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बिहार चुनाव: NDA और महागठबंधन के अंदर 'रार', छोटे दल ले रहे 'आकार', क्या बदलेगी तस्वीर?

राज्य के दो प्रमुख गठबंधनों राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) और महागठबंधन में अभी भी सीटों को लेकर रार ठनी हुई है. इस बीच हालांकि छोटे दलों के छोटे गठबंधन आकार ले रहे हैं.

Updated on: 29 Sep 2020, 04:52 PM

नई दिल्ली :

बिहार में अक्टूबर-नवंबर में होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए दो दिन बाद नामांकन की प्रक्रिया प्रारंभ हो जाएगी, लेकिन राज्य के दो प्रमुख गठबंधनों राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) और महागठबंधन में अभी भी सीटों को लेकर रार ठनी हुई है. इस बीच हालांकि छोटे दलों के छोटे गठबंधन आकार ले रहे हैं.

राजग के प्रमुख घटक दल लोक जनशक्ति पार्टी (लोजपा) को लेकर अभी स्थिति स्पष्ट नहीं है. सूत्रों के मुताबिक जदयू और लोजपा के बीच चल रही तनातनी के बीच भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने लोजपा को 27 सीटों का ऑफर दिया है, लेकिन इस पर बात बनी नहीं है. लोजपा के अंदरखाने से अभी भी 143 सीटों पर लड़ने की बात कही जा रही है.

लोजपा सीट को लेकर चल रही नाराज
लोजपा और भाजपा के नेता इस मामले को लेकर खुलकर कुछ नहीं बोल रहे हैं, लेकिन अब तक जो स्थिति बनी है उसके मुताबिक इस चुनाव को लेकर लोजपा की स्थिति साफ नहीं है, जबकि इस गठबंधन में भाजपा के साथ जदयू और पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी की पार्टी हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा मजबूती के साथ खड़ी है.

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बिहार में अक्टूबर-नवंबर में होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए दो दिन बाद नामांकन की प्रक्रिया प्रारंभ हो जाएगी, लेकिन राज्य के दो प्रमुख गठबंधनों राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) और महागठबंधन में अभी भी सीटों को लेकर रार ठनी हुई है. इस बीच हालांकि छोटे दलों के छोटे गठबंधन आकार ले रहे हैं.

राजग के प्रमुख घटक दल लोक जनशक्ति पार्टी (लोजपा) को लेकर अभी स्थिति स्पष्ट नहीं है. सूत्रों के मुताबिक जदयू और लोजपा के बीच चल रही तनातनी के बीच भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने लोजपा को 27 सीटों का ऑफर दिया है, लेकिन इस पर बात बनी नहीं है. लोजपा के अंदरखाने से अभी भी 143 सीटों पर लड़ने की बात कही जा रही है.

लोजपा सीट को लेकर चल रही नाराज
लोजपा और भाजपा के नेता इस मामले को लेकर खुलकर कुछ नहीं बोल रहे हैं, लेकिन अब तक जो स्थिति बनी है उसके मुताबिक इस चुनाव को लेकर लोजपा की स्थिति साफ नहीं है, जबकि इस गठबंधन में भाजपा के साथ जदयू और पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी की पार्टी हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा मजबूती के साथ खड़ी है.

रालोसपा ने बनाया नया मोर्चा
इधर, विपक्षी दलों के महागठबंधन की बात करें तो यहां भी राष्ट्रीय लोक समता पार्टी (रालोसपा) ने महागठबंधन का साथ छोड़ दिया है. उपेंद्र कुशवाहा ने महागठबंधन से अलग होकर चुनाव लड़ने की घोषणा की है. उपेंद्र कुशवाहा ने मंगलवार को बहुजन समाज पार्टी (BSP) और जनवादी पार्टी सोशलिस्ट के साथ चुनाव लड़ने की घोषणा की है.

सोमवार को रालोसपा के प्रदेश अध्यक्ष और पूर्व सांसद भूदेव चौधरी आरजेडी में शामिल हो गए. जिसके बाद उपेंद्र कुशवाहा को बड़ा झटका लगा था.

राजद और कांग्रेस में सीटों को लेकर गुत्थी नहीं सुलझी
इधर, राजद और कांग्रेस में भी सीटों को लेकर गुत्थी नहीं सुलझी है. सूत्रों के मुताबिक, राजद कांग्रेस को 58 विधानसभा सीट और वाल्मीकिनगर लोकसभा सीट देने को तैयार है, लेकिन कांग्रेस आलाकमान ने अब तक इस फॉमूर्ले को लेकर हरी झंडी नहीं दी है. कांग्रेस के स्क्रीनिंग कमिटि के प्रमुख अविनाश पांडेय सभी 243 सीटों पर तैयार रहने की बात कहकर अपने तेवर दिखा चुके हैं.

पप्पू यादव की पार्टी ने चंद्रशेखर आजाद की पार्टी से की दोस्ती
इस बीच छोटे दलों का गठबंधन आकार ले रहा है. जन अधिकार पार्टी (जाप) के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजेश रंजन उर्फ पप्पू यादव ने सोमवार को यहां प्रगतिशील लोकतांत्रिक गठबंधन (पीडीए) बनाने की घोषणा की. इस गठबंधन में चंद्रशेखर आजाद की अध्यक्षता वाली आजाद समाज पार्टी, एम के फैजी के नेतृत्व वाली सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी (एसटीपीआई) और बी.पी. एल. मातंग की बहुजन मुक्ति पार्टी (बीएमपी) शामिल हुई है. पप्पू यादव कहते है कि यह गठबंधन राज्य में 30 सालों के महापाप को अंत करने के लिए बना है.

और पढ़ें:अब मोदी कैबिनेट विस्तार पर टिकी निगाहें, भाजपा में सरगर्मी बढ़ी

ये दोनों पार्टियों ने मिलाया हाथ
इधर, जनता दल (राष्ट्रवादी) और भारतीय सबलोग पार्टी यूनियन डेमोक्रेटिक अलायंस (यूडीए) बनाकर चुनाव मैदान में है. जनता दल राष्ट्रवादी के राष्ट्रीय संयोजक अशफाक रहमान कहते हैं कि आज गठबंधन की राजनीति के अलावा दूसरा कोई उपाय नहीं है. क्षेत्र की समस्याओं को दिल्ली में बैठे लोग नहीं जान सकते, यही कारण है कि गठबंधन बन रहा है और सफल हो रहा है. उन्होंने कहा कि यूडीए आज लोगों के सत्ता और विपक्षी दलों के विकल्प के रूप में उभरा है.


इधर, विपक्षी दलों के महागठबंधन की बात करें तो यहां भी राष्ट्रीय लोक समता पार्टी (रालोसपा) ने महागठबंधन का साथ छोड़ दिया है. उपेंद्र कुशवाहा ने महागठबंधन से अलग होकर चुनाव लड़ने की घोषणा की है. उपेंद्र कुशवाहा ने मंगलवार को बहुजन समाज पार्टी (BSP) और जनवादी पार्टी सोशलिस्ट के साथ चुनाव लड़ने की घोषणा की है.

सोमवार को रालोसपा के प्रदेश अध्यक्ष और पूर्व सांसद भूदेव चौधरी आरजेडी में शामिल हो गए. जिसके बाद उपेंद्र कुशवाहा को बड़ा झटका लगा था.

राजद और कांग्रेस में सीटों को लेकर गुत्थी नहीं सुलझी
इधर, राजद और कांग्रेस में भी सीटों को लेकर गुत्थी नहीं सुलझी है. सूत्रों के मुताबिक, राजद कांग्रेस को 58 विधानसभा सीट और वाल्मीकिनगर लोकसभा सीट देने को तैयार है, लेकिन कांग्रेस आलाकमान ने अब तक इस फॉमूर्ले को लेकर हरी झंडी नहीं दी है. कांग्रेस के स्क्रीनिंग कमिटि के प्रमुख अविनाश पांडेय सभी 243 सीटों पर तैयार रहने की बात कहकर अपने तेवर दिखा चुके हैं.

पप्पू यादव की पार्टी ने चंद्रशेखर आजाद की पार्टी से की दोस्ती
इस बीच छोटे दलों का गठबंधन आकार ले रहा है. जन अधिकार पार्टी (जाप) के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजेश रंजन उर्फ पप्पू यादव ने सोमवार को यहां प्रगतिशील लोकतांत्रिक गठबंधन (पीडीए) बनाने की घोषणा की. इस गठबंधन में चंद्रशेखर आजाद की अध्यक्षता वाली आजाद समाज पार्टी, एम के फैजी के नेतृत्व वाली सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी (एसटीपीआई) और बी.पी. एल. मातंग की बहुजन मुक्ति पार्टी (बीएमपी) शामिल हुई है. पप्पू यादव कहते है कि यह गठबंधन राज्य में 30 सालों के महापाप को अंत करने के लिए बना है.

ये दोनों पार्टियों ने मिलाया हाथ
इधर, जनता दल (राष्ट्रवादी) और भारतीय सबलोग पार्टी यूनियन डेमोक्रेटिक अलायंस (यूडीए) बनाकर चुनाव मैदान में है.

जनता दल राष्ट्रवादी के राष्ट्रीय संयोजक अशफाक रहमान कहते हैं कि आज गठबंधन की राजनीति के अलावा दूसरा कोई उपाय नहीं है. क्षेत्र की समस्याओं को दिल्ली में बैठे लोग नहीं जान सकते, यही कारण है कि गठबंधन बन रहा है और सफल हो रहा है. उन्होंने कहा कि यूडीए आज लोगों के सत्ता और विपक्षी दलों के विकल्प के रूप में उभरा है.