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बांग्लादेश में हिंदुओं पर हमले जारी (Social Media)
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India-Bangladesh Relations: बांग्लादेश में हिंदुओं पर हो रहे हमलों के चलते कोलकाता के मानिकतल्ला में स्थित जेएन रॉय अस्पताल बांग्लादेशी नागरिकों का इलाज करने से इनकार कर चुका है. अब एक राज्य के होटलों ने भी बांग्लादेशियों के प्रवेश को बैन कर दिया है.
बांग्लादेश में हिंदुओं पर हमले जारी (Social Media)
India-Bangladesh Relations: बांग्लादेश में हिंदुओं पर हो रहे हमलों के बाद दोनों देशों के बीच संबंध लगातार खराब होते जा रहे हैं. भारत लगातार इन हमलों का विरोध कर रहा है, लेकिन बांग्लादेश की सरकार इनपर रोक नहीं लगा पा रही है. जिसे लेकर अब भारत भी सख्ती दिखाने लगा है. इस बीच असम की बराक घाटी के होटलों ने बांग्लादेशियों के प्रवेश पर रोक लगा दी है. होटलों ने अपनी घोषणा में कहा है कि जब तक बांग्लादेश में हिंदुओं और अन्य अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों पर हमले बंद नहीं हो जाते, तब तक वे किसी भी बांग्लादेशी नागरिक को अपनी सेवाएं नहीं देंगे.
बता दें कि जिन जिलों के होटलों ने बांग्लादेशियों पर बैन लगाया है उनमें बराक घाटी में कछार, श्रीभूमि (पूर्व में करीमगंज) और हैलाकांडी समेत तीन जिले शामिल हैं. बराक घाटी बांग्लादेश के सिलहट क्षेत्र के साथ 129 किलोमीटर लंबी सीमा साझा करती है. बराक घाटी होटल और रेस्तरां एसोसिएशन के अध्यक्ष बाबुल राय का कहना है कि 'बांग्लादेश में हिंदुओं और अन्य अल्पसंख्यकों की स्थिति चिंताजनक है.'
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उन्होंने कहा कि, 'हम इसे किसी भी तरह से स्वीकार नहीं कर सकते. इसलिए हमने फैसला किया है कि जब तक स्थिति में सुधार नहीं होता और हिंदुओं पर अत्याचार नहीं रुकते तब तक हम बराक घाटी के तीनों जिलों में पड़ोसी देश के किसी भी नागरिक को अपने यहां नहीं ठहरने देंगे. विरोध जताने का ये हमारा तरीका है.'
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बाबुल राय का कहना है कि, 'बांग्लादेश के लोगों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि देश में स्थिरता लौट आए. अगर स्थिति में सुधार होता है तभी हम अपने फैसले पर पुनर्विचार कर सकते हैं.' बता दें कि इससे पहले कोलकाता का जेएन रॉय अस्पताल भी इसी तरह का फैसला ले चुका है और अस्पताल ने किसी भी बांग्लादेशी का इलाज करना बंद कर दिया है.
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यही नहीं हाल ही में बजरंग दल ने सिलचर में एक वैश्विक प्रदर्शनी के आयोजकों से बांग्लादेश में हिंदुओं पर हो रहे अत्याचारों के विरोध में बांग्लादेशी उत्पाद बेचने वाले दो स्टॉल को बंद करने की मांग थी, बाद में इन्हें बंद करा दिया गया था.