असम की सियासी जमीन एक बार फिर गरमाने लगी है. 2026 के विधानसभा चुनाव को लेकर तैयारियां जोरों पर हैं और अब मुस्लिम बहुल इलाकों में खासा प्रभाव रखने वाली ऑल इंडिया युनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट (AIUDF) ने भी अपना पत्ता खोल दिया है. पार्टी के कद्दावर नेता और विधायक अमीनुल इस्लाम ने साफ कर दिया है कि इस बार AIUDF किसी गठबंधन के भरोसे नहीं बैठेगी-बल्कि अकेले चुनावी रण में उतरेगी.
अकेले चुनाव, बदरुद्दीन अजमल की अगुवाई
AIUDF के विधायक अमीनुल इस्लाम ने मीडिया से बातचीत में कहा कि पार्टी अध्यक्ष बदरुद्दीन अजमल की अगुवाई में AIUDF असम की 126 में से 35 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारेगी. यह फैसला पार्टी की रणनीतिक बैठक के बाद लिया गया है, जिसमें आगामी चुनाव की रूपरेखा तैयार की गई.
अमीनुल इस्लाम ने दो टूक कहा, "हम भाजपा को हराने के लिए प्रतिबद्ध हैं, लेकिन कांग्रेस या कोई और पार्टी भाजपा को अकेले नहीं हरा सकती. सभी विपक्षी दलों को साथ आना चाहिए." हालांकि, उन्होंने यह भी संकेत दिया कि अगर कांग्रेस गठबंधन के लिए संपर्क करती है, तो AIUDF उस पर विचार कर सकती है. मगर अब की स्थिति में पार्टी अकेले ही चुनाव लड़ने जा रही है.
2021 की कहानी: जब महागठबंधन भी नहीं चला
अगर पीछे मुड़कर देखा जाए, तो साल 2021 के चुनाव में कांग्रेस, AIUDF, BPF और वामपंथी दलों ने मिलकर भाजपा को हटाने की कोशिश की थी. उस समय AIUDF को 16 सीटें मिली थीं और कांग्रेस को 29. गठबंधन कुल 44 सीटों पर सिमट गया, जो बहुमत के आंकड़े से बहुत दूर था.
वहीं भाजपा ने अपने सहयोगी दलों-असम गण परिषद (AGP) और यूनाइटेड पीपुल्स पार्टी लिबरल (UPPL)- के साथ मिलकर 75 सीटें जीतीं और सत्ता में लौट आई. उस चुनाव में AIUDF को मुस्लिम बहुल इलाकों से समर्थन तो मिला, लेकिन वह निर्णायक नहीं बन सका.
क्या 2026 में बदलेगा समीकरण?
AIUDF का यह अकेले चुनाव लड़ने का फैसला असम की राजनीति में नया समीकरण पैदा कर सकता है. जहां भाजपा लगातार अपने जनाधार को मजबूत कर रही है, वहीं विपक्ष बिखरा हुआ नजर आ रहा है. ऐसे में AIUDF की यह रणनीति एक ओर उसे मजबूत पहचान दिला सकती है, तो दूसरी ओर मुस्लिम वोटों का बिखराव भी हो सकता है.
बदरुद्दीन अजमल की पार्टी का यह दांव सियासी तौर पर जोखिम भरा जरूर है, लेकिन यह भी सच है कि AIUDF राज्य के खास क्षेत्रों में आज भी मजबूत जनाधार रखती है. सवाल यह है कि क्या 35 सीटों पर अकेले चुनाव लड़ना पार्टी को सत्ता के करीब ले जा पाएगा, या यह भाजपा को एक बार फिर मजबूती देगा?
असम का राजनीतिक परिदृश्य एक बार फिर करवट ले रहा है. AIUDF का अकेले चुनाव लड़ना ना सिर्फ उसकी रणनीतिक दिशा को दर्शाता है, बल्कि यह भी बताता है कि अब छोटे दल अपनी राजनीतिक पहचान और अस्तित्व को लेकर ज्यादा सतर्क हैं. 2026 का चुनाव क्या गुल खिलाएगा, यह तो वक्त बताएगा, लेकिन एक बात तय है - मुकाबला दिलचस्प होगा.
(रिपोर्ट: सैयद उवैस अली)