Bihar News: बिहार के भागलपुर में जाली नोटों से जुड़े कारोबार को लेकर NIA ने बुधवार को छापेमार कार्रवाई की. इस पड़ताल के दौरान कुछ ऐसे तथ्य टीम के हाथ लगे जो इशारा करते हैं कि इस काले धंधे के तार पाकिस्तान और कश्मीर में सक्रिय देशविरोधी संगठनों से जुडे हैं. रिपोर्ट के अनुसार, टीम ने इशाकचक थाना क्षेत्र के भीखनपुर इलाके में आरोपितों के ठिकानों को निशाना बनाया. इस दौरान एनआईए की टीम ने स्थानीय पुलिस का सहयोग लेते हुए नजरे सद्दाम के घर की तलाशी ली और परिजनों से पूछताछ की.
एक मीडिया रिपोर्ट के अनुसार इस छापेमार कार्रवाई का कनेक्शन मोतिहारी से है. दरअसल, यहां पिछले वर्ष सितंबर 2024 में भारत-नेपाल सीमा के पास पुलिस ने दो लाख रुपये के जाली नोटों के साथ तीन तस्करों को गिरफ्तार किया गया था. इनमें भागलपुर निवासी नजरे सद्दाम भी शामिल था, जो एक सॉफ्टवेयर इंजीनियर होने के बावजूद जाली नोटों के नेटवर्क का हिस्सा बना हुआ था. इसी वजह से एनआईए का एक्शन देखने को मिला था.
सामने आया पाकिस्तानी एजेंटों से कनेक्शन
जांच एजेंसी के मुताबिक, जो पुख्ता सबूत हाथ लगे हैं उनका सीधा इशारा जाली नोटों के नेटवर्क के पाकिस्तान और कश्मीर में सक्रिय देशविरोधी संगठनों से कनेक्शन की ओर है. बताया जा रहा है कि नजरे सद्दाम ने नेपाल के भोरे गांव में दो स्थानीय तस्करों की मदद से पाकिस्तानी एजेंटों से मुलाकात की थी और उन्हीं के जरिए जाली नोटों को भारत में सप्लाई करता था.
कश्मीर से भी जुड़े हैं तार
इसके अलावा इस मामले के कश्मीर कनेक्शन की बात करें तो एनआईए की जांच में यह भी सामने आया है कि नजरे सद्दाम पहले भी दिल्ली होते हुए कश्मीर के अनंतनाग तक जाली नोटों की खेप पहुंचा चुका है. वहां उसकी मुलाकात उग्रवादी संगठनों से जुड़े लोगों से हुई थी. वह नेपाल के संतोष सहनी के माध्यम से रुपये लेकर कश्मीर के सरफराज तक पहुंचाता था, जिसके बाद इन पैसों का इस्तेमाल कथित तौर पर उग्रवादी गतिविधियों में होता था.
हाथ लगी ये खास जानकारी
एनआईए की छापेमार कार्रवाई में कई खास दस्तावेज हाथ लगे हैं. रिपोर्ट के मुताबिक इस दौरान टीम ने इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस भी जब्त किए हैं. संभावना जताई जा रही है कि इससे रैकेट के बारे में और विस्तार की जानकारी मिल सकती है. हालांकि, अधिकारियों ने जांच से जुड़ी अधिक जानकारी साझा करने से इनकार कर दिया है. उम्मीद है कि एनआईए की इस कार्रवाई से जाली नोट कारोबार में लिप्त बड़े नेटवर्क पर शिकंजा कसा जा सकता है. फिलहाल, जांच एजेंसी अब इस गिरोह के अन्य सदस्यों और उनके संपर्कों को ट्रैक करने में जुटी है.