बीजेपी सांसद ने लोकसभा में उठाया मेडिकल कॉलेजों में खाली सीटों का मुद्दा
लोकसभा (Lok Sabha) अध्यक्ष से अनुरोध करते हुए उन्होंने कहा कि पोस्ट ग्रेजुएशन में और सुपर स्पेशियलिटी में 50 फीसदी के परसेंटाइल के नियम को समाप्त करके पोस्ट ग्रेजुएशन में नयी ट्रेनिंग करवाने और जो डॉक्टर जिस लेवल पर सीट भर सके, उसे भरा जाए.
highlights
- डॉ. संजय जायसवाल ने मेडिकल कॉलेजों में खाली रह रही सीटों का मामला उठाया.
- लोकसभा में शून्यकाल के दौरान यह मामला उठाया.
- 'सर्वोच्च न्यायालय का फैसला है कि 50 परसेंटाइल पासिंग मार्क्स होना चाहिए.'
नई दिल्ली:
बिहार भारतीय जनता पार्टी (BJP) के प्रदेश अध्यक्ष और बेतिया के सांसद (MP) डॉ. संजय जायसवाल ने शनिवार को लोकसभा (Lok Sabha) में मेडिकल कॉलेजों में खाली रह रही सीटों का मामला उठाया. उन्होंने लोकसभा (Lok Sabha) में कहा कि सर्वोच्च न्यायालय के फैसले के कारण खाली मेडिकल कॉलेजों में सीटें खाली रह जा रही हैं. छात्र नामांकन नहीं ले रहे हैं. उन्होंने लोकसभा में शून्यकाल के दौरान यह मामला उठाते हुए कहा, "पिछले सात वर्षो में तकरीबन 100 नये मेडिकल कॉलेज खोले गये हैं. 21 दिसंबर को स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन ने कहा कि 2021 में 80 हजार छात्रों को मेडिकल कॉलेजों में दाखिला देंगे. वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि 602 जिलों में क्रिटिकल केयर यूनिट खोलेंगे." जायसवाल ने कहा, "हालांकि यह भी एक सच्चाई है कि 2019 में साढ़े चार हजार सीटें और 2020 में पोस्ट ग्रेजुएशन की 4000 सीटें मेडिकल कॉलेजों में खाली रहीं."
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सीटों के खाली रह जाने का कारण बताते हुए उन्होंने कहा कि, "सर्वोच्च न्यायालय का फैसला है कि 50 परसेंटाइल पासिंग मार्क्स होना चाहिए. अंडर ग्रेजुएशन में 12 लाख बच्चे परीक्षा देते हैं, 6 लाख बच्चों का सेलेक्शन होता है. 60 हजार बच्चे मेडिकल में जाते हैं, लेकिन हमें समझना पड़ेगा कि पोस्ट ग्रेजुएशन एमबीबीएस डॉक्टर जो यूनिवर्सिटी से पास होते हैं, वही यह परीक्षा देते हैं और इनमें से 50 प्रतिशत बच्चों को चुनना है, ऐसे में यह शेष 50 प्रतिशत बच्चों के साथ अन्याय है."
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लोकसभा (Lok Sabha) अध्यक्ष से अनुरोध करते हुए उन्होंने कहा कि पोस्ट ग्रेजुएशन में और सुपर स्पेशियलिटी में 50 फीसदी के परसेंटाइल के नियम को समाप्त करके पोस्ट ग्रेजुएशन में नयी ट्रेनिंग करवाने और जो डॉक्टर जिस लेवल पर सीट भर सके, उसे भरा जाए. उन्होंने कहा कि सभी 1 लाख डॉक्टर्स की एक मेरिट लिस्ट बने, जिससे एमसीएच और डीएम की देश की सभी सीटों को भरा जा सके.
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