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शराबबंदी पर DGP के बयान से गरमाई सियासत, लालू यादव ने बोला नीतीश पर हमला

बता दें कि बिहार में नीतीश सरकार ने 2016 में पूर्ण शराबबंदी लागू की थी. मगर इस कानून की राज्य में जमकर धज्जियां उड़ाई जा रही हैं.

Updated on: 19 Feb 2020, 12:05 PM

पटना:

बिहार (Bihar) के पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) गुप्तेश्वर पांडेय के शराबबंदी को लेकर दिए गए बयान ने सियासी तूल पकड़ लिया है. राष्ट्रीय जनता दल (Rashtriya Janata Dal) के अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव ने डीजीपी के बयान के बहाने सूबे के मुखिया नीतीश कुमार (Nitish Kumar) पर निशाना साधा है. लालू प्रसाद (Lalu Prasad) ने ट्वीट कर कहा कि बिहार के मुख्यमंत्री (नीतीश कुमार) देश में शराबबंदी की बात करते हैं? नीतीश की कथित बंदी ने राजस्व पर चोट करते हुए बिहार में माफिया के लिए एक समानांतर अर्थव्यवस्था खड़ी कर दी है.

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दरअसल, बिहार के डीजीपी गुप्तेश्वर पांडेय का वीडियो वायरल हुआ है, जो औरंगाबाद जिले में आयोजित एक कार्यक्रम का बताया जा रहा है. इस वीडियो में डीजीपी पांडेय कह रहे हैं कि बिहार में थाना प्रभारी और चौकीदार चाहेंगे, तभी पूर्ण शराबबंदी लागू हो सकती है. इतना ही नहीं, डीजीपी कहते हैं कि थानों के सरंक्षण बिना कोई एक बोतल शराब नहीं बेच सकता है. पुलिस महानिदेशक ने आगे कहा, 'सभी चौकीदार और थानेदार को पता है कि बिहार में शराब कौन बेच रहा है और कौन पी रहा है. अगर किसी थानेदार को यह पता नहीं तो वह अपने पद पर रहने लायक नहीं है. बिना थाना की जानकारी के पत्ता भी नहीं हिल सकता, कोई माई का लाल एक बोतल दारू नहीं बेच सकता.'

हालांकि डीजीपी के इस बयान पर बिहार पुलिस एसोसिएशन ने एतराज जताते हुए कहा कि कुछ पुलिसकर्मी शराब की बिक्री में शामिल हैं. दोषी पुलिसकर्मियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने की जरूरत है. इसके साथ ही पुलिस एसोसिएशन के अध्यक्ष मृत्युंजय सिंह ने कहा कि सभी पुलिसकर्मियों पर सार्वजनिक रूप से सवाल नहीं उठाया जाना चाहिए. बता दें कि बिहार में नीतीश सरकार ने 2016 में पूर्ण शराबबंदी लागू की थी. मगर इस कानून की राज्य में जमकर धज्जियां उड़ाई जा रही हैं. शराब के कारण ही राज्य काफी चर्चा में है.

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अक्सर राज्य के किसी न किसी हिस्से से शराब बरामदगी की खबरें आती हैं. कभी पुलिस के मालखाने से चूहे शराब को पी जाते हैं. कभी पुलिस और सरकारी अधिकारी शराब के नशे में धुत पाए जाते हैं. ऐसे में राज्य के एक बार फिर से शराबबंदी कानून पर विपक्ष जनमत संग्रह कराना चाहता है. वो भी तब जब राज्य के अंदर इसी साल के आखिरी में विधानसभा के चुनाव होने वाले हैं. बहरहाल, देखने वाली बात यह है कि डीजीपी के बयान पर नीतीश सरकार किस तरह का एक्शन लेती है.