केरल का ट्रैवल एजेंट जीवनरक्षक बना, वैन को एम्बुलेंस में किया परिवर्तित
देश के सबसे युवा महापौर तिरुवनंतपुरम निगम के आर्य राजेंद्रन ने शनिवार को निगम कार्यालय परिसर से एंबुलेंस को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया.
highlights
- एक ट्रैवल एजेंसी के मालिक ने मरीजों की मदद के लिए अपनी वैन को एम्बुलेंस में बदला
- 54 वर्षीय शाहजहां तिरुवनंतपुरम के बाहरी इलाके बलरामपुरम में एक ट्रैवल एजेंसी चलाते हैं
तिरुवनंतपुरम:
देश भर में कोविड की दूसरी लहर के बीच, केरल के बलरामपुरम में एक ट्रैवल एजेंसी के मालिक ने मरीजों की मदद के लिए अपनी वैन को एम्बुलेंस में बदल दिया है, जिसमें ऑक्सीजन सिलेंडर सहित कई आवश्यक चिकित्सा सामग्री मौजूद हैं. 54 वर्षीय शाहजहां तिरुवनंतपुरम के बाहरी इलाके बलरामपुरम में एक ट्रैवल एजेंसी चलाते हैं. हालांकि केरल स्वास्थ्य विभाग महामारी से प्रभावित लोगों को पूरा करने के लिए एम्बुलेंस और अन्य वाहन और बुनियादी ढाँचा उपलब्ध कराने के प्रयास कर रहा है, लेकिन कई बार परेशानी आ जाती है . जब संक्रमित मामले ज्यादा हो जाते हैं तो मांग बढ़ जाती है. ऐसे में अस्पतालों में तत्काल ध्यान देने और परिवहन की आवश्यकता ऑक्सीजन की आवश्यकता के साथ होती है . कई लोगों की दुर्दशा को देखकर जिन्हें एम्बुलेंस में जाने के लिए अनिश्चितता में इंतजार करना पड़ा, शाहजहाँ ने अपनी पर्यटक वैन को एम्बुलेंस में बदल लिया. एम्बुलेंस एक ऑक्सीजन सिलेंडर से सुसज्जित है और सेवा मुफ्त में दी जाती है, रोगियों के लिए एम्बुलेंस चौबीसों घंटे उपलब्ध है.
फिलहाल ट्रैवल एजेंसी के मालिक, सह चालक से परोपकारी बन और एक वैन को एंबुलेंस में तब्दील कर दिया है. वह जरूरत पड़ने पर अपनी और वैन को एंबुलेंस में बदलने के लिए तैयार हैं. देश के सबसे युवा महापौर तिरुवनंतपुरम निगम के आर्य राजेंद्रन ने शनिवार को निगम कार्यालय परिसर से एंबुलेंस को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया. शाहजहाँ ने बताया, "वर्तमान में, यहां अपर्याप्त एम्बुलेंस हैं, भले ही राज्य के स्वास्थ्य विभाग ने कोविड 19 रोगियों की मदद करने के लिए अपनी क्षमता में सब कुछ किया है. एम्बुलेंस की कमी है और मांग अधिक है. मैंने सोचा कि मैं इस महामारी मैं कुछ कर सकता हूं और इसलिए इस एम्बुलेंस को शुरु किया ताकि लोगों की कुछ मदद हो सके."
17 सीटों वाली वैन की सीटों को स्ट्रेचर में बदलने के बाद इसे एम्बुलेंस में बदल दिया गया. शाहजहाँ ने कहा, "अस्पताल से या किसी मरीज या उसके परिवार से एक एसओएस का फोन आता है, एम्बुलेंस सेवा के लिए तैयार रहती है, सर्विस देने के बाद जिसके बाद दोवारा ऑक्सीजन या तो अस्पताल से या ऑक्सीजन वॉर रूम से फिर से भरी जाती है." उनके पास अपने कुछ ड्राइवर हैं, भले ही कोई व्यवसाय नहीं है क्योंकि यात्रा उद्योग महामारी से सबसे ज्यादा प्रभावित है. यदि स्थिति उत्पन्न होती है तो वह एम्बुलेंस चलाने के लिए तैयार हो जाते है. उन्हें बलरामपुरम पंचायत और मोटर वाहन विभाग से पहले ही अनुमति मिल चुकी है और वह जिला कलेक्टर से मंजूरी मिलने का इंतजार कर रहे हैं.
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