Bihar Elections 2025: कौन है बिहार चुनाव के सबसे बड़े विजेता? किसे मिली करारी हार?

Bihar Elections 2025: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में एनडीए की बंपर जीत हुई है. चुनाव में कौैन जीता और किसे हार का स्वाद चखना पड़ा, आइये जानते हैं…

Bihar Elections 2025: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में एनडीए की बंपर जीत हुई है. चुनाव में कौैन जीता और किसे हार का स्वाद चखना पड़ा, आइये जानते हैं…

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Jalaj Kumar Mishra
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Biggest Winners And Losers of Bihar Elections 2025 Tejashvi Yadav Nitish Kumar Chirag Paswan

Bihar Elections 2025

Bihar Elections 2025: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में एनडीए ने भारी जीत हासिल की है. 243 विधानसभा सीटों में से एनडीए ने 202 सीटें हासिल की हैं. इस परिणाम ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व पर भरोसे की मुहर लगा दी है. इसे एनडीए की सबसे बड़ी जीत कहा जा रहा है. 

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विजेताओं का उदय

1. नीतीश कुमार

लगातार 20 वर्षों से सत्ता के शिखर पर होने के बाद भी जदयू ने शानदार प्रदर्शन किया. एंटी इनकम्बेंसी को मात देते हुए जदयू ने 85 सीटों पर जीत हासिल की है. एनडीए की बंपर जीत ने नीतीश की छवि, सुशासन मॉडल और महिला केंद्रित नीतियों पर भरोसे की मुहर लगा दी है. 

2. चिराग पासवान

2020 में सिर्फ एक जीत जीतने वाली चिराग पासवान की पार्टी ने 2025 में जबरदस्त कमबैक किया है. 29 सीटों पर लड़कर एलजेपी ने 19 सीटों पर जीत हासिल की. उनकी जीत से साबित हो गया कि युवा, दलित और पासवान वोट बैंक पर उनकी पकड़ असल में मजबूत है. 

3. AIMIM और असदुद्दीन ओवैसी

सीमांचल में एआईएमआईएम का प्रभाव बहुत अधिक है. जोकिहाट, कोचाधामन, आमौर और बैसी सीटों पर पार्टी ने जीत हासिल की है. 4. महिला मतदाता

2025 विधानसभा चुनाव की असली किंगमेकर महिलाएं ही रहीं हैं. इतिहास में पहली बार महिलाओं ने पुरुषों से नौ प्रतिशत अधिक मतदान किया. ईसी के अनुसार, इस बार महिलाओं ने 71.6 प्रतिशत को पुरुषों ने 62.8 प्रतिशत मतदान किया है. महिलाओं के लिए चल रही सरकारी योजनाओं ने एनडीए को बढ़त दिलाई है.

हारने वाले चेहरे

1. तेजस्वी यादव व RJD

तेजस्वी यादव के बड़े-बड़े दावे हकीकत नहीं बन पाए. मुख्यमंत्री बनने का सपना देख रहे तेजस्वी की पार्टी सिर्फ 25 सीटों पर ही जीत दर्ज कर पाई. तेजस्वी के युवा नेता वाली छवि को इस चुनाव ने बड़ा झटका दिया है. 

2. राहुल गांधी व कांग्रेस

बड़े-बड़े वादे और वोटर अधिकार यात्रा के बावजूद कांग्रेस सिंगल डिजिट सीट ही जीत पाई. एसआईआर के खिलाफ चलाया गया अभियान फिर से फुस हो गया है. चुनाव में राजद के साथ तकरार ने भी कांग्रेस को बैक फुट पर किया है. 

3. प्रशांत किशोर

लंबी-लंबी पदयात्रा और ऊंची-ऊंची उम्मीदों के बावजूद जन सुराज जनता को आकर्षित नहीं कर पाई. कई सीटों पर नोटा को जसपा उम्मीदवारों से अधिक वोट मिला है.
4. मुकेश सहनी

डिप्टी सीएम फेस होने के बावजूद वीआईपी अपने कोर वोटरों को नहीं पकड़ पाई. पार्टी सीमांचल के इलाकों और पिछड़े समाज के वोटों को सीटों में बदल नहीं पाई. वीआईपी का निषाद वोटबैंक एनडीए की ओर है.

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