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बिहार में धान की रोपाई पर छाया बड़ा संकट, बारिश के लिए टोटके का सहारा ले रहे लोग

खेतों में पड़ी दरारें किसानों के माथे पर चिंता की लकीर खींच रही है. आसमान में चिलचिलाती धूप के बीच आस है उम्मीद की दो बूंद की ताकि अन्नदात सुखाड़ की मार ना झेले.

Updated on: 27 Jul 2023, 04:06 PM

highlights

  • मौसम की मार... सुखाड़ से हाहाकार
  • चिलचिलाती धूप के बीच बारिश की आस
  • धान की रोपाई पर छाया संकट
  • किसानों को सता रहा फसल खराब होने का डर

Patna:

खेतों में पड़ी दरारें किसानों के माथे पर चिंता की लकीर खींच रही है. आसमान में चिलचिलाती धूप के बीच आस है उम्मीद की दो बूंद की ताकि अन्नदात सुखाड़ की मार ना झेले. बिहार के कई जिलों की तरह मुजफ्फरपुर भी कम बारिश के चलते संभावित सुखाड़ के हालात को झेल रहा है. बारिश ना होने से खेतों में दरारें पड़नी शुरू हो गई है. जहां धान की रोपाई के लिए किसानों को खेतों में पर्याप्त पानी की जरूरत है वहां इतना पानी नहीं है कि जमीन को नमी मिल सके. जिसके चलते किसान रोपाई नहीं कर पा रहे हैं और जिन किसानों ने जैसे-तैसे रोपाई कर ली है उनकी फसल खराब होने की कगार पर है. मुजफ्फरपुर सबसे ज्यादा बारिश जुलाई में होती है, लेकिन इस बार औसत से कम बारिश हुई है. जुलाई में जहां औसत बारिश 304.80 MM होती है वहीं इस बार सिर्फ 119.2 एमएम बारिश हुई है बीते 10 सालों में रिकॉर्ड सबसे कम बारिश है

डीजल के लिए मिलेगा अनुदान 

एक तरफ किसान बारिश की आस में परेशान हैं तो वहीं प्रखंड कृषि पदाधिकारी का कहना है कि 22 जुलाई से किसानों को डीजल अनुदान देने के लिए आवेदन लिया जा रहा है. इसके लिए किसानों को ऑनलाइन अप्लाई करना है. जिसके बाद किसानों को एक एकड़ जमीन पर डीजल के लिए 750 रुपये अनुदान मिलेगा.

पूर्णिया में पानी के लिए हाहाकार 

मौसम की बेरुखी से पूर्णिया में भी हाहाकार मचा है. जिले के बनमनखी अनुमंडल क्षेत्र के किसान परेशान हैं. क्योंकि यहां के 60 से 70 फीसदी किसान ही धान की रोपाई कर पा रहे हैं. वो भी पंपसेट की मदद से खेतों की सिंचाई कर. गरीब किसानों के पास तो इतने पैसे भी नहीं कि वो पंपसेट भी ले सके. ऐसे में मौसम की मार सबसे ज्यादा गरीब किसानों पर पड़ रही है.

सुपौल में 10 दिनों से नहीं हुई बारिश

सुपौल में भी ज्यादातर हिस्सों में बीते दस दिनों से बारिश नहीं हुई है. जिसके चलते किसान बेहद परेशान हैं. किसानों को अभी तक सरकारी मदद भी मुहैया नहीं कराई गई है. बिना बारिश धान की रोपाई हो नहीं रही और सरकार ने सिंचाई की व्यवस्था नहीं की है. हालांकि जिला प्रशासन ने पंपसेट से सिंचाई करने वालों को डीजल के लिए अनुदान देने का आश्वासन दिया है.

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बारिश के लिए किसान कर रहे टोटके

बारिश ना होने से सिर्फ बिहार ही नहीं बल्कि झारखंड के किसान भी बेहद परेशान हैं. दुमका में तो लोग अलग-अलग टोटके भी अपनाने लगे हैं. जिले के परेशान किसान अब मेंढक और मेंढकी की शादी करा रहे हैं. ताकि इंद्रदेव खुश होकर बारिश कर दें. मसलिया गांव में ये नजारा देखने को मिला जहां आदिवासी ग्रामीणों ने पूरे रीती रिवाजों के साथ मेंढक-मेंढकी की शादी कराई. जिले में बारिश ना होने से किसानों की फसल भी खराब हो रही है.

औसत से काफी कम बारिश

झारखंड के गुमला में भी औसत से काफी कम बारिश हुई है. जिससे धान की रोपाई पर संकट के बादल छाए हैं. किसान परेशान हैं तो वहीं उप विकास आयुक्त की मानें तो किसानों की हालातों का आकलन किया जा रहा है. बिहार हो या झारखंड, कम बारिश ने दोनों राज्यों के किसानों को परेशान कर दिया है. जरूरत है कि शासन और प्रशासन किसानों को मदद मुहैया कराए ताकि पूरे देश का पेट भरने वाले अन्नदाता की रोटी पर मौसम की मार ना पड़े.