चैंपियंस ट्रॉफी के सेमीफाइनल में मंगलवार को ऑस्ट्रेलिया और भारत का मुकाबला हुआ. मुकाबले में भारत ने ऑस्ट्रेलिया को मात दे दी है. चूंकि भारत ने फाइनल जीत लिया है, इसलिए फाइनल भी अब पाकिस्तान की बजाए दुबई में ही खेला जाएगा. पाकिस्तान के लिए ये स्थिति शर्मनाक हो गई है. पाकिस्तान चैंपियंस ट्रॉफी का होस्ट है. होस्ट होने के बाद भी पाकिस्तान न तो सेमीफाइनल तक पहुंच पाया और न ही फाइनल का मैच पाकिस्तान में करवा पाया.
भारत ने टूर्नामेंट शुरू होने से पहले ही साफ कर दिया था कि ट्रॉफी कोई भी भी होस्ट करे लेकिन भारत पाकिस्तान में कोई भी मैच नहीं खेलेगा. इसी वजह भारत के सभी मुकाबले दुबई में कराए जा रहे हैं. भारत ने फाइनल में जगह बना ली है. इसलिए फाइनल भी दुबई में हो जाएगा. पाकिस्तान इस वजह से मजाक का पात्र बनकर रह गया है.
आईसीसी में धौंस जमाता है भारत
पाकिस्तान के पत्रकार कमर चीमा ने कहा कि भारत ने कहा था कि अब पाकिस्तान नहीं जाएंगे. भारत ने आईसीसी पर दबाव बनाया. अब तो जय शाह आईसीसी के अध्यक्ष बन गए हैं. पूरी दुनिया जानती है कि भारत का क्रिकेट पर बहुत प्रभाव है. भारत आईसीसी को बहुत पैसा देता है. आईसीसी में भारत का धौंस है. चीमा ने कहा कि, भारत ने क्रिकेट को प्राथमिकता दी है. भारत का आईपीएल अब एक बहुत बड़ी चीज बन गई है.
चीमा ने कहा कि भारत ने फाइनल करवाकर यूएई पर भी एहसान कर दिया है. भारत कहेगा कि हमने आपके यहां फाइनल करवाया है. इससे आपके देश को करोड़ों का फायदा हो रहा है. भारत इन चीजों से अपना हित साध लेगा.
11 खिलाड़ी नहीं मिल पा रहे
चीमा ने आगे कहा कि पाकिस्तान सिर्फ स्टेडियम पर स्टेडियम बना रही है. टीम मैच एक भी नहीं जीत पाती. पाकिस्तान की आबादी 25 करोड़ की है और हमें 11 खिलाड़ी नहीं मिल पा रहे हैं. 30 साल बाद पाकिस्तान को कोई बड़ा टूर्नामेंट मिला लेकिन यहां की राजनीति इतनी है कि फाइनल भी दूसरे मुल्क में हो रहा है.
सड़क पर कपड़ा बिछाकर नमाज पढ़ने बैठ जाते हैं
कमर चीमा ने कहा कि हमारे टीम के खिलाड़ी वो हैं, जिन्हें पांच साल पहले उनकी गली वाले भी नहीं जानते थे. बाद में उन्हें सुविधाएं मिल जाती हैं. एड मिल जाते हैं. मोटी कमाईयां शुरू हो जाती है. हमारी टीम के खिलाड़ी न ढंग से इंग्लिश बोल पाते हैं और न ही उर्दू. ये लोग सिर्फ सड़क पर कपड़ा बिछाकर नमाज पढ़ना शुरू कर देते हैं. न्यूयॉर्क के बीच बाजार में इन्हें नमाज पढ़ना होता है. ये दुनिया को दिखाते हैं कि हम कितना ज्यादा धार्मिक हैं. ये गलत है.