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लखीसराय में किसानों का हुआ बुरा हाल, 1 रुपये में भी कोई फसल खरीदने को तैयार नहीं

महंगे बीज खरीदकर किसनों ने टमाटर की खेती की थी लेकिन अब आलम ये है कि कोई 1 रुपये में भी इसे खरीदने को तैयार नहीं है. ऐसे में टमाटर खेत में सड़ रहे हैं. किसानों का कहना है कि ऐसा पहली बार हुआ जब कोई भी फसल खरीदने को तैयार नहीं है.

Updated on: 13 Feb 2023, 08:35 AM

highlights

  • लखीसराय में किसानों के लिए हो गई मुसीबत 
  • किसानों को झेलना पड़ रहा है भारी नुकसान 
  • 1 रुपये में भी कोई टमाटर खरीदने को नहीं है तैयार 
  • खेत में ही पड़ा टमाटर हो रहा है बर्बाद
  • महंगे दामों पर बीज खरीदकर किसानों ने की थी खेती 

Lakhisarai:

लखीसराय में किसानों के लिए मुसीबत हो गई है. फसल तो उन्होंने लगा लिया लेकिन कोई उसे खरीदने को ही तैयार नहीं है. ऐसे में उन्हें भारी नुकसान झेलना पड़ रहा है. महंगे बीज खरीदकर किसनों ने टमाटर की खेती की थी लेकिन अब आलम ये है कि कोई 1 रुपये में भी इसे खरीदने को तैयार नहीं है. ऐसे में टमाटर खेत में सड़ रहे हैं. किसानों का कहना है कि ऐसा पहली बार हुआ जब कोई भी फसल खरीदने को तैयार नहीं है. वहीं, बिहार सरकार से भी किसान खफा हैं क्योंकि उन्हें आश्वासन दिया गया था कि सॉस की फैक्ट्री लगाई जाएगी लेकिन अब तक ऐसा नहीं हो पाया है जससे किसानों को नुकसान झेलना पड़ रहा है.    

टमाटर और मटर की हुई है बंपर उत्पादन 

जिले के दियारा और टाल इलाका के बड़हिया, आदि गांवों में टमाटर की खेती अधिक होती है. इस बार टमाटर और मटर की बंपर उत्पादन हुई है, लेकिन बंपर उत्पादन होने के बाद भी किसान खुश नहीं हैं. इन उत्पादित फसलों के लिए किसानों को ग्राहक नहीं मिल रहे हैं. किसानों को खरीदार नहीं मिलने से खेत में पड़ा टमाटर पक रहा और सड़ रहा है. टमाटर फसल को बाजार तक पहुंचाने तक का भी खर्च नहीं मिल पा रहा है, जिससे किसान काफी दुखी हैं.

एक रुपए में भी कोई खरीदने को तैयार नहीं 

किसान एक रुपए प्रति किलोग्राम टमाटर देने को तैयार हैं फिर भी कोई खरीदार नहीं मिल पा रहा है. किसान टमाटर को तोड़कर खेत में ही छोड़ रहे हैं. दियारा और टाल क्षेत्रों में लगभग 1500 बीघा में इसकी खेती होती है. खेत में काम करने के लिए किसानों को मजदूरी तक नहीं मिल पा रही है. 

सॉस फैक्ट्री स्थापित करने की हुई थी पहल 

पूर्व जिला परिषद ने जिले में लगभग डेढ दशक पूर्व टमाटर की सॉस फैक्ट्री स्थापित करने की पहल की थी. तत्कालीन डोडीसी के द्वारा प्रखंड मुख्यालय मोहनपुर में भवन का निर्माण भी कराया गया था लेकिन टमाटर सॉस फैक्ट्री चालू नहीं हो सका है. अगर फैक्ट्री चालू हो जाती तो किसानों को नुकसान नहीं होता. अब खेतों में ही टमाटर सड़ रहा है. किसानों का कहना है कि इस बार बाहर से भी कोई व्यापारी नहीं आ रहा है किसान लाचार होकर खेतों में ही टमाटर छोड़ने को विवश हैं. खरीदार नहीं मिलने के कारण टमाटर खेतों में ही सड़ रहे हैं. 

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महंगे दामों पर बीज खरीदकर की थी खेती 

किसानों ने बताया कि टमाटर का बीज महंगे दामों पर खरीदकर इसकी खेती की थी. किसानों को काफी नुकसान हो रहा है, इन फसलों से किसानों को काफी आय होने की उम्मीद थी लेकिन खरीदार नहीं मिलने के कारण लागत पूंजी भी वापस होना मुश्किल हो रहा है.  इस तरह की स्थिति पहले कभी उत्पन्न नहीं हुई थी. ऐसे में अगर सरकार ने इनकी मदद की होती तो आज इनका ये हाल ना होता. 

रिपोर्ट - अजय झा