पुण्यतिथि विशेष: बिहार के पूर्व सीएम रामसुंदर दास की गौरव गाथा
06 मार्च 2015 को रामसुंदर दास का निधन हो गया था.
highlights
- बिहार के 15वें मुख्यमंत्री थे राम सुन्दर दास
- जनता पार्टी और जेडीयू से लड़ चुके हैं चुनाव
- 21 अप्रैल 1979 से 17 फरवरी 1980 तक थे बिहार के CM
Patna:
बिहार की धरती वैसे तो राजनीतीक सूरमाओं के लिए ही जानी जाती है. बिहार की धरती पर एक से बढ़कर एक राजनीतिक दिग्गजों ने जन्म लिया और पूरे देश में बिहार का नाम रोशन किया. जेपी, लालू, रामविलास पासवान के अलावा बिहार की धरती से एक और राजनेता का नाम विधानसभा से लेकर लोकसभा तक गूंजता रहा. ये थे बिहार के पन्द्रहवें मुख्यमंत्री रामसुंदर दास. हाजीपुर से दो-दो बार सांसद रहे और तेज तर्रार नेता राम विलास पासवान को लोकसभा चुनाव में पटखनी दिए. 2009 से 2014 तक लोकसभा सदस्य रहे और 1979 से 1980 तक लगभग एक साल के लिए बिहार के सीएम रहे. एक निम्न जाति से ताल्लुक रखने वाले राम सुंदर दास की राजनीतिक पारी कभी भी आसान नहीं रही.
- देश की स्वतंत्रता के लिए कॉलेज छोड़ा
- भारत छोड़ो आंदोलन में लिया हिस्सा
- हाजीपुर से दो बार जा चुके हैं संसद
- राम विलास पासवान जैसे धुरंधरों को दी मात
- 21 अप्रैल 1979 से 17 फरवरी 1980 तक रह चुके हैं बिहार के मुख्यमंत्री
पढ़ाई में नहीं लगा मन
कुछ ऐसा ही रहा है रामसुंदर दास का इतिहास. 9 जनवरी 1921 को सारण जिले के सोनपुर के पास स्थित गंगाजल में एक निम्न वर्ग के परिवार में जन्में रारामसुंदर दास के सामने भी तमाम चुनौतियां थीं. राजनीति में ऊंच-नीच जाति-पाति का भेद-भाव शुरू से ही रहा है और रामसुंदर दास भी इससे अछूते नहीं रहे. अपनी शुरुआती पढ़ाई सोनपुर में पूरी करने के बाद कलकत्ता के विद्यासागर कॉलेज में ग्रेजुएशन की पढ़ाई के लिए एडमीशन तो ले लिया लेकिन दिल और दीमाग पढ़ाई की जगह कहीं और ही था.
'भारत जोड़ो आंदोलन' से जुड़े
दिल चाहता था कि देश को अंग्रेजी हुकूमत से आजादी मिले और दीमाग देश को आजादी दिलाने की प्लानिंग में लगा रहता था. मौका मिला और देश को स्वतंत्र कराने के लिए भारत छोड़ो आंदोलन से जुड़ गए. नतीजा कॉलेज से बोरिया बिस्तरा समेटना पड़ और देश सेवा को चुनना पड़ा. 1942 में उन्होंने भारत छोड़ो आंदोलन में अन्य क्रांतिकारियों के साथ हिस्सा लिया. उन्होंने कांग्रेस सोशलिस्ट पार्टी के लिए अपने सोनपुर में ही काम किया उसके पाद पार्टी का प्रजा सोशलिस्ट पार्टी में विलय हो जाता है और फिर भी वह पार्टी के साथ जुड़े रहे.
राजनीतिर सफर
1957 में लोकसभा चुनाव हुआ और रामसुंदर दास ने हाजीपुर से किस्मात आजमाया लेकिन उन्हें मात मिली. उसके बाद 1968 में वह बिहार विधान परिषद के सदस्य यानि एमएलसी बने और 1977 तक एमएलसी रहे. 1977 में पहली बार सोनपुर से ही चुनकर वह बिहार विधानसबा में पहुंचे. उसके बाद कर्पूरी दास ठाकुर के इस्तीफे के बाद राम सुंदर दास बिहार के मुख्यमंत्री बने और 21 अप्रेल 1979 से लेकर 17 फरवरी 1980 तक राज्य के मुख्यमंत्री रहे. 06 मार्च 2015 को रामसुंदर दास का निधन हो गया था.
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