logo-image

केरल CM पिन्नराई विजयन ने 4 जून को पर बुलाई सर्वदलीय बैठक, जानें वजह

केरल के मुख्यमंत्री पिन्नराई विजयन ने केरल उच्च न्यायालय के फैसले के बाद 4 जून को सर्वदलीय बैठक (All Party Meeting) बुलाई है. इस बैठक में अल्पसंख्यक छात्रवृत्ति (minority scholarships issue ) के मामले पर की स्थिति पर चर्चा की जाएगी.

Updated on: 02 Jun 2021, 04:23 PM

highlights

  • केरल हाई कोर्ट के फैसले के बाद मुश्किल में सरकार
  • अल्पसंख्यकों को दी जाने वाली स्कॉलरशिप पर बवाल
  • सीएम पिन्नराई विजयन ने 4 जून को बुलाई आल पार्टी मीटिंग

तिरुवनंतपुरम:

केरल के मुख्यमंत्री पिन्नराई विजयन (Kerala CM Pinnarai Vijayan) ने केरल उच्च न्यायालय के फैसले (Verdict of Kerala High Court) के बाद 4 जून को सर्वदलीय बैठक (All Party Meeting) बुलाई है. इस बैठक में अल्पसंख्यक छात्रवृत्ति (minority scholarships issue ) के मामले पर की स्थिति पर चर्चा की जाएगी. दरअसल शुक्रवार को केरल हाई कोर्ट ने राज्य सरकार के 6 साल पुराने उस आदेश को रद्द कर दिया, जिसके अंतर्गत अल्पसंख्यक के नाम पर केरल में 80 फीसदी मुसलमानों को स्कॉलरशिप दी जा रही थी और इसमें राज्य के महज 20 फीसदी ईसाइयों को ही इसका लाभ मिल रहा था. केरल हाई कोर्ट के इस फैसले के बाद वहां के मुस्लिम समुदाय में नाराजगी दिखाई दी जबकि ईसाइयों में जबर्दस्त खुशी की लहर दिखाई दी थी.

केरल में अल्पसंख्यक स्कॉलरशिप स्कीम (Minority Scholarship Schemes ) को लेकर राज्य सरकार को हाईकोर्ट से झटका लगा था जिसके बाद राज्य की पिन्नराई विजयन सरकार मुश्किल में फंस गई है. केरल हाईकोर्ट के फैसले के बाद राज्य के मुस्लिम संगठनों ने कहा है कि केरल सरकार को इस फैसले के खिलाफ अपील करनी चाहिए. जबकि दूसरी तरफ ईसाइयों ने इस फैसले का स्वागत किया है. इस बीच राज्य के मुख्यमंत्री पिन्नराई विजयन ने कहा है कि कोई भी फैसला हाईकोर्ट के ऑर्डर को पढ़ने के बाद ही लिया जाएगा.

'मुसलमानों को मिले पूरी स्कॉलरशिप'
आपको बता दें कि केरल में मुसलमानों का प्रतिनिधित्व करने वाली सबसे बड़ी राजनीतिक पार्टी इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग (IUML) ने केरल सरकार से इस बात की मांग की है कि इस अनुपात को खत्म कर दिया जाना चाहिए और पूरी छात्रवृत्ति मुसलमानों को मिलनी चाहिए. इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत करते हुए IUML के राष्ट्रीय सचिव ई टी मोहम्मद बशीर ने बताया था कि, सरकार अदालत के सामने तथ्य पेश करने में विफल रही. उन्होंने आगे बताया कि राष्ट्रीय स्तर पर सच्चर समिति की रिपोर्ट के बाद छात्रवृत्ति शुरू हुई थी. साल 2006 से 2011 के एलडीएफ शासन ने मुसलमानों के लिए बनाई गई एक योजना में संशोधन किया था. इस संशोधन के मुताबिक लैटिन कैथोलिक और धर्मांतरित ईसाइयों को भी स्कॉलरशिप का एक हिस्सा दिया जा सके. सरकार को अन्य अल्पसंख्यकों के लिए अलग योजनाएं लानी चाहिए.'