गया का प्रसिद्ध तिलकुट के बाद अगर कोई मिठाई है तो वह है अनरसा. बरसात के दिनों में अनरसे की सोंधी खुसबू हरेक व्यक्ति को अपनी ओर खींच लेती है, जो एक बार मीठे अनरसे का स्वाद चख ले वो इसका मुरीद बन जाता है. यही कारण है कि बरसात के दिनों में इसकी खपत ज्यादा होती है. अनरसा एक प्रकार का मीठा बिहारी व्यंजन है, जो अरवा चावल के आटे, तिल और चीनी से बनाया जाता है. सामान्यतः उत्तर भारत में अधिक प्रचलित है.
अनरसे दो तरह के बनाये जाते हैं. गोल-गोल गोलियां या चपटी टिकियों के आकार में, गोल अनरसे खाते समय कुरकुरे के साथ-साथ अन्दर से मुलायम होते हैं, जिनका स्वाद एकदम अलग होता है. जब इन अनरसों में खोवा मिला दिया जाता है, तब इन्हें खोवा अनरसा कहते हैं. ये सामान्य अनरसों की अपेक्षा अधिक नर्म और स्वादिष्ट होते हैं. अनरसा की मिठास की लोकप्रियता का अंदाज़ा इसी से लगाया जा सकता है कि बिहार की पारंपरिक व अतिप्राचीन मिठाई अनरसा विदेशियों को भी खूब भाती है. अनरसा को अन्य मिठाइयों की अपेक्षा काफी शुद्ध माना जाता है, इसलिए पर्व-त्योहार में इसकी मांग ज़्यादा होती है. इससे जुड़ी एक धार्मिक कथा भी है. अगर शास्त्रों की मानें तो ऐसी मान्यता है कि जब पार्वती ने भगवान शंकर को पाने के लिए पूजा-अर्चना की थी, तब उन्होंने अनरसा ही प्रसाद के रूप में भगवान शंकर को अर्पित किया था.
ज्ञात हो कि गया में टिकारी के टिकारी महाराज अपने किलों में विशेष करीगरों से अनरसा बनवाते थे. चूंकि उस समय अनरसा का स्वरूप दूसरा होता था, रोटी के आकार की पतली होती थी और उसके बीच छेद हुआ करता था. धीरे-धीरे समय के साथ-साथ इसका स्वरूप बदलता गया. आज यह पूरी तरह गेंद की आकार का है, जिसके अंदर खोवा भरा होता है. वहीं दुकानदार धीरेन्द्र कुमार केशरी ने बताया कि अनरसा चावल और मावे को मिलाकर के बनाया जाता है. चावल को पहले धोया जाता है फिर उसको चाकी में पिसवाया जाता है के बाद उस आटे को गुड़ और चीनी के सिरे में मिक्स कर के एक पेस्ट की तरह बनाया जाता है.
पेस्ट बनाने के बाद जब वह पक जाता है, उसको ठंडा करने के बाद मावे का मिलाया जाता है, उसके बाद उसके ऊपर सफ़ेद तिल चिपकाया जाता है. जिससे वह सुंदर लगता है और स्वाद भी बढ़ जाता है. फिर उसे घी में तल दिया जाता है. इस तरह से एक अनरसा तैयार होता है. हमारे यंहा बनाने का तरीका जो है और जगह से बिलकुल अलग है. दूसरे जगह के लोग पारम्परिक तरीका का इस्तेमाल नहीं कर पाते हैं. गुड़ को कितना पकाना है. वह दूसरे जगह के लोग नहीं जान पाते हैं और इसमें पेस्ट जो बनता है, उसको अच्छी तरह बनाना यह जरूरी है और एक सही तरीके से बनाना यही काम है.
बरसात की मिठाई 'अनरसा'
अनरसा बरसात की मिठाई कही जाती है. बता दें कि बरसात के दिनों में नमी बढ़ जाती है. चावल में नमी खींचने का ताकत होता है और बाहर का वातावरण का नमी खींच रहा है तो वह सेहत के लिए भी अच्छा होता है और उससे स्वाद भी बढ़ जाता है. गया का अनरसा पूरे देश में किसी न किसी तरह से पहुंच जाता है. कहीं किसी के दोस्त लेकर जाते हैं तो कहीं किसी के परिवार के लोग लेकर जाते हैं, पूरे देश में गया का अनरसा का नाम है.
Source : News Nation Bureau