सुपौल के सरकारी अस्पताल में धक्का मार एम्बुलेंस, ऐसा नजारा देखकर बिहार सरकार पर उठ रहे सवाल

बिहार सरकार भले ही पुरे बिहार में स्वास्थ्य व्यवस्था को मजबूत करने के लिए कई प्रयास कर रही, किन अभी भी बिहार के सरकारी अस्पताल की स्थिति जस की तस बनी हुई है, उसमें कोई सुधार नहीं हो रहा है. इस बीच सुपौल के सरकारी अस्पतालों का हाल देख रूह कांप जाती है

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Vineeta Kumari
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अस्पताल में धक्का मार एम्बुलेंस( Photo Credit : News State Bihar Jharkhand)

बिहार सरकार भले ही पूरे बिहार में स्वास्थ्य व्यवस्था को मजबूत करने के लिए कई प्रयास कर रही, लेकिन अभी भी बिहार के सरकारी अस्पताल की स्थिति जस की तस बनी हुई है, उसमें कोई सुधार नहीं हो रहा है. इस बीच सुपौल के सरकारी अस्पतालों का हाल देख रूह कांप जाती है. बता दें कि सुपौल कि सरकारी अस्पताल कि हालत बद से बदतर है. वहां के मरीजों को आए दिन बहुत सी परेशानियों का सामना करना पड़ता है. सबसे बड़ी बात ये है कि उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने पिछले दिनों स्वास्थ्य विभाग के अफसरों के साथ पटना के ज्ञान भवन में बैठक की और 60 दिन के अंदर व्यवस्थाएं सुधारने का टास्क दिया, फिर भी बिहार के सरकारी अस्पताल का ये हाल क्यों है? 

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सुपौल के सरकारी अस्पतालों की हालत बद से बदतर
आपको बता दें कि सुपौल के सरकारी अस्पतालों में बदइंतजामी के कारण न केवल मरीजों को परेशानी हो रही है, बल्कि परिजनों को भी भारी तबाही का सामना करना पड़ रहा है. ये खबर सुपौल के अनुमंडलीय अस्पताल निर्मली से सामने आया है, जहां इमरजेंसी के लिए तैनात एम्बुलेंस को कर्मियों के द्वारा धक्का मारकर से स्टार्ट करना पड़ता है. अब आप ही सोचिए कि अगर बिहार के सरकारी अस्पताल में ऐसे धक्का-मुक्की से एंबुलेंस स्टार्ट होगी तो आपात स्थिति में यह एंबुलेंस मरीजों तक समय पर कैसे पहुंच पाएगी? 

तेजस्वी यादव पर उठ रहे सवाल
गौरतलब है कि बिहार में स्वास्थ्य मंत्रालय की जिम्मा डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव के हाथ में है, तो उनकी जिम्मेदारी बनती है कि बिहार के हर अस्पताल में मरीजों के लिए सभी सुविधाएं दुरुस्त करें और इन लापरवाह अधिकारियों और कर्मियों पर नकेल कसें, ताकि अस्पतालों में इस तरह की दुविधा देखने को न मिले, लेकिन बिहार के सुपौल सदर अस्पताल से लेकर जिले के अधिकांश सरकारी अस्पतालों में लगातार लापरवाही और चूक सामने आ रही है और इन लापरवाह अधिकारियों और कर्मियों पर कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है. साथ ही बता दें कि बिहार के सरकारी अस्पतालों के कर्मियों को सरकार और प्रशासन का थोड़ा भी भय नहीं है. यही वजह है कि सुपौल से इस तरह के मामले सामने आ रहे हैं. अब देखना दिलचस्प होगा कि आखिर कब तक सरकार इन लापरवाह लोगों पर शिकंजा कसती है और कब तक अस्पतालों में मरीजों को मिलने वाली सुविधाओं में सुधार किया जाता है.

HIGHLIGHTS

  • बिहार के सरकारी अस्पताल का देख तेजस्वी यादव पर उठे सवाल
  • बिहार सरकार सिर्फ कर रही तरह-तरह के वादे
  • सुपौल के सरकारी अस्पतालों की स्थिति दयनीय

Source : News State Bihar Jharkhand

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