बिहार चुनाव से पहले राज्य में मतदाता सूची को लेकर बड़ा बदलाव होने वाला है. इसके विरोध में पूरा विपक्ष सड़क पर उतर आया है. एक ओर सत्तारूढ़ दल ने किसी तरह की प्रतिक्रिया नहीं दी है. वहीं विपक्ष में आरजेडी के नेता तेजस्वी यादव और जनस्वराज पार्टी के प्रशांत किशोर खुले तौर पर इसका विरोध करने में लगे हैं. दूसरी ओर निर्वाचन आयोग (ECI) ने इस प्रक्रिया से मतदाता सूची को शुद्ध करने का दावा किया है. वहीं विपक्ष इसे साजिश बता रहा है.
पहले चरण का काम पूरा
इस बीच आयोग के पहले चरण का काम पूरा हो चुका है. जारी आंकड़ों के तहत इस अभियान में अब तक 35.5 लाख से लेकर 65.2 लाख मतदाताओं के नाम सूची से हट सकते हैं. आंकड़ा 70 लाख तक पहुंच सकता है. ऐसे में सवाल यह है कि अगर वोटरों के नाम काटे जाते हैं तो हर विधानसभा सीट से औसतन कितने हजार वोटर कम हो जाएंगे?
इस पुनरीक्षण प्रक्रिया का असर बिहार की 243 विधानसभा सीटों पर होगा. इस प्रक्रिया से बिहार के राजनीतिक समीकरण में बड़ा बदलाव होगा. वोटरों के नाम कटने से कुछ पार्टियों को लाभ होगा तो वहीं कुछ पार्टियों को घाटा हो सकता है.
नाम हटाने से पहले नोटिस दिया जाएगा
आपको बता दें कि चुनाव आयोग ने 24 जून 2025 से SIR अभियान को शुरू किया था. इसके तहत बिहार की मतदाता सूची को साफ करने का अभियान आरंभ किया. इस प्रक्रिया में बूथ लेवल के अधिकारी (BLO) और 1.6 लाख बूथ लेवल एजेंट्स (BLA) ने घर-घर में जाकर 7.89 करोड़ मतदाताओं में से 98.01% को कवर किया. आंकड़ों के तहत अब तक 35.5 लाख से 65.2 लाख मतदाताओं के बीच नाम हटाने की प्रक्रिया अंतिम चरण में पहुंच चुकी है. चुनाव आयोग का कहना है कि नाम हटाने से पहले नोटिस दिया जाएगा. अगर समय पर जवाब नहीं मिलता है तो उनका नाम हटना तय है.
7.24 करोड़ मतदाता बचेंगे
चुनाव आयोग और कुछ मीडिया रिपोर्ट में सामने आया है कि पहले चरण की प्रक्रिया में करीब 42 लाख मतदाता अपने पंजीकृत पते नहीं मिले. 11,000 मतदाताओं का कुछ पता नहीं है. इस प्रक्रिया के तहत 1 अगस्त 2025 को ड्राफ्ट मतदाता सूची के प्रकाशन के साथ पहला चरण खत्म होगा. इसमें 7.24 करोड़ मतदाता बचेंगे.
एक आकलन के तहत बिहार की 243 विधानसभा सीटों में हर सीट से अगर 35.5 लाख मतदाताओं के नाम हटाए जाते हैं तो हर विधानसभा सीट से औसतन 14,609 मतदाताओं पर असर होगा. अगर ये आंकड़ा बढ़ता है तो हर सीट पर औसतन 28,807 मतदाताओं पर असर होगा. 2020 के विधानसभा चुनाव में कई सीटों पर जीत हार के अंतर (1,000-2,000 वोट) से कहीं ज्यादा है.