एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने बिहार में चल रहे विशेष सघन पुनरीक्षण को लेकर चुनाव आयोग को एक तीखा पत्र लिखा है. ओवैसी का कहना है कि इस प्रक्रिया में कई गंभीर खामियां हैं, जिनके चलते लोगों के वोटिंग अधिकार और उनकी रोज़ी-रोटी दोनों पर खतरा पैदा हो सकता है. उन्होंने सवाल उठाया कि 2024 के लोकसभा चुनाव में इस्तेमाल हुई मतदाता सूची में कहीं अवैध प्रवासी तो शामिल नहीं थे? अगर ऐसा था, तो चुनाव आयोग को इसे साफ-साफ बताना चाहिए. ओवैसी ने ये भी कहा कि जब 29 अक्टूबर 2024 से 6 जनवरी 2025 तक बिहार में विशेष संक्षिप्त पुनरीक्षण (SSR) हो चुका था, तो अब एक महीने में SIR निपटाने की जल्दबाज़ी क्यों की जा रही है. उन्होंने इसे अव्यवहारिक बताया और कहा, “बिहार जैसे राज्य में जहां 7.90 करोड़ से ज्यादा वोटर हैं, वहां बीएलओ को बिना ढंग की ट्रेनिंग दिए इतनी बड़ी कवायद कैसे होगी?”
अधिकारों पर भी नाराज़गी जताई
उन्होंने BLO को दिए गए अधिकारों पर भी नाराज़गी जताई. ओवैसी के मुताबिक, इन्हें “जरूरत से ज्यादा” अधिकार देकर लोगों के नाम काटे जाने का डर बन रहा है, जिससे सीधे-सीधे उनकी आजीविका पर असर पड़ेगा. सबसे बड़ा सवाल ओवैसी ने दस्तावेज़ों पर खड़ा किया. उन्होंने कहा कि जिन लोगों का जन्म 1 जुलाई 1987 से पहले हुआ, उनसे जन्म का सबूत मांगा जा रहा है. और 1987 से 2024 के बीच जन्मे मतदाताओं से माता-पिता का दस्तावेज़ मांगा जाएगा - ऊपर से 11 अलग-अलग दस्तावेजों की लिस्ट दी जा रही है.
ऐसे हालात में दस्तावेज़ जुटाना आसान नहीं: ओवैसी
ओवैसी ने पूछा, “ये तारीखें आखिर तय कैसे हुईं? 38 साल पुराने रिकॉर्ड की जांच चुनाव आयोग किस आधार पर करेगा?” इसके अलावा उन्होंने बिहार के सीमांचल इलाकों का जिक्र करते हुए कहा कि वहां हर साल कई महीने बाढ़ में गांव कट जाते हैं, लोग घर-बार खो देते हैं, अस्पताल तक बंद रहते हैं-ऐसे हालात में दस्तावेज़ जुटाना आसान नहीं है. ओवैसी ने चुनाव आयोग से अपील की है कि वह इन सभी सवालों का ईमानदारी से जवाब दे और यह पूरा मामला सर्वदलीय बैठक में रखा जाए. ताकि सभी पक्षों की राय सुनी जा सके. उन्होंने उम्मीद जताई कि चुनाव आयोग उनकी बातों पर गंभीरता से विचार करेगा और जनता को भरोसा दिलाएगा.
20,000 से 30,000 फर्जी मतदाता पंजीकृत हैं: मांझी
बिहार चुनाव से पहले मतदाता सूची की समीक्षा की विपक्ष ओर से आलोचना किए जाने पर केंद्रीय मंत्री जीतन राम मांझी ने कहा, "हमें पता है कि कुछ निर्वाचन क्षेत्र ऐसे हैं जहां 20,000 से 30,000 फर्जी मतदाता पंजीकृत हैं. जिन लोगों को हटाया जाएगा, वे ही डरे हुए हैं. अगर कुछ गलत है, तो यह स्वाभाविक रूप से उजागर होगा."