असम-मिजोरम सीमा पर भड़की हिंसा, असम के 6 जवान शहीद, जानें क्या है विवाद की वजह?
र्वोत्तर के राज्यों में चल रहे सीमा-विवाद का मामला फिर से तेजी पकड़ रहा है. हालांकि बीते रविवार को ही अमित शाह ने अपने पूर्वोत्तर राज्यों के दौरे पर सीमा विवाद के मामले पर बातचीत की थी.
highlights
- असम-मिजोरम सीमा विवाद फिर से भड़का
- दोनों राज्यों के मुख्यमंत्री सोशल मीडिया पर भी भड़के
- गृहमंत्री अमित शाह को मामले में देना पड़ा दखल
नई दिल्ली:
पूर्वोत्तर के राज्यों में चल रहे सीमा-विवाद का मामला फिर से तेजी पकड़ रहा है. हालांकि बीते रविवार को ही अमित शाह ने अपने पूर्वोत्तर राज्यों के दौरे पर सीमा विवाद के मामले पर बातचीत की थी. लेकिन अगले ही दिन सोमवार को इसके विपरीत असम-मिजोरम के बीच सीमा विवाद पर फिर से हिंसा भड़क उठी. मामला असम के कछार जिले से लगती मिजोरम की सीमा का है. जहां सीमा-विवाद के चलते, असम पुलिस और मिजोरम के लोगों के बीच हिंसा शुरू हो गई. इस मामले में, असम के सीएम हेमंत बिस्व सरमा ने कहा कि इस हिंसा में उनके 6 जवानों की मौत हुई. मिजोरम के CM जोरमथंगा ने भी हिंसा का वीडियो सोशल मीडिया पर शेयर किया और असम पुलिस पर ये आरोप लगाया कि असम पुलिस ने आम लोगों पर आंसू गैस के गोले फेंके हैं और लाठियां बरसाई हैं.
विवाद को संभालने के लिए केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को देना पड़ा दखल
यह सीमा-विवाद और हिंसा का मामला इस कदर बढ़ता चला गया कि दोनों राज्यों के मुख्यमंत्री सोशल मीडिया पर ही भिड़ गए और अपने वीडियो में प्रधानमंत्री कार्यालय और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को टैग कर उनसे दखल की मांग की. मिली जानकारी के अनुसार, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने दोनों मुख्यमंत्रियों से बात कर विवाद का शांतिपूर्ण समाधान निकालने को कहा है.
क्या है दोनों राज्यों के बीच विवाद का कारण?
भारत के पूर्वोत्तर में स्थित असम और मिजोरम पड़ोसी राज्य हैं और एक-दूसरे पर अतिक्रमण का आरोप लगाते रहते हैं. विवाद की वजह है कि मिजोरम के तीन जिले आइजोल, कोलासिब, ममित और असम के तीन जिले कछार, करीमगंज और हैलाकांडी एक दूसरे से सटे हुए हैं. इन्हीं जिलों की सीमा पर दोनों राज्यों के बीच आपस में विवाद होता रहता है.
लगभग 100 साल पुराना है यह सीमा विवाद
असम-मिजोरम की सीमा का यह विवाद लगभग सौ साल पुराना है. कारण यह है कि पहाड़ी इलाकों में कृषि के लिए जमीन बहुत कम है. इसीलिए जमीन के छोटे से टुकड़े की अहमियत बहुत ज्यादा होती है. इस बार सीमा पर जुलाई के शुरूआत में असम पुलिस ने कुछ जमीन को अपनी जमीन बताते हुए अतिक्रमण हटाने का अभियान शुरू किया था, उसके बाद से दोनों राज्यों के बीच का यह सीमा विवाद, जो अभी शांत चल रहा था, फिर गरमा गया है. असम पुलिस के एक अफसर ने बताया कि सीमा पार से उपद्रवियों ने उस समय अचानक गोलीबारी शुरू कर दी, जब दोनों पक्षों के अफसर मतभेदों को सुलझाने के लिए बातचीत कर रहे थे. इस हिंसा में कछार के एसपी समेत 50 पुलिसकर्मी घायल हुए हैं.
हालांकि इस सीमा विवाद को खत्म करने के लिए 1995 के बाद से कई बार वार्ता हुई है, लेकिन उस वार्ता का कोई विशेष फायदा नहीं हुआ. मिजोरम ने हाल ही में एक सीमा आयोग का गठन भी किया. बीते सप्ताह में गृह मंत्री अमित शाह ने भी पूर्वोत्तर राज्यों के मुख्यमंत्रियों के साथ बैठक भी की थी. जिसके बाद इस मामले के शांत होने की उम्मीद थी.
वहीं मिजोरम के एक अधिकारी ने कहा कि मिजोरम जहां बंगाल पूर्वी सीमांत नियम, 1873 के तहत 1875 में अधिसूचित 509 वर्ग मील के आरक्षित वन क्षेत्र के अंदरुनी हिस्से को सीमा मानता है. वहीं, असम 1933 में तय संवैधानिक नक्शे को मानता है. उन्होंने कहा कि 1933 के नक्शे की सीमा थोपी गई थी क्योंकि परिसीमन के समय मिजोरम की राय नहीं ली गई थी और दोनों राज्यों द्वारा संयुक्त रूप से सीमाओं का सत्यापन नहीं हुआ था.
इसके अलावा असम का मेघालय के साथ भी सीमा विवाद है. बीते दिनों असम के सीएम ने विवाद पर शिलांग में अपने मेघालय समकक्ष कोनराड संगमा के साथ चर्चा की. मेघालय सचिवालय के योजना भवन में शुक्रवार शाम हुई चर्चा के दौरान मेघालय सरकार ने राज्य के 12 विवादित स्थानों पर अपना दावा किया. इस बीच, असम सरकार ने भी दस्तावेजों के साथ इसे सही ठहराते हुए कहा कि ये स्थान असम के हैं. फिलहाल अभी केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने मुद्दे को संभाला है और आगे इस मुद्दे पर गहन चर्चा की उम्मीद है.
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