CAB के बाद क्या अब NRC पर भी बीजेपी का साथ देंगे नीतीश कुमार?

नागरिकता संशोधन विधेयक 2019 पर बिहार में सत्ताधारी जनता दल-युनाइटेड (जेडीयू) के अंदर भले ही मतभेद हो, मगर यह बात तो साफ हो गई है कि पार्टी के मुखिया नीतीश कुमार बिल्कुल भी बीजेपी का साथ छोड़ने को तैयार नहीं है.

नागरिकता संशोधन विधेयक 2019 पर बिहार में सत्ताधारी जनता दल-युनाइटेड (जेडीयू) के अंदर भले ही मतभेद हो, मगर यह बात तो साफ हो गई है कि पार्टी के मुखिया नीतीश कुमार बिल्कुल भी बीजेपी का साथ छोड़ने को तैयार नहीं है.

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Dalchand Kumar
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CAB के बाद क्या अब NRC पर भी बीजेपी का साथ देंगे नीतीश कुमार?

CAB के बाद क्या अब NRC पर भी बीजेपी का साथ देंगे नीतीश कुमार?( Photo Credit : फाइल फोटो)

नागरिकता संशोधन विधेयक 2019 पर बिहार में सत्ताधारी जनता दल-युनाइटेड (जेडीयू) के अंदर भले ही मतभेद हो, मगर यह बात तो साफ हो गई है कि पार्टी के मुखिया नीतीश कुमार बिल्कुल भी बीजेपी का साथ छोड़ने को तैयार नहीं है. बिहार में आने वाले समय में विधानसभा के चुनाव होने हैं, इसी को केंद्र में रखकर वह राष्‍ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) के साथ किसी भी तरह की मतभिन्नता से अपने को दूर रखना चाहती है. हाल ही में महाराष्ट्र में घटे सियासी घटनाक्रम के बाद विपक्षी दलों ने नीतीश कुमार को खूब उकसाने की कोशिश भी की थी. लेकिन जेडीयू बिहार में एनडीए को एकजुट रखने में उसकी भूमिका पर कोई सवाल नहीं करे, इसे ध्यान में रखकर भारतीय जनता पार्टी के साथ चल रही है. 

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राज्य में जेडीयू की सरकार अभी बीजेपी के समर्थन से चल रही है. नीतीश कुमार भी चाहते हैं कि अब सरकार के बचे हुआ समय में वो बीजेपी के साथ ही मिलकर चलें. वो नहीं चाहते कि चुनाव से पहले किसी विवादास्पद मुद्दे पर बीजेपी के साथ उनका कोई अनायास विवाद हो. नीतीश को मालूम है कि बिहार की सत्ता चाहिए तो बीजेपी के साथ झगड़ना चुनावी साल में घातक हो सकता है. बीजेपी भी नीतीश के सहारे राज्य में फिर से सरकार बनाने का सपना देख रही है. तभी तो नीतीश कुमार लोकसभा से लेकर राज्यसभा तक नागरिकता संशोधन विधेयक पर अपनी बात पर कायम रहे.

लेकिन अब सवाल यह उठने लगा है कि क्या नागरिकता संशोधन विधेयक के बाद नीतीश की पार्टी जेडीयू नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटिजन्स ऑफ इंडिया (NRC) के मुद्दे पर भी केंद्र की भारतीय जनता पार्टी का समर्थन करेगी. क्योंकि इन दोनों मुद्दों पर जेडीयू की पहले बीजेपी से अलग राय थी. पूर्व में जेडीयू ने इन दोनों मुद्दों पर अलग राय रखते हुए अपने नेताओं को असम भेजा था. पार्टी की ओर से कहा गया था कि  इस मसले पर असम के विरोध को भी ध्यान में रखा जाए. तभी से इस बात का अंदेशा था कि नागरिकता संशोधन बिल पर जेडीयू की राय कुछ अलग होगी. मगर जब मोदी सरकार ने बिल को संसद में रखा तो जेडीयू ने सभी को चौंकाते हुए बिल का समर्थन किया. सदन में जेडीयू नेता राजीव रंजन सिंह ने कहा कि उत्तर-पूर्व राज्यों के मामले में पहले उनके दल द्वारा जो सवाल उठाए गए थे, वो सुलझा लिए गए हैं.

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अब दिल्ली से पटना तक बीजेपी के अब दावा कर रहे हैं कि नागरिकता संशोधन बिल (CAB) के बाद जेडीयू का नेशनल सिटिजन रजिस्टर के मुद्दे पर भी सहयोग और समर्थन जरूर मिलेगा. कुछ नेताओं कहते हैं कि नीतीश कुमार के समर्थन में अब इसलिए कोई अड़चन नहीं है, क्योंकि उनकी पार्टी के अधिकतर नेता बीजेपी से साथ मिलकर किसी तरह का झगड़ा नहीं चाहते. वहीं जेडीयू के समर्थकों का कहना है कि फिलहाल एनआरसी के मुद्दे पर बोलने और फैसला लेने की कोई जरूरत नहीं है. साथ ही उन्होंने कहा कि बीजेपी पीडीपी के साथ सरकार बना सकती है, शिवसेना-कांग्रेस एक हो सकते हैं तो एनआरसी के मुद्दे पर जदयू के स्टैंड को इतना तूल क्यों दिया जा रहा है.

Source : डालचंद

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