केरल सरकार ने अनुशासनहीनता के आरोपों पर कार्रवाई करते हुए दो आईएएस अधिकारियों को निलंबित कर दिया है. मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन के आदेश पर यह निर्णय लिया गया. निलंबन की कार्रवाई के घेरे में आने वाले अधिकारियों में के गोपालकृष्णन और एन प्रशांत शामिल हैं. दोनों अधिकारियों के खिलाफ अलग-अलग मामले उठे थे, जो सोशल मीडिया पर चर्चाओं का विषय बने थे. आइए जानते हैं इन मामलों के बारे में विस्तार से.
के गोपालकृष्णन और धार्मिक व्हाट्सऐप ग्रुप का विवाद
के गोपालकृष्णन पर आरोप है कि उन्होंने एक धार्मिक व्हाट्सऐप ग्रुप चलाया था, जिसका नाम 'मल्लू हिंदू ऑफिसर्स' था. यह ग्रुप सोशल मीडिया पर चर्चा का केंद्र बन गया, और इसके कारण सवाल उठने लगे कि क्या गोपालकृष्णन ने प्रशासनिक कर्तव्यों को निभाते हुए इस तरह का ग्रुप चलाना उचित किया. गोपालकृष्णन का दावा है कि उनका फोन हैक किया गया था, लेकिन फॉरेंसिक जांच में यह साबित नहीं हुआ. फोन को फॉर्मेट किया गया था, जिसके कारण हैकिंग का दावा गलत साबित हुआ. इस मामले को गंभीरता से लेते हुए सरकार ने गोपालकृष्णन के खिलाफ कार्रवाई की और उन्हें निलंबित कर दिया.
'कलेक्टर ब्रो' एन प्रशांत पर कार्रवाई
वहीं, 'कलेक्टर ब्रो' के नाम से मशहूर एन प्रशांत पर भी कार्रवाई की गई है. वे वर्तमान में कृषि विकास और किसान कल्याण विभाग में विशेष सचिव के पद पर तैनात थे. प्रशांत पर आरोप है कि उन्होंने अपने सीनियर, अतिरिक्त मुख्य सचिव ए जयतिलक के खिलाफ विवादित टिप्पणियां की थीं. सोशल मीडिया पर उन्होंने जयतिलक पर गलत खबरें फैलाने का आरोप लगाते हुए उन्हें 'साइकोपैथ' करार दिया था. सरकार ने इस मामले को गंभीरता से लिया और प्रशांत को सस्पेंड कर दिया.
प्रशांत का बचाव और राजनीतिक पहलू
प्रशांत ने अपने सस्पेंशन की खबर मिलने के बाद इसका विरोध किया. उन्होंने कहा कि संविधान ने हर नागरिक को आलोचना का अधिकार दिया है, और उनके आलोचना का उद्देश्य सरकार की नीतियों पर सवाल उठाना नहीं था, बल्कि गलत प्रवृत्तियों का विरोध करना था. प्रशांत ने खुद को एक 'विसलब्लोअर' बताया और यह भी कहा कि वे अपनी आलोचनाओं के जरिए व्यवस्था में सुधार लाना चाहते थे. हालांकि, उनकी टिप्पणियों पर विवाद उठने के बाद विपक्षी दलों ने भी इस कार्रवाई पर प्रतिक्रिया दी और इसे राजनीतिक दृष्टिकोण से भी देखा.
मंत्री की चेतावनी और विपक्ष की प्रतिक्रिया
केरल के राजस्व मंत्री के राजन ने पहले ही राज्य के सभी अधिकारियों को चेतावनी दी थी कि किसी भी अधिकारी की अनुशासनहीनता बर्दाश्त नहीं की जाएगी. उन्होंने कहा था कि अधिकारी तैनाती के दौरान अनुशासन का पालन करें. इस मामले को लेकर विपक्ष ने भी प्रतिक्रिया दी और इसे राजनीतिक कारणों से जोड़ा. विपक्ष का कहना है कि सत्ताधारी सरकार ने राजनीतिक कारणों से प्रशांत के खिलाफ यह कदम उठाया है.