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Bihar Election : जानिए उस सीएम के बारे में जो कभी नहीं मांगते थे वोट

बिहार विधानसभा चुनाव के बीच कहानी उस सीएम की, जो कभी अपने लिए जनता से वोट मांगने नहीं जाते थे. साथ ही वह हर बार जीतकर बिहार के सीएम बने. दरअसल, बिहार के पहले सीएम श्री कृष्ण सिंह ने अपने लिए कभी वोट नहीं मांगा.

Updated on: 13 Oct 2020, 10:10 AM

पटना:

बिहार विधान सभा चुनाव की रणभेरी बज चुकी है. सियासी दल अपनी-अपनी सियासी चाल चलना शुरू कर दिया है. नेता वोट मांगने के लिए चुनावी रण में हैं.  प्रत्याशी घर-घर जाकर जनता से अपने पक्ष में वोट करने की अपील कर रहे हैं. इस बीच आपको लेकर चलते है चुनाव की पुरानी यादों में. बिहार की राजनीति में एक ऐसे सीएम हुआ करते थे, जो चुनाव में अपने लिए वोट नहीं मांगते थे.

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आप सोच रहे होंगे ऐसे भी नेता होते रहे होंगे, लेकिन हम सौ फीसदी सही कह रहे हैं.  चलिए उनका नाम आपको बताते हैं. दरअसल,  बिहार केसरी के नाम से मशहूर श्री कृष्ण सिंह जिन्हें लोग श्री बाबू भी कहते थे. श्री बाबू बिहार के पहले सीएम थे. कहा जाता है कि चुनाव के दौरान श्री बाबू अपने लिए वोट मांगने नहीं जाते थे.

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श्रीबाबू बिहार के पहले मुख्यमंत्री थे. वह 1946 से सीएम थे. 1957 में शेखपुरा जिले के बरबीघा से चुनाव लड़ रहे थे. बताया जाता है कि श्रीबाबू वहां से चुनाव लड़ रहे थे, जहां उनके सहयोगी लोग सक्रिय थे. कहा जाता है कि इस दौरान श्री बाबू ने अपने सहयोगियों से कह दिया था कि इस चुनाव में वह जनता से वोट मांगने नहीं जाएंगे. उन्होंने कहा था कि अगर मैंने काम किया होगा, या जनता मुझे इस लायक समझेगी, तो मुझे वोट देगी. अगर मुझे उस लायक नहीं समझेगी, तो वोट नहीं देगी.

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बिहार के नवादा जिले स्थित खनवां गांव में श्री बाबू का जन्म हुआ था. वह 1946 से 1961 तक बिहार के मुख्यमंत्री रहे हैं. बिहार में औद्योगिक क्रांति के लिए आज भी लोग श्री बाबू को याद करते हैं. श्रीबाबू को आधुनिक बिहार का शिल्पकार भी कहा जाता है. बिहार में जमींदारी प्रथा खत्म करने का श्रेय भी श्री बाबू को जाता है.