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बिहार में बनेगी 16200 किलोमीटर लंबी मानव श्रृंखला, जानिए क्यों( Photo Credit : फाइल फोटो)
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बिहार में एक बार फिर मानव श्रृंखला के जरिए पर्यावरण संरक्षण का संदेश देने की तैयारी शुरू हो गई है. राज्य के नागरिक अगले वर्ष 19 जनवरी को एक-दूसरे का हाथ थामकर जल-जीवन-हरियाली अभियान का समर्थन करते हुए पर्यावरण संरक्षण का संदेश देंगे.
बिहार में बनेगी 16200 किलोमीटर लंबी मानव श्रृंखला, जानिए क्यों( Photo Credit : फाइल फोटो)
बिहार में एक बार फिर मानव श्रंखला के जरिए पर्यावरण संरक्षण का संदेश देने की तैयारी शुरू हो गई है. राज्य के नागरिक अगले वर्ष 19 जनवरी को एक-दूसरे का हाथ थामकर जल-जीवन-हरियाली अभियान का समर्थन करते हुए पर्यावरण संरक्षण का संदेश देंगे. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के निर्देश पर राज्य में तीसरी बार मानव श्रंखला बनने जा रही है. 19 जनवरी, 2020 को पूरे राज्य के लोग एक-दूसरे का हाथ पकड़ कर खड़े होंगे. इस बार की मानव श्रंखला कम से कम 16,200 किलोमीटर लंबी होगी.
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इस आयोजन के लिए नोडल बने शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव आर. के. महाजन ने राज्य के सभी जिलाधिकारियों, पुलिस अधीक्षकों सहित अन्य अधिकारियों को दिशा-निर्देश जारी किए हैं. निर्देश के मुताबिक, जिलों में जिलाधिकारी और पुलिस अधीक्षक मानव श्रंखला बनने का रूट तय करेंगे. मुख्य सड़कों के साथ सहायक सड़कों पर भी मानव श्रंखला बनाई जाएगी, जिसमें वर्ग एक से पांच तक के बच्चे भाग नहीं लेंगे. सभी जिलों के जिलाधिकारियों से 10 दिसंबर तक मानव श्रंखला का रूट मांगा गया है.
निर्देश के मुताबिक, इस मानव श्रंखला की शुरुआत मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पटना के गांधी मैदान से करेंगे. सुबह 11.30 से दोपहर 12 बजे तक बनने वाली इस मानव श्रंखला में सरकारी कर्मचारियों, संविदाकर्मियों, सरकारी-गैरसरकारी विद्यालयों, महाविद्यालयों के शिक्षकों और कर्मियों, जीविका दीदी, आशा कार्यकर्ता, सेविका, सहायिका और छात्र-छात्राएं शामिल होंगे. इसके लिए प्रचार-प्रसार भी किया जाएगा. उल्लेखनीय है कि पहले भी शराबबंदी को लेकर बिहार में मानव श्रंखला का आयोजन किया जा चुका है.
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वहीं, इससे पहले मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने मंगलवार को चंपारण की धरती से अपनी जल-जीवन-हरियाली यात्रा की शुरुआत की. इस यात्रा के क्रम में लोगों को जल और हरियाली के विषय में जागरुक किया जा रहा है. बिहार में पहले 15 फीसदी जमीन पर हरियाली, पेड़-पौधे हैं, लेकिन अब सरकार की इसे अगले कुछ सालों में 17 प्रतिशत करने की योजना है. इस यात्रा का मुख्य उद्देश्य लोगों को पर्यावरण के प्रति जागरूक करना भी है. गौरतलब है कि मुख्यमंत्री पहले भी यात्राओं पर निकलते रहे हैं. इस दौरान वो जनता से सीधे जुड़ने की कोशिश करते हैं. मुख्यमंत्री जनता से मिले सुझावों को लागू भी करते हैं. इस यात्रा को इसी से जोड़कर देखा जा रहा है. इससे पहले नीतीश कुमार न्याय यात्रा, विकास यात्रा, धन्यवाद यात्रा, प्रवास यात्रा, विश्वास यात्रा, सेवा यात्रा, अधिकार यात्रा, संकल्प यात्रा, संपर्क यात्रा, निश्चय यात्रा, समीक्षा यात्रा कर चुके हैं.
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