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जानिए कौन हैं राणा रंधीर जिनको विरासत में मिली राजनीति

साल 2005 के फरवरी महीने में हुए विधान सभा के चुनाव में राजद के टिकट पर ये विजयी रहे. बिहार में सरकार नहीं बनने पर पुन: विधान सभा का चुनाव इसी साल नवम्बर महीने में हुआ. लेकिन उन्हें सफलता नहीं मिली. वह जदयू के शिवजी राय से हार गये.

Updated on: 08 Nov 2020, 07:26 AM

मधुबनी:

बिहार की एनडीए सरकार में शामिल मधुबन के विधायक राणा रंधीर अपने राजनीतिक जीवन की शुरूआत साल 2005 के विधान सभा चुनाव से की. राणा रणधीर को राजनीति विरासत से ही मिली. इन्हें छात्र जीवन से ही जनता का प्रतिनिधित्व करने का शौक रहा. टाटा स्टील फैक्ट्री में इंजीनियर के पद पर रहते हुए ये मधुबन की जनता के करीब आ गये. अपने पिता सीताराम बाबू के साथ राजनीतिक और सामाजिक कार्यक्रमों में भाग लेने लगे. 

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साल 2005 के फरवरी महीने में हुए विधान सभा के चुनाव में राजद के टिकट पर ये विजयी रहे. बिहार में सरकार नहीं बनने पर पुन: विधान सभा का चुनाव इसी साल नवम्बर महीने में हुआ. लेकिन उन्हें सफलता नहीं मिली. वह जदयू के शिवजी राय से हार गये. साल 2010 के चुनाव में भी इन्हें सफलता नहीं मिली. उसके बाद वह भारतीय जनता पार्टी का दामन थाम लिया. साल 2015 के चुनाव इन्होंने बीजेपी के टिकट पर जीत हासिल की.

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राणा रंधीर मूल रूप से मधुबन के बंजरिया गांव के निवासी हैं. इनके पिता सीताराम सिंह (स्व.) भी बिहार के कद्दावर नेता में गिने जाते थे. पिता सीताराम बाबू साल 1985 से 2004 तक मधुबन के विधायक रहे. वह 1985 में जनता पार्टी से चुनाव जीते व 1990 से 1995 तक बिहार के परिवहन मंत्री और 1995 से 2004 तक खनन और भूतत्व मंत्री रहे. बिहार सरकार में मंत्री बने राणा रंधीर तीन भाइयों में सबसे बड़े हैं. तीन बहनों में एक बहन इनसे बड़ी है.