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बिहार चुनाव रिजल्ट 2025 Photograph: (NN)
बिहार की सियासत का सबसे बड़ा मुकाबला अब निर्णायक मोड़ पर पहुंच गया है. दो चरणों में हुए मतदान के बाद सुबह से विधानसभा चुनाव की मतगणना शुरू हो जाएगी. इस बार राज्य में आज़ादी के बाद का सबसे ज़्यादा मतदान हुआ लगभग 67 प्रतिशत वोटर्स ने अपने मताधिकार का इस्तेमाल किया, जो 2020 के चुनाव (57.3%) से काफी अधिक है.
दो चरणों में शांतिपूर्ण मतदान
चुनाव दो चरणों में, 6 और 11 नवंबर को हुए. 243 विधानसभा सीटों पर फैले इस मतदान में ज्यादातर इलाकों में वोटिंग शांतिपूर्ण रही, हालांकि कुछ जगहों से मामूली हिंसा और गड़बड़ी की खबरें आईं. चुनाव आयोग ने सुरक्षा के लिए 1.25 लाख से ज्यादा जवानों को तैनात किया था. औरंगाबाद, जमुई जैसे नक्सल प्रभावित इलाकों में विशेष सतर्कता बरती गई.
रिकॉर्ड मतदान और उत्साह
इतने बड़े पैमाने पर मतदान ने सियासी हलकों में कई सवाल खड़े कर दिए हैं. विश्लेषकों का कहना है कि यह रिकॉर्ड मतदान या तो वोटरों में बदलाव की चाह को दिखाता है या फिर सभी दलों की बेहतर चुनाव तैयारी और मतदाता जागरूकता का नतीजा है. युवाओं की भागीदारी इस बार खास तौर पर उल्लेखनीय रही है.
एनडीए बनाम महागठबंधन
मुख्य मुकाबला एनडीए और महागठबंधन के बीच है. एनडीए की कमान मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और बीजेपी के हाथ में है, जबकि विपक्ष की अगुवाई तेजस्वी यादव कर रहे हैं, जिन्हें कांग्रेस और वाम दलों का समर्थन मिला है. नीतीश कुमार के लिए यह चुनाव उनकी लंबी राजनीतिक पारी का अहम मोड़ माना जा रहा है. कभी सुशासन बाबू के नाम से मशहूर नीतीश को अब बेरोजगारी, पलायन और क़ानून-व्यवस्था जैसे मुद्दों पर कड़ी आलोचना झेलनी पड़ रही है.
वहीं बीजेपी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता और केंद्रीय योजनाओं के सहारे वोटरों तक पहुंचने की कोशिश की है. दूसरी ओर, तेजस्वी यादव ने रोजगार और युवाओं की उम्मीदों को चुनावी मुद्दा बनाया. उन्होंने सरकारी नौकरियों का वादा कर युवाओं में जोश भरा और महंगाई व भ्रष्टाचार के मुद्दे पर सरकार को घेरा.
एग्जिट पोल और संभावनाएं
दूसरे चरण के मतदान के बाद आए एग्जिट पोल्स ने कड़ा मुकाबला दिखाया है. कुछ सर्वे महागठबंधन को बढ़त दे रहे हैं, जबकि कई में एनडीए को बढ़त मिलती दिख रही है. हालांकि बिहार की जटिल जातीय समीकरण और क्षेत्रीय विविधता के कारण नतीजे किसी भी दिशा में जा सकते हैं.
सुरक्षा और माहौल
चुनाव आयोग ने 38 जिलों में काउंटिंग सेंटर बनाए हैं. सबसे पहले पोस्टल बैलेट गिने जाएंगे, फिर ईवीएम की गिनती शुरू होगी. राज्यभर में सुरक्षा कड़ी कर दी गई है. पटना, गया, मुज़फ़्फरपुर और भागलपुर जैसे शहरों में धारा 144 लागू है. पूरा बिहार अब नतीजों का बेसब्री से इंतज़ार कर रहा है. यह चुनाव तय करेगा कि क्या नीतीश कुमार एक बार फिर सत्ता में लौटेंगे या तेजस्वी यादव युवाओं की उम्मीदों को सियासी ताकत में बदल पाएंगे.
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