Bihar Election Results 2025: 71% महिला मतदान ने बदल दी तस्वीर, नीतीश-मोदी की जोड़ी को मिला जबरदस्त जनसमर्थन

बिहार चुनाव में एनडीए की रिकॉर्ड जीत और महागठबंधन की करारी हार के बाद सबसे बड़ा सवाल यही है कि जो मुकाबला रोमांचक माना जा रहा था, वह इतना एकतरफा कैसे हो गया?

बिहार चुनाव में एनडीए की रिकॉर्ड जीत और महागठबंधन की करारी हार के बाद सबसे बड़ा सवाल यही है कि जो मुकाबला रोमांचक माना जा रहा था, वह इतना एकतरफा कैसे हो गया?

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Ravi Prashant
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पीएम मोदी और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार Photograph: (ani)

बिहार चुनाव में एनडीए की रिकॉर्ड जीत और महागठबंधन की करारी हार के बाद सबसे बड़ा सवाल यही है आखिर जिसे रोमांचक मुकाबला माना जा रहा था, वह एकतरफा कैसे हो गया? इसका पहला और सबसे बड़ा संकेत महिलाओं के मतदान में दिखा. बिहार के इतिहास में पहली बार महिलाओं ने पुरुषों से ज्यादा वोट डाले. पुरुषों का मतदान 62.8% रहा, जबकि महिलाओं ने 71.6% की ऐतिहासिक भागीदारी दर्ज की. संख्या में भी महिलाओं ने पुरुषों को पीछे छोड़ दिया.

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यही वह वर्ग है जिसने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संयुक्त नेतृत्व को सबसे ज्यादा समर्थन दिया. दोनों नेताओं की योजनाओं, खासकर महिलाओं पर केंद्रित कल्याणकारी नीतियों ने वोटिंग बूथ तक महिलाओं की बड़ी भीड़ को खींचा.

10,000 रुपये वाली स्कीम का असर

चुनाव से पहले नीतीश सरकार ने घोषणा की कि जो भी महिला अपना कारोबार शुरू करना चाहती है, उसे 10,000 रुपये की सहायता दी जाएगी. सरकार ने कहा कि अब तक 1.21 करोड़ महिलाओं को यह राशि सीधे उनके बैंक खाते में भेजी जा चुकी है. आगे जिनके बिजनेस बेहतर चलेंगे, उन्हें 2 लाख रुपये तक और दिए जाएंगे. महागठबंधन ने भी वादे किए, लेकिन एनडीए ने सीधे खाते में पैसा डालकर भरोसा जीत लिया.

20 साल की नीतियों का लाभ

महिलाओं का यह समर्थन सिर्फ एक बार के कैश ट्रांसफर की वजह से नहीं है. नीतीश कुमार के 20 साल के शासन में महिलाओं के लिए कई बड़े फैसले हुए. साइकिल योजना, जिसने लाखों लड़कियों को स्कूल तक पहुंचाया. जीविका समूहों के जरिए आर्थिक आत्मनिर्भरता.पंचायतों और नगर निकायों में 50% आरक्षण. आज जो महिलाएं 10,000 रुपये पा रही हैं, वे वही पीढ़ी हैं जिन्हें पहली बार साइकिल मिली थी.

शराबबंदी पर जनमत

2016 में लागू की गई शराबबंदी महिलाओं के बीच अब भी बेहद लोकप्रिय है. घरेलू हिंसा झेल रहीं गरीब महिलाएं इस फैसले को आज भी राहत की तरह देखती हैं. परिणाम महिलाओं का एक मजबूत वोट बैंक, जो जाति की सीमाओं से ऊपर उठकर नीतीश कुमार के पक्ष में खड़ा रहा.

जंगलराज की याद

आरजेडी राज में कानून-व्यवस्था बिगड़ी थी, जिससे महिलाओं की सुरक्षा सबसे ज्यादा प्रभावित हुई. एनडीए ने चुनाव में इसे बार-बार उठाया. प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि “जंगलराज के सबसे बड़े शिकार महिलाएं और बच्चे थे.” इस नैरेटिव ने भी महिलाओं में डर की पुरानी स्मृति जगाई और वोट बीजेपी-जेडीयू गठबंधन की ओर झुका. इन सभी कारणों ने मिलकर बिहार की चुनावी तस्वीर पूरी तरह बदल दी और महिलाओं ने इस बदलाव में निर्णायक भूमिका निभाई.

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