. इस अभियान के तहत उन्होंने बिहार के सैकड़ों गांवों में पदयात्रा और जन संवाद कार्यक्रम किए। धीरे-धीरे यह आंदोलन एक राजनीतिक दल में तब्दील हो गया.

बरहाल एग्जिट पोल के नतीजे बताते हैं कि भले ही जनसुराज को सत्ता में बड़ी हिस्सेदारी न मिले, पर उसकी मौजूदगी ने बिहार की राजनीति में तीसरे विकल्प की बहस को फिर जीवित कर दिया है. वहीं, एनडीए की संभावित जीत से संकेत मिलता है कि नीतीश कुमार और भाजपा की जोड़ी अब भी बिहार की जनता के भरोसे पर खरी उतर रही है.

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prashant kishor Bihar Election 2025
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