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Kerala के पलक्कड़ में दहशत का माहौल, हाथी की तलाश जारी

केरल के पलक्कड़ जिले के धोनी क्षेत्र के लोगों की नींद उड़ी हुई है. पीटी-7 नाम का हाथी मानव बस्तियों में लगातार घुसने की कोशिश कर रहा है और फसलों और घरों को नुकसान पहुंचा रहा है. हालांकि राज्य सरकार ने हाथी को पकड़ने के बाद उसे केरल के वायनाड जिले में मुथंगा हाथी अभयारण्य में रखने का फैसला किया है. पलक्कड़ के धोनी में काम करने वाले मुथुकुमार (49) ने आईएएनएस से बात करते हुए कहा, कल जब मैं अपने काम से घर लौट रहा था तो हाथी सड़क किनारे मौजूद था.

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IANS
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Elephant

(source : IANS)( Photo Credit : Twitter )

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केरल के पलक्कड़ जिले के धोनी क्षेत्र के लोगों की नींद उड़ी हुई है. पीटी-7 नाम का हाथी मानव बस्तियों में लगातार घुसने की कोशिश कर रहा है और फसलों और घरों को नुकसान पहुंचा रहा है. हालांकि राज्य सरकार ने हाथी को पकड़ने के बाद उसे केरल के वायनाड जिले में मुथंगा हाथी अभयारण्य में रखने का फैसला किया है. पलक्कड़ के धोनी में काम करने वाले मुथुकुमार (49) ने आईएएनएस से बात करते हुए कहा, कल जब मैं अपने काम से घर लौट रहा था तो हाथी सड़क किनारे मौजूद था.

मुझे बचने के लिए भागना पड़ा और फिर तुरंत वन विभाग को सूचित किया. वन अधिकारियों ने आकर पटाखे जलाए और हाथी को भगाने की कोशिश की, लेकिन वह उसे भगाने में असफल रहे. पीटी-7 हाथी की उपस्थिति धोनी के लोगों की रातों की नींद हराम कर रही है क्योंकि हाथी ने कुछ महीने पहले मॉनिर्ंग वॉकर शिवरामन (65) को मौत के घाट उतार दिया था.

फॉरेस्ट फ्लाइंग स्क्वाड के साथ एक अधिकारी ने आईएएनएस से बात करते हुए कहा, हम भी इंसान हैं और एक बार जब हम पटाखे फोड़ रहे थे और हाथी को डराने की कोशिश कर रहे थे, तो वह हमारी ओर बढ़ रहा था तब हम अपनी सुरक्षा के लिए वहां से भागे.

वन अधिकारियों ने यह भी शिकायत की है कि पटाखों के अलावा उनके पास हाथी का पता लगाने के लिए केवल टॉर्च का साधन उपलब्ध है. वन विभाग के अधिकारियों को परेशान करने वाला एक और मुद्दा जंगली सूअर जैसे अन्य जानवरों के क्षेत्र में प्रवेश करने और फसलों और अन्य कृषि उत्पादों को नष्ट करने की संभावना है.

डिस्क्लेमरः यह आईएएनएस न्यूज फीड से सीधे पब्लिश हुई खबर है. इसके साथ न्यूज नेशन टीम ने किसी तरह की कोई एडिटिंग नहीं की है. ऐसे में संबंधित खबर को लेकर कोई भी जिम्मेदारी न्यूज एजेंसी की ही होगी.

Source : IANS

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