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बिहार के डीजीपी गुप्तेश्वर पांडेय हुए हाईटेक, 'नशामुक्त बिहार' बनाने के लिए बनाई वेबसाइट

अपने बयानों से चर्चा में रहने वाले बिहार के पुलिस महानिदेशक गुप्तेश्वर पांडेय ऐसे तो सोशल मीडिया पर पहले से ही सक्रिय हैं, लेकिन अब उन्होंने अपने नाम से वेबसाइट भी बनवा ली है.

Updated on: 05 Jun 2020, 03:37 PM

पटना:

अपने बयानों से चर्चा में रहने वाले बिहार के पुलिस महानिदेशक गुप्तेश्वर पांडेय (DGP Gupteshwar Pandey) ऐसे तो सोशल मीडिया पर पहले से ही सक्रिय हैं, लेकिन अब उन्होंने अपने नाम से वेबसाइट भी बनवा ली है. इस वेबसाइट के जरिए वे अधिक से अधिक युवाओं से जुड़ने की कोशिश में हैं. आईपीएस गुप्तेश्वर पांडेय डॉट कॉम के नाम से बने इस वेबसाइट में उनके बारे में पूरी जानकारी दी गई है तथा उनके कई कार्यक्रमों में भाग लेते हुए तस्वीर को सामने रखा गया है. इस वेबसाइट में 'ज्वाइन यूथ बिग्रेड' एक भाग बना हुआ है, जिसमें नाम पता, मोबाइल नंबर भर कर युवा उनके साथ जुड़ सकते हैं.

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इसके अलावे इस वेबसाइट में 'अल्कोहल फ्री सोसाइटी' का भी एक भाग बना हुआ है. वेबसाइट बनाने के उद्देश्य के संबंध में जब आईएएनएस ने डीजीपी से बात की, तब उन्होंने कहा कि बिहार को नशामुक्त बनाने के लिए युवाओं को इससे जोड़ना है. उन्होंने कहा कि वे प्रारंभ से ही युवाओं को जोड़कर बिहार को नशामुक्त बनाने में जुटे हैं. डीजीपी ने अपने फेसबुक पेज पर भी शुक्रवार को लिखा है, 'बिहार को नशामुक्त बनाने के लिए अब आप हमारे वेबसाइट के माध्यम से जुड़ सकते हैं.'

वेबसासइट में इसके अलावे उनके पीसी का लिंक, खबरों का लिंक दिया गया है. कई कार्यक्रम का फोटो भी अपलोड है. वेबसाइट से पहले भी पांडेय अपने नाम यूट्यूब चैनल भी चला रहे हैं, जिसमें प्रेस कन्फ्रेंस और इंटरव्यू का वीडियो अपलोड किए गए हैं. इस यूट्यूब चैनल को कई लोग सब्सक्राइबर भी है.

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पांडेय फेसबुक पर भी काफी सक्रिय रहते हैं. इनके निजी फेसबुक को 5़ 40 लाख से ज्यादा लोग पसंद करते हैं. कई मौकों पर पेज पर लाइव आते हैं. इसके अलावे पांडेय ट्विटर पर भी हैं, जहां इनके चाहने वालों की संख्या 20 हजार से अधिक है. उल्लेखनीय है कि बिहार में पुलिस महानिदेशक बनने से पहले भी ये नशामुक्ति का अभियान चलाते रहे हैं. कहा भी जाता है कि बिहार में शराब बंदी कानून को सफल बनाने में पांडेय अहम भूमिका निभा रहे हैं.

गौरतलब है कि पुलिस विभाग में पांडेय की पहचान एक अधिकारी से ज्यादा अभिभावक के रूप में की जाती है. पुलिस अधिकारी से ये फोन कर उनकी समस्याओं की जानकारी पाते हैं और उनके समाधान में भी जुटे होते हैं. पांडेय खुद कहते हैं कि वे प्रतिदिन किसी ना किसी पुलिसकर्मी को फोनकर उससे बात करते हैं और सामान्य तौर पर उनका हालचाल जानते हैं.