/newsnation/media/media_files/2025/10/31/dularchand-murder-case-2025-10-31-16-24-47.jpg)
Dularchand Murder Case: बिहार विधानसभा चुनाव में पहले चरण के मतदान का वक्त जैसे-जैसे नजदीक आ रहा है वैसे- वैसे सियासी गहमागहमी भी बढ़ती जा रही है. खास तौर पर मुकामा विधानसभा क्षेत्र में इन दिनों हलचलें तेज हैं. वजह है यहां जनसुराज समर्थक दुलारचंद की हत्या. जनसुराज पार्टी के समर्थक दुलारचंद की हत्या के बाद से ही यहां सियासी पारा हाई है. खास बात यह है कि मुकामा में हिंसा थमने का नाम नहीं ले रही है. एक बार फिर शुक्रवार को दुलारचंद की शव यात्रा के दौरान बवाल हो गया है. ये बवाल तब शुरू हुआ जब इस दौरान गोलीबारी शुरू हो गई. जानते हैं क्या है पूरा मामला.
ये है पूरा मामला
मोकामा (पटना-मूल) विधानसभा क्षेत्र में चुनावी प्रचार के दौरान गंभीर हिंसा भड़क उठी. इस दौरान दुलारचंद यादव, जो कि जन स्वराज पार्टी के समर्थक नेता थे, गोली मारकर और गाड़ी के द्वारा कुचलकर हत्या कर दिए गए. बताया गया है कि वे प्रचार कर रहे थे और काफिला चलते समय एक प्रतिद्वंद्वी काफिले से आमने-सामने आ गया था. वहां पहले पत्थरबाजी और उसके बाद फायरिंग भी हुई.
हिंसा के बाद मृतक का शव घर पर रखा रहा और शुक्रवार को बड़े जनसमूह के बीच अन्तिम यात्रा निकाली गई. इस दौरान इलाके में दुकानों-व्यापारियों ने बंद रखा, लोगों ने 'न्याय' की मांग में नारे लगाए और माहौल काफी तनावपूर्ण हो गया.
राजनीतिक हिंसा के मायने
यह हत्या विधानसभा चुनावों के मद्देनज़र प्रचार के बीच हुई है. दुलारचंद यादव को पहले लालू प्रसाद यादव के करीबी नेता माना जाता था. परिजनों और ग्रामीणों का आरोप है कि यह योजना बद्ध हत्या है, जिसमें अनंत सिंह के समर्थकों का हाथ है. इस बीच पुलिस ने कहा कि मामला “संदिग्ध परिस्थितियों” में दर्ज है और प्राथमिक जांच जारी है. इस तरह यह घटना सिर्फ एक अपराध नहीं बल्कि चुनावी टकराव एवं स्थानीय सत्ता संघर्ष का प्रदर्शन बन गई है.
शव यात्रा और माहौल
शुक्रवार को दुलारचंद की अंतिम यात्रा निकाली गई. हजारों लोग, समर्थक-ग्रामीण, शोक जताने एवं न्याय की मांग करने के लिए जुटे. घटना के बाद इलाके की दुकानें बंद रहीं, तनाव का माहौल था और पुलिस-सुरक्षा बलों को व्यापक तौर पर तैनात करना पड़ा. मृतक समर्थकों ने आरोप लगाया कि हत्या के बाद शव वाहन पर पत्थरबाजी और गोलीबारी भी हुई, जिससे अफरा-तफरी बढ़ गई. इस बीच कई गांवों में पुलिस कैंप लगा दी गई हैं और पूरे क्षेत्र को छावनी जैसा बताया जा रहा है.
आगे की चुनौतियां
इस तरह की चुनावी हिंसा लोकतंत्र के लिए गंभीर चुनौती है. मतदाता-शांति, प्रचार-स्वतंत्रता और कानून-व्यवस्था सभी प्रभावित हुए. स्थानीय प्रशासन-पुलिस के लिए संवेदनशील माहौल में स्थिति नियंत्रण में रखना और निष्पक्ष जांच सुनिश्चित करना जरूरी है.
परिवार और समुदाय मांग कर रहे हैं कि दोषियों को तुरंत-तुरंत गिरफ्तार कर न्याय दिलाया जाए यह न्याय की प्रक्रिया की सार्वजनिक स्वीकार्यता को भी प्रभावित करेगा. चुनाव-प्रचार के दौरान हथियारों, गुटबाजी एवं प्रतिद्वंद्वी संगठनों के बीच टकराव का पुनरावलोकन आवश्यक लग रहा है.
/newsnation/media/agency_attachments/logo-webp.webp)
 Follow Us
 Follow Us