12 इंजीनियर तो 5 एमबीबीएस, बिहार चुनाव में पढ़े-लिखे उम्मीदवारों का बोलबाला, देखें विजय सिन्हा और सम्राट चौधरी में कौन ज्यादा पढ़ा लिखा

Bihar Election 2025: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के पहले चरण में एक दिलचस्प और स्वागतयोग्य बदलाव देखने को मिल रहा है. इस बार जातीय समीकरण और जनाधार के साथ-साथ शैक्षणिक योग्यता को भी उम्मीदवार चयन में एक महत्वपूर्ण मानदंड माना गया है.

Bihar Election 2025: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के पहले चरण में एक दिलचस्प और स्वागतयोग्य बदलाव देखने को मिल रहा है. इस बार जातीय समीकरण और जनाधार के साथ-साथ शैक्षणिक योग्यता को भी उम्मीदवार चयन में एक महत्वपूर्ण मानदंड माना गया है.

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Dheeraj Sharma
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Bihar Election 2025: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के पहले चरण में एक दिलचस्प और स्वागतयोग्य बदलाव देखने को मिल रहा है. इस बार जातीय समीकरण और जनाधार के साथ-साथ शैक्षणिक योग्यता को भी उम्मीदवार चयन में एक महत्वपूर्ण मानदंड माना गया है. चुनाव आयोग को सौंपे गए नामांकन पत्रों से यह स्पष्ट हुआ है कि राज्य की राजनीति अब शिक्षा की ओर भी रुख कर रही है.

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62 फीसदी उम्मीदवार ग्रेजुएट या उससे अधिक डिग्रीधारी

NDA और महागठबंधन दोनों के लगभग 62 प्रतिशत उम्मीदवार स्नातक या उच्च डिग्रीधारी हैं. यह आंकड़ा बिहार की पारंपरिक राजनीति में एक बदलाव का संकेत है, जहां पहले जातीय समीकरण या जातिगत वोट बैंक प्रमुख भूमिका निभाते थे. 

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5 उम्मीदवार एमबीबीएस डिग्रीधारी हैं, जो पेशे से डॉक्टर रहे हैं.

1.डॉ. सुनील कुमार– बिहारशरीफ (BJP)
2.मुकेश रौशन– महुआ (RJD)
3. डॉ. संजीव कुमार – परबत्ता (RJD)
4. डॉ. करिश्मा– परसा (RJD)
5. सियाराम सिंह– बाढ़ (BJP)

इनके पास डी-लिट 

- सम्राट चौधरी– तारापुर (BJP)
- मुरारी मोहन झा– केवटी (BJP)
- रामानुज कुमार– सोनपुर (RJD)

इन आंकड़ों पर भी एक नजर

- 17 उम्मीदवार एलएलबी डिग्रीधारी हैं, जिनके पास कानून और शासन का गहरा अनुभव है. 

- PHD धारक 12 उम्मीदवार हैं, जो शिक्षा और अनुसंधान से जुड़े रहे हैं.

- 3 उम्मीदवारों के पास D.Litt (डॉक्टर ऑफ लिटरेचर) जैसी सर्वोच्च अकादमिक डिग्रियां हैं.

- 2 प्रत्याशी M.Phil डिग्रीधारी भी हैं.

- 3 प्रत्याशी एमबीए डिग्रीधारी हैं, जो प्रशासनिक दृष्टिकोण से राजनीति में नई सोच ला सकते हैं.

पोस्ट ग्रेजुएट उम्मीदवारों की संख्या भी प्रभावशाली

एनडीए और महागठबंधन मिलाकर 28 उम्मीदवार पोस्ट ग्रेजुएट हैं, जबकि 66 ग्रेजुएट और 47 इंटरमीडिएट स्तर तक पढ़े हुए हैं.

शिक्षा के बावजूद जनाधार का असर बरकरार

हालांकि पढ़े-लिखे चेहरों की संख्या बढ़ी है, लेकिन पुराने समीकरण अभी भी पूरी तरह खत्म नहीं हुए हैं. लगभग 8 फीसदी प्रत्याशी ऐसे हैं जो मैट्रिक पास भी नहीं हैं, लेकिन अपने क्षेत्र में इनका जनाधार काफी मजबूत है. इनमें से कुछ केवल साक्षर हैं, तो कुछ ने कक्षा 7 या 8 तक ही पढ़ाई की है.

बदलाव की ओर बिहार की राजनीति

बिहार चुनाव 2025 यह संकेत देता है कि राज्य की राजनीति अब सिर्फ जाति या पहचान की राजनीति तक सीमित नहीं रह गई, बल्कि शिक्षा, पेशेवर योग्यता और नीतिगत समझ भी धीरे-धीरे चुनावी मापदंड बन रही है. यह बदलाव न केवल राजनीतिक परिपक्वता का प्रतीक है, बल्कि आने वाले समय में बेहतर नीतिगत निर्णयों की उम्मीद भी जगाता है.

बता दें कि बिहार की राजनीति में यह शैक्षणिक बदलाव एक नई शुरुआत है. जहां राजनीति को पहले 'अशिक्षितों का खेल' माना जाता था, अब वहां से एक स्पष्ट संदेश निकल रहा है ‘पढ़ा-लिखा नेता, समझदार शासन’ की ओर बढ़ता बिहार.

(नोट- आंकड़े https://www.eci.gov.in के मुताबिक)

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