दलित विकास के सारे दावे साबित हो रहे हैं छलावा, सड़क पर सोने को मजबूर

झौलिया पंचायत के वार्ड नंबर 13 और 14 महादलित बस्ती में जर्जर भवन व टूटते छत से भयभीत लगभग 200 परिवार सड़क पर रात बिताने और गुजर-बसर करने को विवश हैं.

झौलिया पंचायत के वार्ड नंबर 13 और 14 महादलित बस्ती में जर्जर भवन व टूटते छत से भयभीत लगभग 200 परिवार सड़क पर रात बिताने और गुजर-बसर करने को विवश हैं.

author-image
Vineeta Kumari
New Update
dalit

दलित विकास के सारे दावे साबित हो रहे हैं छलावा( Photo Credit : News State Bihar Jharkhand)

बेतिया दलित उत्थान के सरकारी दावे खोखले साबित हो रहे हैं. मझौलिया पंचायत के वार्ड नंबर 13 और 14 महादलित बस्ती में जर्जर भवन व टूटते छत से भयभीत लगभग 200 परिवार सड़क पर रात बिताने और गुजर-बसर करने को विवश हैं. प्रशासन की लापरवाही और एमपी विधायक व जनप्रतिनिधियों की वादाखिलाफी का जीता जागता सबूत वार्ड नंबर 13 और 14 है. जहां रहने वाले दलित परिवारों के घरों की दयनीय स्थिति को देख कर आपका हिर्दय दहल उठेगा कि आखिर अगर यह रहने लायक घर है, तो परित्यक्त भवन किसे कहेंगे. बता दें कि वर्ष 1980 के आस-पास हुडको द्वारा 38 आवास दलित परिवारों के बीच वितरित किए गए थे, जो आज खंडहर में तब्दील हो गए हैं और कब बड़ी घटना घट जाए कोई नहीं जानता है.

Advertisment

इनके घरों की स्थिति को देखकर ऐसा प्रतीत होता है कि प्रशासन किसी बड़े हादसे का इंतजार कर रहा है और एमपी विधायक व जनप्रतिनिधि शोक संवेदना व्यक्त करने का इंतजार कर रहे हैं. पुरण मांझी, झापस मांझी, नथुनी मांझी, बालाजी चंद्रदेव मांझी, भिखारी मांझी, सुरेश मांझी, हरिंदर मांझी, बिगु मांझी, नंदन मांझी, सुदामा मांझी आदि का कहना है कि हम दलितों की स्थिति की खोज खबर करने वाला कोई नहीं है. हमारे घर जर्जर हो चुके हैं, कब छत गिर जाए और हम दब जाए, इसकी कोई निश्चित गारंटी नहीं है. फिर भी हम जान जोखिम में डालकर निवास कर रहे हैं लेकिन रात में तो सड़क पर सोने को विवश हैं. 

लोगों का कहना है कि सिर्फ चुनाव के समय एमपी और विधायक व जनप्रतिनिधि आते हैं, बड़े-बड़े वादे करते हैं, लेकिन चुनाव जीतने के बाद हम लोगों को दूध की मक्खी की तरह निकाल फेंकते हैं. पंचायत के युवा मुखिया सत्य प्रकाश द्वारा हम लोगों के घरों की स्थिति को देख स्थानीय प्रशासन को लिखित रूप से अभिलंब भवन निर्माण की मांग की जा रही है. अगर प्रशासन हम लोगों की मांगों पर आवश्यक कदम नहीं उठाता है, तो हम लोग सड़क पर उतरने को बाध्य होंगे. जिसकी सारी जवाबदेही प्रशासन की होगी. बता दें कि सुदामा मांझी, नंदकिशोर मांझी, काशी मांझी, नथुनी मांझी, भरोसी मांझी, मनोज मांझी आदि दलितों के घर पूरी तरह क्षतिग्रस्त हो गए हैं.

मामले में मझौलिया पंचायत के मुखिया सत्यप्रकाश ने जिला पदाधिकारी प्रखंड विकास पदाधिकारी क्षेत्रीय सांसद क्षेत्रीय विधायक को लिखित आवेदन देने की बात कहते हुए अभिलंब इन दलितों के गृह निर्माण की मांग की है.

Source :

Bihar News hindi latest news Pashchim Champaran Dalit Development
      
Advertisment