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हेल्थ सिस्टम का बुरा हाल, मरीज का ठेले पर किया इलाज, शव के लिए एंबुलेंस भी नहीं

हाजीपुर में हेल्थ सिस्टम का बुरा हाल है. अस्पताल में जगह नहीं मिलने पर यहां एक मरीज का इलाज डॉक्टर ने ठेले पर ही किया और कुछ देर बाद मरीज की मौत हो जाने के बाद उसे एंबुलेंस तक मुहैया नहीं कराई गई.

Updated on: 30 Dec 2022, 04:17 PM

highlights

  • ठेले पर अस्पताल का सिस्टम !
  • अस्पताल में मरीज़ को नहीं किया भर्ती
  • डॉक्टर ने मरीज़ का ठेले पर किया इलाज
  • शव के लिए एंबुलेंस भी नहीं किया मुहैया

Hajipur:

हाजीपुर में हेल्थ सिस्टम का बुरा हाल है. अस्पताल में जगह नहीं मिलने पर यहां एक मरीज का इलाज डॉक्टर ने ठेले पर ही किया और कुछ देर बाद मरीज की मौत हो जाने के बाद उसे एंबुलेंस तक मुहैया नहीं कराई गई. पीड़ित परिजनों का कहना है कि उन्होंने एंबुलेंस की मांग की, लेकिन अस्पताल में दो एंबुलेंस होने के बावजूद उन्हें एंबुलेंस नहीं दी गई. मजबूरन परिजनों को ठेले पर ही शव को घर लेकर जाना पड़ा. वहीं, अस्पताल प्रबंधन का कहना है कि अस्पताल में शव वाहन नहीं है और मरीज अस्पताल में नहीं आया था गेट पर ही था.

जानकारी के अनुसार महनार के देशराजपुर निवासी अरुण पासवान की तबियत अचानक बिगड़ गई थी. जिसको चिंताजनक हाल में परिजन ठेले पर लेकर महनार पीएचसी पहुंचे और ठेले पर ही महनार पीएचसी के डॉक्टर ने इलाज किया और ठेले पर ही उसकी मौत हो गई. फिर ठेले से ही परिजन अरुण के शव को लेकर घर चले गए. ऐसे में बड़ा सवाल यह है कि क्या मरीज को अस्पताल के अंदर नहीं ले जाना चाहिए था? क्या मरने के बाद अस्पताल प्रशासन को एम्बुलेंस से शव नहीं भेजना चाहिए था? 

बहरहाल सवाल तो कई हैं, लेकिन जवाब हर बार एक सा ही आता है कि जांच कर कार्रवाई की जाएगी. लिहाजा बार-बार अस्पताल के बदहाली की तस्वीर सामने आती है, लेकिन ना तो अस्पताल की व्यवस्था सुधर रही है और ना अस्पताल कर्मियों और चिकित्सकों का रवैया. इस विषय में मृतक के परिजन टुनटुन पासवान ने बताया कि मारिज को ठेले पर लेकर के आए थे. ठेले पर ही डॉक्टर ने चेक किया था. मौत के बाद शव को लेजाने के लिए एंबुलेंस की मांग की गई, लेकिन दो एंबुलेंस होने के बावजूद एंबुलेंस नहीं दिया गया. उन्हें बोला गया कि आप खुद एंबुलेंस वाले से बात कर लीजिए तो शव को भी ठेले से ले जाया गया. 

वहीं, इस विषय में पर महनार समुदायिक केंद्र के चिकित्सा पदाधिकारी डॉ. सीताराम सिंह ने बताया कि उन्हें इस विषय में ज्यादा जानकारी नहीं है. उन्हें इतना पता है कि मरीज गेट तक ही आया था अंदर आता तो एडमिट किया जाता. महनार स्वास्थ्य केंद्र में शव वाहन नहीं है. शव वाहन के लिए जिले में संपर्क करना चाहिए था. इन सबके बीच सबसे बड़ा सवाल यह है कि जिसके घर का कोई सदस्य गुजर गया हो वह शव वाहन और एंबुलेंस के लिए महनार से 35 किलोमीटर दूर हाजीपुर में संपर्क करेगा या किसी तरह शव को लेकर अंतिम संस्कार के लिए घर ले जाएगा. 

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