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bihar air travel(social media)
बीते दो दशकों में बिहार में हवाई सेवाओं में तेजी से बढ़ोतरी देखने को मिली है. सूबे में हवाई संपर्क, बुनियादी ढांचे और आर्थिक गतिविधियों में तेजी देखी जा रही है. राज्य अब हवाई यातायात के मानचित्र पर कहीं अधिक मजबूत स्थिति में है. आपको बता दें कि वर्ष 2005 में बिहार में केवल पटना और गया हवाई अड्डे ही चालू थे. आंकड़ों पर नजर डालें, तो वर्ष 2005-06 में बिहार के हवाई अड्डों से कुल 4,788 विमानों की आवाजाही हुई थी और करीब 2.48 लाख यात्रियों ने हवाई यात्रा की थी. वहीं, 2023-24 में यह आंकड़ा बढ़कर 29,614 विमान आवाजाही और 42.86 लाख यात्रियों तक पहुंच गया. यह लगभग 6 गुना और 17 गुना की बढ़ोतरी को दर्शाता है. यह बढ़ोतरी बिहार में हवाई कनेक्टिविटी और बुनियादी ढांचे के विकास को दिखाता है.
हवाई अड्डों के विस्तार को लेकर भूमि उपलब्ध कराई
मुख्य सचिव अमृत लाल मीणा ने कहा, 'राज्य सरकार नागरिक उड्डयन मंत्रालय के मार्गदर्शन और समन्वय में कार्य कर रही है. राज्य संसाधनों से हवाई अड्डों के विस्तार को लेकर भूमि उपलब्ध कराई जा रही है. भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण (AAI) आवश्यक बुनियादी ढांचे. जिसमें टर्मिनल भवन भी शामिल हैं, का विकास कर रहा है. हमारा संकल्प है कि राज्य में कोई भी स्थान हवाई अड्डे से 200 किलोमीटर से अधिक दूर न हो.'
दरभंगा सिविल एन्क्लेव
दरभंगा सिविल एन्क्लेव, बिहार के उत्तरी क्षेत्र में मौजूद एक महत्वपूर्ण हवाई अड्डा है, जो भारतीय वायु सेना के स्टेशन पर स्थित है. इस हवाई अड्डे से वाणिज्यिक उड़ानों की शुरुआत 8 नवंबर 2020 को हुई. इसे केंद्र सरकार की उड़ान (UDAN) योजना के तहत विकसित किया गया. इसका उद्देश्य देश के छोटे शहरों को हवाई मार्ग से जोड़ना है. शुरुआत में दरभंगा से दिल्ली, मुंबई और बेंगलुरु जैसे बड़े शहरों के लिए सीधी उड़ानें शुरू की गईं. पहले ही वर्ष में यात्रियों से अच्छी प्रतिक्रिया मिली और यह एयरपोर्ट बिहार के प्रमुख हवाई अड्डों में शामिल हो गया.
वर्ष 2023-24 में यहाँ से 3,335 विमानों की आवाजाही और 5.26 लाख से अधिक यात्रियों का आवागमन हुआ. ये तीव्र विकास को दर्शाता है. अब दरभंगा एयरपोर्ट मिथिलांचल और उत्तर बिहार के लोगों के लिए एक अहम हवाई संपर्क केंद्र बन चुका है.
अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप इस हवाई अड्डे का विस्तार किया जा रहा है ताकि बड़े विमानों का संचालन सुगमता से हो सके. बिहार कैबिनेट की ओर से 90 एकड़ अतिरिक्त भूमि अधिग्रहण के लिए 245 करोड़ रुपये की स्वीकृति 10 जनवरी 2025 को प्रदान की गई है. इस परियोजना का उद्देश्य दरभंगा हवाई अड्डे को अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे के रूप में विकसित करना है.
अन्य हवाई अड्डों का विकास
बिहार में हवाई संपर्कता को सुदृढ़ करने की दिशा में महत्वपूर्ण प्रगति हुई है. राज्य सरकार द्वारा लिए गए निर्णयों और स्वीकृत परियोजनाओं के तहत बिहार के विभिन्न हवाई अड्डों के विकास की प्रक्रिया तेज़ी से आगे बढ़ रही है.
1. रक्सौल ब्राउनफील्ड हवाई अड्डा
स्वीकृति: बिहार कैबिनेट की ओर से 10 जनवरी 2025 को 139 एकड़ भूमि के अधिग्रहण को 207 करोड़ रुपये की लागत से स्वीकृति प्रदान की गई. यह हवाई अड्डा भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण (AAI) के अधीन है और AAI की ओर से विकसित किया जाएगा.
2. बीरपुर हवाई अड्डा (सुपौल)
स्वीकृति: बिहार कैबिनेट द्वारा 4 फरवरी 2025 को 88.83 एकड़ भूमि के अधिग्रहण को ₹42.37 करोड़ की लागत से स्वीकृति प्रदान की गई. यह हवाई अड्डा उड़ान (UDAN) योजना के तहत विकसित किया जाएगा.
3. पूर्णिया सिविल एन्क्लेव
विकास कार्य: पूर्णिया एयरपोर्ट (चूनापुर) के विकास को लेकर तेजी से कार्य हो रहा है, जिससे क्षेत्रीय संपर्क को मजबूती मिलेगी.
पूर्णिया शहर से एयरपोर्ट तक बेहतर पहुंच के लिए बिहार सरकार ने गोआसी से चूनापुर के बीच चार लेन सड़क परियोजना को मंजूरी दी है. इस परियोजना से यात्रियों के लिए एयरपोर्ट तक सुगम और तेज़ आवाजाही संभव होगी. इसका कुल बजट 14,86,21,000 रुपये है.
एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया (AAI) की ओर से अंतरिम सिविल एन्क्लेव के निर्माण का कार्य मार्च 2025 में शुरू कर दिया गया है. वहीं, एयरपोर्ट की बाउंड्री वॉल निर्माण का कार्य भवन निर्माण विभाग की ओर से किया गया है और उसका कार्य भी मार्च 2025 में आरंभ हो चुका है. यह परियोजना पूर्णिया और आसपास के क्षेत्रों के लिए हवाई संपर्क को सशक्त बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम है.
4. बिहटा सिविल एन्क्लेव
परियोजना स्वीकृति: एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया (AAI) ने बिहटा एयरपोर्ट के निर्माण के लिए 459.99 करोड़ रुपये की लागत से निर्माण कार्य का ऑर्डर दिया है. यह एयरपोर्ट निर्माण कार्य 2027 के अंत तक पूरा किया जाएगा. पटना एयरपोर्ट पर यात्री दबाव अधिक है. बिहटा एयरपोर्ट इसके वैकल्पिक समाधान के रूप में विकसित किया जा रहा है.
इस एयरपोर्ट से A-321, B-737-800, A-320 जैसे बड़े विमानों का संचालन संभव होगा. नया टर्मिनल, यूटिलिटी बिल्डिंग, एयरसाइड रोड, टैक्सीवे, एयरफील्ड सिस्टम, सुरक्षा सिस्टम आदि शामिल होंगे. इससे बिहार को औद्योगिक और आर्थिक रूप से नई ऊंचाइयाँ मिलेंगी, और इमरजेंसी में उपयोगी होगा.
छोटे हवाई अड्डों का विकास
राज्य सरकार के स्वामित्व वाले भागलपुर, वाल्मीकिनगर, बीरपुर, मधुबनी, मुंगेर और सहरसा हवाई अड्डों के साथ-साथ भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण (AAI) के मुजफ्फरपुर हवाई अड्डे को उड़ान (UDAN) योजना के तहत विकसित करने के लिए बोलियां प्राप्त हुई हैं.
विकास का उद्देश्य: इन हवाई अड्डों को 19 सीटों तक की क्षमता वाले छोटे विमानों के संचालन के लिए तैयार किया जाएगा. बिहार सरकार ने 13 जनवरी 2025 को इन हवाई अड्डों के विकास को लेकर अपनी सहमति प्रदान की है. इसके अतिरिक्त, नागरिक उड्डयन मंत्रालय ने 19 फरवरी 2025 को हुई परियोजना मूल्यांकन समिति (Project Evaluation Committee) की बैठक में उपरोक्त 7 हवाई अड्डों के विकास को सैद्धांतिक रूप से स्वीकृति प्रदान की है. ये सभी योजनाएं बिहार में हवाई संपर्कता को मजबूती प्रदान करेंगी और क्षेत्रीय आर्थिक विकास को बढ़ावा देंगी.