Assam के हैलाकांडी जिले में 1,100 से अधिक उग्रवादियों ने सरेंडर किया
असम के हैलाकांडी जिले में दो उग्रवादी समूहों ब्रू लिबरेशन आर्मी यूनियन (बीएलएयू) और यूनाइटेड डेमोक्रेटिक लिबरेशन आर्मी (यूडीएलए) के कम से कम 1,179 उग्रवादियों ने सोमवार को अपने हथियार डाल दिए, अधिकारियों ने यह जानकारी दी.ये दो उग्रवादी समूह दक्षिणी असम के तीन जिलों- कछार, करीमगंज और हैलाकांडी में असम-मिजोरम सीमा पर सक्रिय थे. एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी के अनुसार, उग्रवादियों ने एके-47, एम-16 राइफलों सहित अपने सभी आग्नेयास्त्रों के साथ-साथ 400 से अधिक कारतूसों के साथ आत्मसमर्पण किया.
गुवाहाटी:
असम के हैलाकांडी जिले में दो उग्रवादी समूहों ब्रू लिबरेशन आर्मी यूनियन (बीएलएयू) और यूनाइटेड डेमोक्रेटिक लिबरेशन आर्मी (यूडीएलए) के कम से कम 1,179 उग्रवादियों ने सोमवार को अपने हथियार डाल दिए, अधिकारियों ने यह जानकारी दी.ये दो उग्रवादी समूह दक्षिणी असम के तीन जिलों- कछार, करीमगंज और हैलाकांडी में असम-मिजोरम सीमा पर सक्रिय थे. एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी के अनुसार, उग्रवादियों ने एके-47, एम-16 राइफलों सहित अपने सभी आग्नेयास्त्रों के साथ-साथ 400 से अधिक कारतूसों के साथ आत्मसमर्पण किया.
उन्होंने आगे कहा कि राजेश चरकी के नेतृत्व में बीआरएयू के 634 सदस्यों और धन्याराम रियांग के नेतृत्व में यूडीएलएफ-बीवी के 545 उग्रवादियों ने हैलाकांडी जिले के कटिलेचेरा क्षेत्र में आयोजित समारोह में आत्मसमर्पण किया. पुलिस अधिकारी ने कहा, इन दोनों समूहों के साथ शांति प्रक्रिया 2017 में शुरू हुई थी, लेकिन कुछ मतभेद थे. अब इसे सुलझाया जा सकता है, उग्रवादी बातचीत के लिए बाहर आए. उनकी पुनर्वास प्रक्रिया जल्द ही अमल में आएगी.
दोनों उग्रवादी समूहों के आत्मसमर्पण करने के कार्यक्रम में असम विधानसभा के अध्यक्ष बिस्वजीत दैमारी और राज्य के मंत्री पीयूष हजारिका भी मौजूद थे. दैमारी ने कहा कि राज्य सरकार आत्मसमर्पण करने वाले उग्रवादियों की चिंताओं का समाधान करेगी और उनके लिए धन उपलब्ध कराएगी. इस बीच, हजारिका ने उल्लेख किया कि क्षेत्र में विकास की कमी के कारण उग्रवादी समूहों का गठन पहले किया गया था, और वर्तमान सरकार उनकी वास्तविक मांगों को पूरा करने के लिए पूरी तरह से प्रतिबद्ध है.
बीआरएयू नेता चरकी ने कहा कि वह अभी की स्थिति से खुश हैं, लेकिन उन्होंने सभी को रियांग समुदाय के लिए एक स्वायत्त आर्थिक परिषद की उनकी प्राथमिक मांग की याद दिलाई. पुलिस के अनुसार, दोनों उग्रवादी समूह 1990 के दशक में असम-मिजोरम सीमा पर, विशेष रूप से हैलाकांडी जिले में सक्रिय थे. उन पर हत्या, जबरन वसूली, अपहरण और अन्य अवैध गतिविधियों में शामिल होने का आरोप लगाया गया था.
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