कांग्रेस आलाकमान झुका, केरल से जेबी मैथर को राज्यसभा के लिए नामित किया
मैथर एआईसीसी सदस्य हैं और केरल में महिला कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष भी हैं. उनके दादा टी.ओ.बावा पार्टी के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष थे, जबकि उनके पिता राज्य पार्टी यूनिट के पूर्व कोषाध्यक्ष थे.
highlights
- 40 सालों में पहली बार महिला को उच्च सदन में भेजने का फैसला
- इसके पहले श्रीनिवासन कृष्णनन पर दांव खेलना चाहता था नेतृत्व
- रॉबर्ट वाड्रा के करीबी होने पर राज्य कांग्रेस ईकाई ने किया था विरोध
तिरुवनंतपुरम:
अंततः प्रदेश कांग्रेस के नेताओं के दबाव के आगे झुकते हुए केरल कांग्रेस ने अल्पसंख्यक समुदाय की जेबी मैथर को राज्य से अपना राज्यसभा सदस्य नामित किया है. मैथर का नामांकन तब हुआ जब कई दौर की बातचीत के बावजूद नाम पर सहमति नहीं बन सकी और अंत में 3 नामों की एक सूची पार्टी आलाकमान को भेजी गई जिन्होंने उन्हें चुना. उनके नामांकन के साथ कांग्रेस ने 40 सालों में पहली बार किसी महिला को उच्च सदन में भेजने का फैसला किया है. इसके पहले पार्टी सचिव श्रीनिवासन कृष्णनन को राज्य सभा सीट देने का फैसला कर कांग्रेस आलाकमान ने बर्र के छत्ते में हाथ दे दिया था. आलाकमान के इस फैसले से बेहद खफा राज्य कांग्रेस में बवाल मच गया. प्रदेश अध्यक्ष के सुधारकरण ने पार्टी नेतृत्व से इस फैसले को स्वीकार नहीं करने की बात कही. पार्टी सूत्रों का कहना था कि कृष्णनन प्रियंका गांधी और रॉबर्ट वाड्रा के करीबी हैं, इसलिए आलाकमान ने राज्य पार्टी के प्रस्ताव को ठुकरा कर परिवारवाद को बढ़ावा दिया.
वर्तमान में मैथर एआईसीसी सदस्य हैं और केरल में महिला कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष भी हैं. उनके दादा टी.ओ.बावा पार्टी के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष थे, जबकि उनके पिता राज्य पार्टी यूनिट के पूर्व कोषाध्यक्ष थे. संयोग से केरल में मुस्लिम आबादी 3.30 करोड़ राज्य की आबादी का 26 प्रतिशत है. यह हिंदू आबादी (54 प्रतिशत) के बाद सूची में दूसरे स्थान पर है, जबकि ईसाई समुदाय में इसका 18 प्रतिशत हिस्सा है. केरल में प्रमुख इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग कांग्रेस के नेतृत्व वाले विपक्ष का दूसरा सबसे बड़ा सहयोगी है, जबकि सत्तारूढ़ माकपा के नेतृत्व वाले वामपंथ में इंडियन नेशनल लीग और नेशनल सेक्युलर कॉन्फ्रेंस है, जिसमें एक-एक विधायक हैं और 3 मुस्लिम विधायक हैं जिन्होंने वामपंथियों के निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में जीत हासिल की है.
नाम न छापने की शर्त पर एक मीडिया आलोचक ने कहा कि यह अब एक प्रथा बन गई है जिसे वामपंथी भी मुस्लिम उम्मीदवारों को मैदान में उतार रहे हैं. एक आलोचक ने कहा, 'चुनाव का मतलब वोट है और रणनीति इसे हासिल करने की है, क्योंकि आज कोई भी राजनीतिक मोर्चा चीजों को हल्के में नहीं ले सकता है और इसलिए यह तुष्टीकरण की राजनीति है. यह सभी के लिए जीत की स्थिति है.'
Don't Miss
वीडियो
IPL 2024
मनोरंजन
-
Kajol Workout Routine: 49 की उर्म में ऐसे इतनी फिट रहती हैं काजोल, शेयर किया अपना जिम रुटीन
-
Viral Photos: निसा देवगन के साथ पार्टी करते दिखे अक्षय कुमार के बेटे आरव, साथ तस्वीरें हुईं वायरल
-
Moushumi Chatterjee Birthday: आखिर क्यों करियर से पहले मौसमी चटर्जी ने लिया शादी करने का फैसला? 15 साल की उम्र में बनी बालिका वधु
धर्म-कर्म
-
Vikat Sanakashti Chaturthi 2024: विकट संकष्टी चतुर्थी व्रत कब? बस इस मूहूर्त में करें गणेश जी की पूजा, जानें डेट
-
Shukra Gochar 2024: शुक्र ने किया मेष राशि में गोचर, यहां जानें किस राशि वालों पर पड़ेगा क्या प्रभाव
-
Buddha Purnima 2024: कब है बुद्ध पूर्णिमा, वैशाख मास में कैसे मनाया जाएगा ये उत्सव
-
Shani Shash Rajyog 2024: 30 साल बाद आज शनि बना रहे हैं शश राजयोग, इन 3 राशियों की खुलेगी लॉटरी