छपरा के अमनौर प्रखण्ड में एक गांव मे दो भाइयों का एक ऐसा संयुक्त परिवार है, जिनमें एक भाई की पत्नी अंधी है तो दूसरे भाई के बेटे और बेटी अंधा ही पैदा हुए. दोनों आंखों से अंधी महिला भेल्दी थाना क्षेत्र के कोरेया पंचायत के वार्ड 15 की वार्ड सदस्या भी निर्वाचित हुई है. स्थानीय लोगों ने दोनों आंखों से अंधी महिला को वोट देकर जनप्रतिनिधि तो बना दिया, लेकिन जिस सरकार में उन्हें क्षेत्र में विकास करने का नेतृत्व मिला है. उसी सरकारी विभाग की उदासीनता के चलते इस परिवार को कोई भी सरकारी सुविधा प्रदान नहीं है.
दिव्यांग वार्ड सदस्या के पति भी विकलांग
भेल्दी थाना क्षेत्र के कोरेया पंचायत की सैंडलपुर निवासी सिंटू सिंह की पत्नी वार्ड 15 की वार्ड सदस्या प्रतिमा देवी है, सिंटू सिंह की अखबार पहुंचाने वाली गाड़ी पर उपचालक का काम पश्चिम बंगाल में करते थे,और तभी एक्सीडेंट में उन्हें एक हाथ गंवाना पड़ा. इधर 7 वर्ष की उम्र में निमोनिया होने के बाद प्रतिमा की आंखों की रोशनी चली गई, काफी इलाज के बाद भी आंखों की रोशनी नहीं लौटी तो 2007 में सिंटू की शादी प्रतिमा से हुई.
प्रतिमा को दो बेटे और एक बेटी है, जो पूरी तरह से स्वस्थ्य है और पूरे परिवार की जिम्मेवारी एक हाथों से खिंचने वाले सिंटू सिंह या उनकी पत्नी को अब तक कोई भी दिव्यांगता का लाभ या पेंशन नहीं मिला. वहीं दिव्यांग वार्ड सदस्या प्रतिमा देवी ने कहा कि उनका आधार कार्ड नहीं बना है. इसलिए उन्हें कोई लाभ नहीं मिलता, कारण की आंखों की रोशनी नहीं होने के चलते उनका आधार एप्लिकेशन हमेशा रिजेक्ट हो जाता है. आंखों से दिखाई नहीं देने के बावजूद भी प्रतिमा अपने बच्चों से पूछकर घर और रसोई का काम कर लेती है.
वही सिंटू के छोटे भाई अंटू सिंह है, जो धान बीज के कम्पनी का गाड़ी चलाते हैं. उनकी शादी 2012 में प्रियंका सिंह से हुई. प्रियंका देवी को 2013 में एक पुत्र हुआ, जो अंधा था. बच्चा अंधा होने को लेकर तरह-तरह की चर्चाएं हुई तो किसी ने कहा कि ग्रहण लगने के कारण ऐसा हुआ है, फिर 2015 में प्रियंका को जब दूसरा पुत्र हुआ तो वह भी अंधा ही था. इसके बाद परिवार में बच्चे के जन्म पर उतनी खुशियां नहीं हुई जितनी दुःखों का पहाड़ टूट पड़ा. फिर तीन वर्ष बाद एक बार फिर प्रियंका परेंगेनेट हुई और इस बार उसने चिकित्सीय सलाह ली, तो चिकित्सक ने शरीर में आयरन की कमी की वजह से ऐसे होने की बात बताई तो प्रियंका ने उसका इलाज करवाया, लेकिन जब 2018 में बेटी ने जन्म लिया तो वह भी अंधी ही थी. तब से किस्मत को यह परिवार कोसते हुए, प्रियंका अपने बच्चों को तैयार करने से लेकर दिनभर उसकी देखभाल में ही बिताती है. इस परिवार में कुल 4 अंधे हैं, बाबजूद इसके इस परिवार को ना तो राशन कार्ड ही उपलब्ध है और ना ही कोई दिव्यांगता पेंशन मिल रही है.
Source : News Nation Bureau