मोदी सरकार के 500 और 1000 रु के पुराने नोट पर पाबंदी लगाने के बाद जहां कुछ परिवार शादी में होने वाले खर्च को लेकर परेशान हैं।
जहां एक तरफ शादी वाले परिवार के ज्यादातर लोग कैश के लिए बैंक की कतार में खड़े नजर आते हैं वहीं दूसरी तरफ कुछ ऐसे भी परिवार है जो महज 500 या 1100 रु में शादी कर ले रहे हैं।
बिहार के कटिहार में एक ऐसी अनोखी शादी हुई है जिसका खर्च मात्र 1,100 रु आया। कटिहार जिले के मनसाही प्रखंड में गुरुवार की रात एक शादी में मात्र 1,100 रुपये खर्च किए गए।
शादी में आए मेहमानों को दावत के रूप में 56 तरह के पकवानों की जगह केवल चाय और लड्डू परोसे गए और बारातियों ने भी इस शादी का जमकर लुत्फ उठाया।
गरीघाट गांव निवासी योगेंद्र सहनी ने अपनी लाडली बेटी सरस्वती कुमारी की शादी अपने ही गांव के मुंशी सहनी के पुत्र राजा कुमार से तय की थी।
सभी पिता की तरह योगेंद्र ने भी अपनी बेटी की शादी में बारातियों के स्वागत के लिए कई तरह के पकवान बनाने तथा बेटी की खुशी के लिए कई तरह के दान देने के सपने संजोए थे, लेकिन अचानक नोटबंदी की घोषणा से उनके सपने पर पानी फिरता नजर आने लगा।
यह बात उनके होने वाले रिश्तेदार मुंशी सहनी को मालूम हुई। मुंशी सहनी ने योगेंद्र से कहा कि शादी तय समय पर होगी और हुआ भी वही।
गुरुवार को दिन के 12 बजे राजा अपनी बारात लेकर लड़की वाले के यहां पहुंचे और बिना दहेज और भोज के ही रात को राजा और सरस्वती की शादी हो गई।
दुल्हन बनी सरस्वती का कहना है कि, "प्रधानमंत्री मोदी के नोटबंदी के फैसले से काफी परेशानी हुई थी, क्योंकि हमारी शादी की डेट तय हो चुकी थी। उसके बाद हमने शादी को कम से कम खर्च में निपटाने का फैसला किया और बिना किसी दिखावे के मेहमानों को केवल चाय-पानी और लड्डू ही दिया।"
इस शादी की खास बात यह रही कि बारातियों ने लड़की पक्ष की ओर से किए गए इंतजाम को खुशी-खुशी स्वीकारा और बिना किसी शिकायत के वर-वधु को आशीर्वाद दिया।
दुल्हन के पिता योगेंद्र यादव के मुताबिक "लड़की की शादी के लिए 350 रुपये की साड़ी और लड़के के लिए 400 रुपये का कपड़ा और बारातियों के स्वागत के लिए 150 रुपए का लड्डू और दो सौ रुपये में चाय की व्यवस्था की गई।"
शादी में शामिल लोगों ने भी इस शादी की सराहना की और कहा कि इस तरह के विचार से देश में फैले दहेज रूपी दानव को खत्म किया जा सकता है।
Source : IANS