Year Ender Review 2016: सिंधु के सुनहरे सफर का गवाह बना साल 2016
भारतीय बैडमिंटन के लिए साल 2016 इतिहास में नए पन्ने लिखकर गया और बैडमिंटन ने भारत में लोकप्रियता की नई इबारत लिखी
नई दिल्ली:
भारतीय बैडमिंटन के लिए 2016 का साल इतिहास के पन्नों में लिखा गया और बैडमिंटन ने भारत में लोकप्रियता की नई इबारत लिखी। साल 2016 को मिला बैडमिंटन का एक नया सितारा 'पीवी सिंधु'।
रियो ओलंपिक में भारत की नयी सनसनी पीवी सिंधु ने सिल्वर मेडल जीतकर नया इतिहास रच दिया। भारतीय बैडमिंटन को विश्व स्तर पर नई चमक देने वाली सबसे सफल भारतीय महिला खिलाड़ी सायना नेहवाल जब अपने सबसे बुरे वर्ष से गुजरीं तो सिंधु ने आगे आकर भारतीय ध्वज को थामा और उसे विश्व में नई ऊंचाइयों पर लहराया।
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सिल्वर मेडल जीतने वाली भारत की पहली महिला
सिंधु ओलम्पिक में सिल्वर पदक जीतने वाली भारत की पहली महिला बनीं। ओलंपिक में सिंधु का फाइनल मैच देखने लायक रहा। फाइनल में सिंधु का मुकाबला में सर्वोच्च वरीयता प्राप्त स्पेन की कैरोलीना मारिन के साथ था। ओलंपिक फाइनल का यह मैच रोमांच को अपने चरम पर ले गया।
क्रिकेट को धर्म मानने वाला यह देश पहली बार किसी अन्य खेल के लिए सड़कें सूनी हो गईं और बैडमिंटन को ना देखने वाले भी एक टकटकी लगाए सिंधु को सोने के लिए लड़ता देखते रहे।
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कैरोलीना मारिन से मिली हार
फाइनल में सर्वोच्च विश्व वरीयता प्राप्त स्पेन की कैरोलीना मारिन के हाथों संघर्षपूर्ण मैच हारने से पहले सिंधु ने लावा सारोकी, मिशेल ली, वांग यिहान, नोजोमी ओकुहारा जैसी दिग्गज और अलग-अलग शैली की खिलाड़ियों को धूल चटाई।
पूरा साल रहा सिंधु के नाम
पीवी सिंधु ने भारतीय खेल प्रेमियों को निराश नहीं किया और पूरे साल शानदार प्रदर्शन करते हुए एक के बाद एक कई खिताब जीते। सिंधु ने साल का आगाज ही खिताब के साथ किया। उन्होंने जनवरी में हुए मलेशियन मास्टर्स का खिताब 2013 के बाद दोबारा जीता।
ओलंपिक की जीत ने सिंधु के हौसलों को और भी बुलंद कर दिया। जिसका नतीजा यह रहा कि सिंधु ने चाइना ओपन जीतकर अपने नाम पहला सुपर सीरीज खिताब किया। जिसके बाद सिन्धु ने हॉन्ग कॉन्ग ओपन के फाइनल तक का सफर तय किया। वहीं पहली बार साल के आखिरी मेजर टूर्नामेंट वर्ल्ड सुपर सीरीज फाइनल्स के लिए भी क्वालिफाई करने में सफल रहीं।
साइना ने साल की शुरुआत तो अच्छी की थी और आस्ट्रेलियन सुपर सीरीज खिताब जीता, लेकिन चोट के कारण उन्हें साल का काफी हिस्सा कोर्ट से दूर रहना पड़ा। सायना के घुटने की चोट ने उनके अभियान को बड़ा झटका दिया।
जिसका असर ओलंपिक में देखन को मिला। ओलंपिक के बाद उन्होंने घुटने की सर्जरी करानी पड़ी। ऑपरेशन के बाद सायना कोर्ट पर तो लौट चुकी हैं, लेकिन भारतीय खेल प्रेमियों को अभी उनके पूरी तरह लय में लौटने का इंतजार है।
वहीं पुरुष खिलाड़ियों में सौरभ वर्मा इस साल भारतीय बैडमिंटन में उभर कर सामने आए हैं। उन्होंने सभी को हैरान करते हुए चीनी ताइपे टूर्नामेंट का खिताब अपने नाम किया। वह इस साल तीन अंतर्राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं के फाइनल में पहुंचे।
किदाम्बी श्रीकांत से रियो में सभी को पदक की उम्मीद थी। श्रीकांत रियो से पदक तो नहीं ला सके, लेकिन उनके आक्रामक खेल ने जरूर बैडमिंटन प्रेमियों की उनसे उम्मीद बढ़ा दी है।
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