पूर्वी भारत को पश्चिमी भारत से जोड़ने वाला 100 साल पुराना किऊल पुल बंद हो गया. इसके पास ही बने नए पुल से ट्रेनों का परिचालन प्रारंभ कर दिया गया है. अंग्रेजों के जमाने में बने इस पुल कई खामियां आ गई थी, जिस कारण ट्रेनों (Trains) की आवाजाही पर असर पड़ने लगा था. पूर्व-मध्य रेलवे के मुख्य जनसंपर्क अधिकारी राजेश कुमार ने बताया कि इस पुराने पुल को रविवार को स्थायी रूप से बंद कर दिया गया, जबकि नए पुल पर ट्रेनों का आवागमन प्रारंभ कर दिया गया है.
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उन्होंने बताया, 'रविवार को किऊल-लखीसराय पुल होकर स्टाफ स्पेशल गुजरी, इस प्रकार इस ऐतिहासिक पुल से गुजरने वाली यह अंतिम रेल सेवा बनी. 100 वषों से भी अधिक अवधि के दौरान इस पुल से अनगिनत यात्री ट्रेनों और मालगाड़ियों के गुजरने तथा करोड़ों यात्रियों के जीवन का छोटा सा हिस्सा बनने के साथ यह पुल रेलवे की लंबी विकास यात्रा का साक्षी रहा है. अपनी स्मरणीय यात्रा के बाद अब यह पुल भारतीय रेल के गौरवशाली अतित का एक हिस्सा बन गया.'
पुराना किऊल पुल अपने आप में कई महत्वपूर्ण यादों को समेटे हुए है. पूर्वी भारत को पश्चिमी भारत से जोड़ने में अपना अहम योगदान देते हुए 100 वर्ष से भी अधिक इस पर सफलतापूर्वक ट्रेनों का परिचालन होता रहा. काफी पुराना पुल हो जाने के कारण इसमें कई खामियां आ गई थीं, जिससे सुरक्षा के दृष्टिकोण से ट्रेनों की आवाजाही पर असर पड़ने लगा था. पिछले काफी दिनों से इस पुल पर ट्रेनों का परिचालन नियंत्रित गति के साथ अत्यंत ही सावधानीपुर्वक किया जा रहा था. सुरक्षा के दृष्टिकोण से बड़ी मालगाड़ियों का परिचालन स्थगित कर दिया गया था.
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रेलवे के अधिकारियों ने बताया कि किऊल -लखीसराय स्टेशन के बीच इस पुल के अप लाइन के गर्डर का निर्माण द हार्सले कंपनी लिमिटेड टिपटॉन, इंगलैंड द्वारा तथा डाउन लाइन के गर्डर का निर्माण डोरमान लांग एंड कंपनी को-लिमिटेड द्वारा किया गया था. पिछले वषों में पुल में खराबी आने के बाद मेसर्स बुल्डवर्थ को इस पुल के मरम्मत कार्य की जिम्मेवारी सौंपी गई. 35 क्रस गर्डर तथा कुछ अन्य कार्य के बाद अप एवं डाउन लाइन पर 20 किलोमीटर प्रतिघंटा गति से ट्रेन परिचालन के लायक कार्य पूरा हो गया.
इसके बाद मेसर्स रावर्टसन द्वारा मरम्मत कार्य की अनुमति दिए जाने के बाद अप एवं डाउन के शेष बचे गर्डर के बदलने सहित पुल संबंधी अन्य कार्य पूरे किए गए. वर्ष 2016 में अप लाइन पर 30 किलोमीटर प्रतिघंटा तथा डाउन लाइन पर 50 किलोमीटर प्रतिघंटा की नियंत्रित गति से ट्रेनों का परिचालन प्रारंभ किया गया था.
राजेश कुमार कहते हैं, 'पुराने किऊल ब्रिज की खराब होती स्थिति तथा रेल परिवहन से संबंधित भविष्य की आवश्यकताओं को देखते हुए पुराने किऊल रेल पुल के समानांतर एक नए रेल पुल का निर्माण गया. अब नए पुल के शुरू हो जाने से सभी समस्याएं दूर हो जाएंगी. उन्होंने बताया कि अब इस पुल से ट्रेनों का परिचालन अधिकतम 110 किलोमीटर प्रतिघंटा तक की गति से किया जा सकेगा.'
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