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Anand Mohan Case: रेमिशन पॉलिसी के तहत बाहुबली नेता आनंद मोहन हुए रिहा, जानें क्या केंद्र और राज्य सरकार का अधिकार

Anand Mohan Case : बिहार के बाहुबली नेता और पूर्व सांसद आनंद मोहन आखिरकार जेल से रिहा हो गए. गोपालगंज के तत्कालीन डीएम जी कृष्णैया मर्डर केस में दोषी आनंद मोहन की रिहाई को लेकर राजनीतिक चरम पर है.

Updated on: 27 Apr 2023, 05:20 PM

highlights

  • बिहार के बाहुबली नेता और पूर्व सांसद की सजा हुई माफ
  • नीतीश सरकार ने कानूनी पेंच को ही हटा दिया
  • कुछ पार्टियां रिहाई का विरोध कर रही हैं तो कुछ समर्थन

पटना:

Anand Mohan Case : बिहार के बाहुबली नेता और पूर्व सांसद आनंद मोहन आखिरकार जेल से रिहा हो गए. गोपालगंज के तत्कालीन डीएम जी कृष्णैया मर्डर केस में दोषी आनंद मोहन की रिहाई को लेकर राजनीतिक चरम पर है. कुछ पार्टियां रिहाई का विरोध कर रही हैं तो बिहार की मुख्य विपक्षी पार्टी बीजेपी के कुछ नेता इसका समर्थन कर रहे हैं. अब सवाल उठता है कि आखिर राज्य सरकार ने किस नियम कानून के तहत आनंद मोहन को रिहा किया है और इसमें केंद्र सरकार का अब क्या रोल है?  

जानें क्या रेमिशन पॉलिसी?

रेमिशन पॉलिसी के तहत राज्य सरकार किसी भी अपराधी की सजा माफ या कम कर सकती है, लेकिन इससे पहले कैदियों के व्यवहार से लेकर उसमें सुधार हुआ है या नहीं पर काफी विचार विमर्श किया जाता है. इसी रेमिशन पॉलिसी के तहत आनंद मोहन की सजा माफ की गई है. आपको बता दें कि राज्य और केंद्र शासित प्रदेशों के अंतर्गत जेल आते हैं. हर जेल का एक मैन्युअल होता है, जिसके तहत अदालत द्वारा दोषी को सुनाई गई सजा कम या माफ की जा सकती है. 

जानें आनंद मोहन कैसे जेल से आया बाहर 

हर राज्यों में रेमिशन पॉलिसी के तहत अलग-अलग कानून है. कई राज्यों में जघन्य अपराध और बलात्कार करने वाले दोषियों के लिए कोई भी छूट नहीं है. बिहार में सरकार कर्मचारी की हत्या के मामले में दोषियों को सजा में कोई माफी नहीं दी जाती है, लेकिन नीतिश सरकार ने इसी कानूनी पेंच हटा दिया. बिहार सरकार ने 10 अप्रैल को कारा हस्तक 2012 के नियम 481 (I) (क) को हटा दिया था, जिससे दोषी आनंद मोहन और अन्य 26 कैदियों की जेल से रिहाई का रास्ता साफ हो गया है. 
 
जानें केंद्र सरकार का अधिकार

कानून के जानकारों का मामना है कि केंद्र सरकार की ओर से दोषियों की रिहाई और उनकी सजा कम करने को लेकर कोई कदम नहीं उठा सकती है, क्योंकि जेल का मैन्युअल राज्य सरकार ही बनाती है. कैदियों की रिहाई पर केंद्र सरकार सिर्फ एडवाइज दे सकती है.