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बिहार: नहाय-खाय के साथ चैती छठ महापर्व शुरू, रविवार को खरना, उत्साह भरा माहौल नहीं

इस वर्ष कोरोना वायरस के संक्रमण से बचने के लिए कई व्रतियों ने छठ पर्व करना रद्द कर दिया है.

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Sushil Kumar
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प्रतीकात्मक फोटो( Photo Credit : फाइल फोटो)

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लोकआस्था के महापर्व 'चैती छठ' शनिवार यानी 28 मार्च को शुरू होने वाला है, लेकिन इस साल छठ शुरू होने के पहले शहर में उत्साह भरा माहौल नहीं दिख रहा है. इस वर्ष कोरोना वायरस के संक्रमण से बचने के लिए कई व्रतियों ने छठ पर्व करना रद्द कर दिया है. व्रतियों की दुआ है कि देश बस, कोरोना वायरस से जंग जीत जाए. जो व्रती हर हाल मेंयह पर्व मनाना चाहते हैं, उनके लिए चार दिवसीय चैती छठ शनिवार को नहाय खाय से प्रारंभ होना है और रविवार को व्रती खरना करेंगी. सोमवार को अस्ताचलगामी सूर्य को अघ्र्य दिया जाना है तथा मंगलवार को उदीयमान सूर्य को अघ्र्य देकर व्रती पारण करेंगे.

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लॉकडाउन के बीच छठ करना संभव नहीं 

उल्लेखनीय है कि औरंगाबाद के विश्व प्रसिद्ध देव मंदिर पर चैती छठ के मौके पर देश के विभिन्न कोनों से श्रद्धालु पहुंचते हैं, लेकिन प्रशासन पहले ही कोरोना वायरस के कारण देव में छठ पर्व के आयोजन को रद्द कर दिया है. औरंगाबाद की रहने वाली ममता पांडेय कहती हैं कि पूरे देश में लॉकडाउन है. ऐसी परिस्थिति में छठ करना संभव नहीं है. उनका मानना है कि यह पूजा अकेले नहीं किया जा सकता, इसमें पूरा परिवार और सगे संबंधी साथ होते हैं. इस कारण इस माहौल में पूजा करने में काफी परेशानी होगी.

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लॉकडाउन में लोगों को बाहर निकलना मना 

पटना की रागिनी सिंह पिछले पांच साल से चैती छठ कर रही हैं. वे कहती हैं कि इस पर्व में बहुत सी चीजें बाहर से ही खरीदनी पड़ती हैं, जबकि लॉकडाउन में लोगों ने बाहर निकलना मना किया गया है. उन्होंने कहा, "छठ में गंगा घाट के अलावा बाजार में भी कई तरह की तैयारी करनी पड़ती है, इसलिए देश की परिस्थिति के कारण कई व्रतियों ने अपना व्रत करने की योजना को रद्द कर दिया है."वे कहती हैं, "छठ महापर्व है. इसमें कई तरह की तैयारियां करनी पड़ती हैं. इस बार की जो स्थिति है उसके अनुसार न तो खरीदारी हो पाएगी ना ही पूजा में मन लगेगा. साथ ही छठ में गंगा घाट जाना शुभ माना जाता है.

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श्रद्धालु भगवान भास्कर की अराधना करते हैं

इस पर्व में जितने लोग इकट्ठे होते हैं उतना अच्छा लगता है, लेकिन कोरोनावायरस को ध्यान में रखते हुए हमने इस बार छठ करना रद्द कर दिया है."एक अन्य महिला का मानना है कि कोई भी पर्व उमंग और उल्लास का है. छठ तो लोगों के बीच में अपने परिवार, सगे-संबंधी की उपस्थिति में करना वाला पर्व है. छठ पर्व में गीत गाए जाते हैं, जो खुशी का प्रतीक है. इस स्थिति में कई लोग छठ पर्व की योजना को रद्द कर दिए हैं. उल्लेखनीय है कि साल में दो बार चैत्र और कार्तिक महीने में शुक्ल पक्ष में महापर्व छठ व्रत होता है, जिसमें श्रद्धालु भगवान भास्कर की अराधना करते हैं. इस पर्व को करने वालों में पुरुष से अधिक महिला की संख्या होती है.

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