देश में बेरोजगारी संकट किसी से छिपी नहीं है. हालात ये है कि युवा डिग्री लेकर नौकरी के लिए दर-दर भटकने को मजबूर हो गए हैं. नौकरी की होड़ के लिए दिन-रात एड़ी चोटी का जोर लगाते हैं, लेकिन फिर कम ही लोग ऐसे होते हैं जिन्हें मनचाही नौकरी मिल पाती है. इन हालातों में भी कुछ युवा ऐसे हैं जो लाखों की नौकरी छोड़ खुद को ना सिर्फ खुद को आत्मनिर्भर बनाते हैं बल्कि अच्छा मुनाफा भी कमाते हैं. ऐसे ही युवाओं में शुमार है बेगूसराय के कुणाल झा.
सिंघौल के रहने वाले कुणाल कुमार को अच्छे पैकेज पर मल्टी नेशनल कंपनी में नौकरी मिली, लेकिन नौकरी छोड़ उन्होंने अपना कारोबार शुरू करने का सोचा और मोती की खेती कुणाल को सबसे बेहतर जरिया लगा. फिर क्या था थोड़ी सी पूंजि लगाकर कुणाल ने मोतियों की खेती शुरू की और हर महीने लाखों की कमाई कर रहे हैं.
दरअसल, कुणाल का परिवार लंबे समय से खेती से जुड़ा है, लेकिन परिजन पारंपरिक खेती ही करते थे. ऐसे में कुणाल ने कुछ नया करने की ठानी और मोती की खेती उनके लिए अच्छा विक्लप साबित हुई. कुणाल का कहना है कि मोती तैयार होने में लगभग 10 महीने लग जाते हैं. मोती की गुणवत्ता के आधार पर उसकी कीमत तय होती है. एक सामान्य मोती की कीमत 500 से 1500 रुपए तक हो सकती है. वहीं, डिजायनर मोती के लिए अंतरराष्ट्रीय बाजार में 10 हजार रुपए तक मिल सकते हैं.
मोती उत्पादन की खास बात ये होती है कि इसने ज्यादा लागत नहीं लगती. आप न्यूनतम 1000 सिपियों के साथ शुरुआत कर सकते हैं. इसके लिए 10 वर्ग फिट का एक टैंक बनाना होगा.
सीपियों को खरीदने की लागत 50 हजार के करीब होगी. टैंक बनाने में भी 50 हजार लागत लग सकती है. यानी 1 लाख की लागत में आप 3 लाख तक की कमाई कर सकते हैं.
अब बाजारों में डिजाइनय मोतियों की डिमांड बढ़ गई है. ऐसे में कुणाल ने भी डिजाइनर मोतियों का उत्पादन शुरू कर दिया है. इसके लिए जापान की टेक्नोलॉजी की मदद से एक छोटी सी सर्जरी कर सीपियों में राम भगवान, कृष्ण भगवान या किसी और के आकार का फार्मा डालते हैं. इस फार्मा से डिजाइन वाले मोती तैयार होते हैं. मोतियों की खेती कर आज कुणाल आत्मनिर्भर बन चुके हैं. उनकी इस सोच की सराहनी उनके पिता भी करते हैं.
रिपोर्ट : कन्हैया कुमार झा
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Source : News State Bihar Jharkhand