विकास का इंतजार कर रहा 'मोर गांव', CM की घोषणा के बाद भी नहीं हुआ विकास

भारत के राष्ट्रीय पक्षी का नाम मोर जरूर है, लेकिन अब ये मोर विलुप्त होते जा रहे हैं. जी हां, यह सच है हम बात कर रहे हैं.

भारत के राष्ट्रीय पक्षी का नाम मोर जरूर है, लेकिन अब ये मोर विलुप्त होते जा रहे हैं. जी हां, यह सच है हम बात कर रहे हैं.

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Vineeta Kumari
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CM की घोषणा के बाद भी नहीं हुआ विकास( Photo Credit : News State Bihar Jharkhand)

भारत के राष्ट्रीय पक्षी का नाम मोर जरूर है, लेकिन अब ये मोर विलुप्त होते जा रहे हैं. जी हां, यह सच है हम बात कर रहे हैं. पूर्वी चंपारण जिले के कल्याणपुर प्रखंड के मनिछपरा पंचायत के माधोपुर गोविंद गांव की, जो कि कभी यह गांव मोर गांव के नाम से जाना जाता था. यहां नाचते-झूमते मोरों को देखने के लिए लोग दूर-दूर से आते थे. बारिश के दिनों में तो मोरों का नृत्य करना देखना देखते ही बनता था, लेकिन मोरों को ठिकाना नहीं मिलने से मोर गांव आज बेगाना दिख रहा है. अब यह गांव मोरों के विलुप्त होने की वजह से जाना जाने लगा है. बता दें कि किसी वक्त में यहां 200 से भी ज्यादा मोर हुआ करते थे, लेकिन अब इस गांव में मोरों की संख्या 4-5 तक ही सिमट कर रह गई है.

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बता दें कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार 2012 में अपनी सेवा यात्रा के दौरान मोर गांव का दौरा किए थे. उस समय उन्होंने मोर गांव को पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने का आश्वासन भी दिया था. उनके निर्देश पर वन विभाग व पशु पक्षी संरक्षक टीम ने भी मोर गांव का दौरा किया था, लेकिन इसके बावजूद माधोपुर गोविंद गांव मोर अभयारण्य नहीं बन सका. वहीं सरकारी स्तर पर संरक्षण नहीं मिलने से आज 3-4 की संख्या में ही मोर बच गये हैं.

मोरों के रहने सहने के लिए कोई बसेरा नहीं मिला है. बचे मोर कभी खेतो में तो कभी बगीचे में भटकते नजर आते हैं. वहीं जब हमने गांव के लोगों से इस बारे में बातचीत की तो ग्रामीणों ने बताया कि सेवा यात्रा के दौरान मुख्यमंत्री के दौरे से मोर गांव के विकसित होने व मोरों के संरक्षण की उम्मीद जगी थी, लेकिन सरकारी स्तर पर अभी तक मोरों को कोई संरक्षण नहीं मिल पाया है. साथ ही यहां पर पर्याप्त जलाशय भी नहीं है.

Source : News Nation Bureau

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