बिहार विधानसभा चुनाव: महागठबंधन को लेकर कांग्रेस असमंजस में

इस चुनावी साल में राज्य की करीब सभी राजनीतिक पार्टियां किसी न किसी कार्यक्रम को लेकर मतदाताओं के बीच पहुंच बनाने की शुरुआत कर चुकी है.

इस चुनावी साल में राज्य की करीब सभी राजनीतिक पार्टियां किसी न किसी कार्यक्रम को लेकर मतदाताओं के बीच पहुंच बनाने की शुरुआत कर चुकी है.

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Dalchand Kumar
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Congress Party

बिहार विधानसभा चुनाव: महागठबंधन को लेकर कांग्रेस असमंजस में( Photo Credit : फाइल फोटो)

बिहार में राष्ट्रीय जनता दल (Rashtriya Janata Dal) के नेता तेजस्वी यादव की 'बेरोजगारी हटाओ यात्रा' और विपक्षी दलों के महागठबंधन में शामिल घटक दलों के नेताओं के बयानों को लेकर कांग्रेस (Congress) असमंजस में है. राजद नेता तेजस्वी यादव (Tejashwi Yadav) की यात्रा को लेकर कांग्रेस ने जहां पूरी तरह चुप्पी साध रखी है, वहीं राजद द्वारा महागठबंधन के दलों को इसमें शामिल नहीं करने को लेकर भी कांग्रेस का तबका चिंतित है. कांग्रेस के एक नेता का कहना है कि महागठबंधन (Mahagathbandhan) में शामिल होने वाले दलों को किसी भी कार्यक्रम को करने के पहले सभी घटक दलों से विचार करना चाहिए. पार्टी का मानना है कि तेजस्वी की यात्रा से गठबंधन में कांग्रेस की हिस्सेदारी कमजोर होगी, क्योंकि पार्टी जमीनी स्तर पर खुद को साबित करने में नाकाम रही है.

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इस चुनावी साल में राज्य की करीब सभी राजनीतिक पार्टियां किसी न किसी कार्यक्रम को लेकर मतदाताओं के बीच पहुंच बनाने की शुरुआत कर चुकी है, परंतु कांग्रेस ने ऐसे किसी कार्यक्रमों की शुरुआत नहीं की है. इस बीच कांग्रेस, राजद के उस निर्णय से भी असमंजस में है, जिसमें राजद ने तेजस्वी यादव को मुख्यमंत्री का चेहरा घोषित कर रखा है. पार्टी के एक वरिष्ठ नेता ने कहा, 'मुख्यमंत्री पद का फैसला चुनाव परिणाम के बाद होना चाहिए. तेजस्वी यादव खुद को मुख्यमंत्री के तौर पर पेश करते हैं, तो इससे मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को राजनीतिक फायदा होगा.'

कांग्रेस का मानना है कि सवर्ण मतदाता अभी भी राजद से काफी हद तक खफा हैं. राजद के आर्थिक रूप से कमजोर सामान्य लोगों के आरक्षण का विरोध करने से राजद-कांग्रेस गठबंधन के बजाय सवर्ण मतदाता राजग की ओर जा सकते हैं. इस बीच, कांग्रेस के विधानमंडल दल की सोमवार को हुई बैठक में विधानसभा चुनाव में सम्मानजनक सीटों पर लड़ने का जोर रहा. बैठक में कई विधायकों ने स्पष्ट राय रखी है कि पार्टी को अपने दम पर ही चुनाव लड़ना चाहिए. इसके साथ ही प्रखंडस्तर तक संगठन की मजबूती पर भी चर्चा की गई.

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कांग्रेस के प्रभारी सचिव अजय कपूर कहते हैं, 'बिहार में पार्टी को खोया गौरव फिर से दिलाना सभी कांग्रेसियों की जिम्मेदारी है. संगठन को मजबूत करने को लेकर प्रयास किए जा रहे हैं. पूर्व विधायकों को गृह जिला छोड़कर दूसरे जिलों का प्रभार सौंपा जाएगा. वहां जाकर वे जिला, प्रखंड और पंचायत स्तर पर संगठन को मजबूत करेंगे.' वैसे, कांग्रेस के एक नेता ने आक्रोश व्यक्त करते हुए कहा कि जमीनी स्तर पर कांग्रेस के कमजोर होने का लाभ राजद उठाने की कोशिश करेगा. उन्होंने कहा कि इस चुनाव में गठबंधन की स्थिति बदली हुई है. पिछले चुनाव में महागठबंधन में जद (यू) शामिल था, जबकि इस चुनाव में कई छोटे दल हैं.

बहरहाल, कांग्रेस इस साल होने वाले चुनाव को लेकर अभी भी असमंजस में हैं. कई नेता गठबंधन छोड़कर अकेले चुनाव मैदान में जाने की बात कर रहे हैं, तो कई गठबंधन की पैरवी कर रहे हैं. कई नेता गतिविधियों के तेज नहीं होने से खफा हैं तो कई नेता जमीनी स्तर पर काम नहीं होने से खिन्न हैं.

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