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सुप्रीम कोर्ट से नीतीश सरकार को बड़ी राहत, जातीय गणना के डेटा पब्लिकेशन पर रोक लगाने से इनकार

सुप्रीम कोर्ट से नीतीश सरकार को बड़ी राहत मिली है. सुप्रीम कोर्ट ने जातीय गणना के डेटा के पब्लिकेशन पर रोक लगाने से इनकार कर दिया है.

Updated on: 06 Oct 2023, 01:25 PM

highlights

  • जातीय गणना पर सुप्रीम कोर्ट में हुई सुनवाई
  • सुप्रीम कोर्ट से नीतीश सरकार को बड़ी राहत
  • डेटा के पब्लिकेशन पर रोक लगाने से इनकार
  • याचिका पर जारी किया नोटिस

Delhi:

सुप्रीम कोर्ट से नीतीश सरकार को बड़ी राहत मिली है. सुप्रीम कोर्ट ने जातीय गणना के डेटा के पब्लिकेशन पर रोक लगाने से इनकार कर दिया है. कोर्ट ने कहा कि हम किसी राज्य सरकार के किसी काम पर रोक नहीं लगा सकते. कोर्ट ने बिहार सरकार को नोटिस जारी किया. जनवरी 2024 तक जवाब मांगा है. कोर्ट ने कहा कि हम इस मामले में विस्तृत सुनवाई करेंगे. आपको बता दें कि बिहार सरकार ने 2 अक्टूबर को जातीय गणना सर्वे की रिपोर्ट जारी की थी. इसके बाद अगले ही दिन याचिकाकर्ता ने कोर्ट से इस मामले में सुनवाई की अपील की थी. हालांकि कोर्ट ने साफ किया था कि पूर्व से सूचीबद्ध तिथि के अनुसार 6 अक्टूबर को ही सुनवाई होगी. वहीं, आपको ये भी बता दें कि इस मामले पर पहले हुई सुनवाई में कोर्ट ने जातीय गणना के डेटा को जारी करने पर कोई रोक नहीं लगाई थी. 

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हरी भूषण ठाकुर बचौल का बड़ा बयान

वहीं, जातीय आंकड़े पर हरी भूषण ठाकुर बचौल का बड़ा बयान सामने आया है. उनका कहना है कि जिसकी जितनी भागेदारी उसकी उतनी हिस्सेदारी मिले. आंकड़े में बिहार में 82 फीसदी हिंदुओ की संख्या है इसलिए बिहार को हिंदू राज्य घोषित किया जाए. बिहार में हिंदुओ का बोलबाला होना चाहिए. अगर लोग सतर्क नहीं रहे तो जाति नाम की चीज नहीं बचेगी. मुसलमानों की संख्या तेजी से बढ़ी है. इसे देखना होगा. कहां गया जनसंख्या कंट्रोल? स्वास्थ्य योजनाएं का लाभ उसे वर्ग को होना चाहिए जो आर्थिक रूप से कमजोर है. ऐसे लोगों को चिन्हित कर उनके विकास के लिए काम होना चाहिए.