बिहार में निकाय चुनाव की तारीखों का ऐलान, पक्ष और विपक्ष में सियासी घमासान
बिहार में निकाय चुनाव का ऐलान हो गया है और इसी के साथ सियासी वार-पलटवार का दौर भी शुरू हो गया है.
highlights
.चुनाव के वास्ते... आरक्षण के रास्ते
.निकाय चुनाव की तारीखों का ऐलान
.पक्ष और विपक्ष में सियासी घमासान
.SC के आदेश की अवमानना- बीजेपी
.बीजेपी का असली चेहरा उजागर- JDU
Patna:
बिहार में निकाय चुनाव का ऐलान हो गया है और इसी के साथ सियासी वार-पलटवार का दौर भी शुरू हो गया है. निकाय चुनाव में आरक्षण के मुद्दे को लेकर सत्ता पक्ष और विपक्ष एक दूसरे को आड़े हाथ ले रही है और खुद को पिछड़ों का हितैषी साबित करने की कोशिश कर रही है. खुद को पिछड़ों का हितैषी साबित करने को लेकर सियासतदानों में होड़ लगी है. नतीजा, आरक्षण को लेकर सत्ता पक्ष और विपक्ष में ठनी है. इस बीच ही राज्य निर्वाचन आयोग ने तारीखों की घोषणा कर वार-पलटवार के दौर को तेज कर दिया है.
बिहार में निकाय चुनाव का पेंच आरक्षण को लेकर फंसा था. राज्य सरकार की ओर से EBC को आरक्षण देने के फैसले के बाद ही निकाय चुनाव को स्थगित करने का फैसला लिया गया था. दरअसल बिहार में 10 और 20 अक्टूबर को निकाय चुनाव होने थे. चुनाव से पहले बगैर ट्रिपल टेस्ट के पिछड़ा वर्ग को आरक्षण दिया. OBC के अलावा सरकार ने EBC को 20 फिसदी आरक्षण दिया. जिसके बाद आरक्षण की सीमा 50% से ज्यादा हो गई. सरकार के इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में रिट याचिका दायर की गई.
जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर हाई कोर्ट में मामले की सुनवाई चली. इस मामले पर दो सुनवाई के बाद फैसला सुनाया गया.
पटना हाई कोर्ट के आदेश पर नगर निकाय चुनाव स्थगित कर दिया गया था. सरकार ने फैसले के बाद HC को आरक्षण के ट्रिपल टेस्ट का भरोसा दिया था. इस बीच बुधवार देर शाम राज्य निर्वाचन आयोग ने निकाय चुनाव की नई तारीखों का एलान कर दिया. निर्वाचन आयोग द्वारा जारी शेड्यूल के मुताबिक राज्य में दो चरणों में निकाय चुनाव कराए जाएंगे. 18 दिसंबर को पहले चरण का मतदान होगा और 20 दिसंबर को रिजल्ट आएगा. दूसरे चरण का मतदान 28 दिसंबर को होगी तो मतगणना 30 दिसंबर को होगी.
अब तारीखों के ऐलान के बाद विपक्ष सरकार पर हमलावर हो गई है. बीजेपी का कहना है कि सरकार ने बिना ट्रिपल टेस्ट के लिए ही चुनाव कराने का फैसला ले लिया है. बीजेपी का आरोप है कि राज्य की सरकार बिहार में निकाय चुनाव नहीं होने देना चाह रही है. पार्टी का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट के रोक लगाने के बावजूद चुनाव की अधिसूचना जारी कर दी गई. ये सीधे-सीधे सुप्रीम कोर्ट के आदेश की अवमानना के समान है.
वहीं, विपक्ष के प्रहार पर सत्तापक्ष भी पलटवार कर रही है. सत्ता पक्ष का कहना है कि बीजेपी ने गलत तथ्यों के आधार पर निकाय चुनाव को रोकने की कोशिश की थी, लेकिन चुनाव की तारीखों के एलान के बाद उसका असली चेहरा उजागर हो गया है. बहरहाल, निकाय चुनाव को लेकर वार-पलटवार जारी है, लेकिन इस बीच देखना दिलचस्प होगा कि चुनावी दंगल में जनता किसके दावों पर अपने भरोसे का मुहर लगाती है.
रिपोर्ट : विकास ओझा
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