/newsnation/media/media_files/2025/11/14/tejaswi-yadav-2025-11-14-17-49-14.jpg)
tejaswi yadav Photograph: (social media)
Bihar Election Results 2025: बिहार विधानसभा चुनाव में आरजेडी (RJD) के नेता तेजस्वी यादव राघोपुर सीट से तो जीत गए मगर महागठबंधन का किला ध्वस्त होने से नहीं बचा पाए. सुबह से ही एनडीए लगातार अपनी बढ़त बनाए रहा. आकड़ों के अनुसार, एनडीए को 200 से अधिक सीटें मिल रही हैं. वहीं खबर लिखे जाने तक महागठबंधन 34 के आसपास सिमट गया है. तेजस्वी के लिए अपना गढ़ यानि राघवपुर बचाने की भी चुनौती थी. शुरुआती रुझानों में कई बार भाजपा के उम्मीदवार सतीश कुमार आगे रहे. दोनों बीच कांटे टक्कर देखने को मिली. मगर बाद के राउंड में तेजस्वी ने 14 हजार से अधिक वोटों से जीत दर्ज की.
चुनाव में मुंह की खानी पड़ी
महागठबंधन को इस बार चुनाव में मुंह की खानी पड़ी है. चुनाव के पहले से ही विपक्ष के सबसे बड़े नेता और सीएम पद के दावेदार तेजस्वी यादव लगातार बड़े वादे करते रहे थे. तेजस्वी ने हर परिवार को एक नौकरी देने का वायदा किया. महिलाओं के खाते में रुपये भेजने के साथ तमाम दावे किए. मगर इसके बाद भी हार का सामना करना पड़ा.
तेजस्वी किन कारणों से हुए फेल
तेजस्वी यादव की स्ट्रैटजी फेल होने को लेकर कई बातें सामने आ रही है. आइए समझते हैं पांच मुख्य मुद्दों के बारे में जो तेजस्वी के लिए हार कारण बने. ये इस प्रकार हैं.
1.कांग्रेस के साथ गठजोड़
तेजस्वी ने कांग्रेस को महागठबंधन में शामिल करके बड़ी गलती की. बिहार में कांग्रेस का आधार काफी कमजोर रहा है. कांग्रेस ने कई सीटों पर आरजेडी के परंपरागत वोटरों को काटा है. सीट शेयरिंग में कांग्रेस को सीटें देना भी RJD को काफी महंगा पड़ा. अधिकतर सीटों पर उसे हार का सामना करना पड़ा. कांग्रेस सिर्फ पांच सीटों पर सिमटती दिखाई दे रही है. ऐसे में महागठबंधन में उसका होना और न होना न के बराबर था.
2. सीटों के बंटवारे को लेकर राहुल गांधी के पीछ दौड़ते रहे
तेजस्वी ने सीट बंटवारे पर कांग्रेस को अधिक अहमियत दी. राहुल गांधी और प्रियंका गांधी की मंजूरी का इंतजार करते रहे. इस बीच जमीनी तैयारी को छोड़ दिया. कई अच्छी सीटें कांग्रेस के लिए छोड़ी गई. यहां से आरजेडी के उम्मीदवार को खड़ा किया जा सकता था. ऐसे में आरजेडी के अंदर असंतोष था.
3. मुकेश सहनी के सामने झुके
मुकेश सहनी की VIP पार्टी को 10 से अधिक सीटें दी गईं. डिप्टी सीएम का भी ऑफर दिया गया. ऐसे में तेजस्वी ने गैरजरूरी महत्व देकर कोर वोट बैंक (यादव-मुस्लिम) को नाराज कर दिया.
4. वास्तविक मुद्दे को छोड़ वोट चोरी जैसे मुद्दे उठाए
तेजस्वी ने रोजगार, शिक्षा, स्वास्थ्य जैसे कई मुद्दों को पीछे छोड़ा. 'वोट चोरी', 'ईवीएम हैकिंग' जैसे आरोपों को अधिक महत्व दिया. इससे जनता के सामने निगेटिव अप्रोच गई. एनडीए ने इसे प्रचारित करते हुए कहा कि आरजेडी ने हार को स्वीकार किया है.
5. महिलाओं का साथ न मिलने RJD का खेल बिगड़ा
इस चुनाव में महिलाओं ने रिकॉर्ड वोटिंग की. नीतीश कुमार की शराबबंदी, साइकिल योजना, महिला आरक्षण जैसी योजनाओं का सीधा असर देखा गया. इसका लाभ जदयू-बीजेपी को मिला. आरजेडी के वादे इसके सामने दब गए. ग्रामीण महिलाओं ने सुरक्षा और योजनाओं के नाम एनडीए पर ज्यादा विश्वास दिखाया.
/newsnation/media/agency_attachments/logo-webp.webp)
Follow Us