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Year Ender 2018: भारतीय खेल जगत में पृथ्वी शॉ, हिमा दास समेत इन युवाओं ने बिखेरी उम्मीदों की रोशनी, भारत का नाम किया रोशन

साल-2018 जैसे ही आया इसने कुछ ऐसे युवा खिलाड़ियों से इस देश को परिचित कराया, जो पूरे साल भर चर्चा में रहे और अपने शानदार प्रदर्शन से देश का नाम रौशन करते रहे.

Updated on: 26 Dec 2018, 10:00 PM

नई दिल्ली:

साल-2018 जैसे ही आया इसने कुछ ऐसे युवा खिलाड़ियों से इस देश को परिचित कराया, जो पूरे साल भर चर्चा में रहे और अपने शानदार प्रदर्शन से देश का नाम रौशन करते रहे.  इन्हीं युवा खिलाड़ियों में शामिल हैं पृथ्वी शॉ, शुभांकर शर्मा, सौरभ चौधरी, मनु भाकेर, हिमा दास. यह कुछ ऐसे नाम हैं जिन्होंने इस साल लगातार अच्छा प्रदर्शन कर न सिर्फ इतिहास रचा बल्कि अपने-अपने खेलों में देश के सुरक्षित भविष्य का भरोसा भी दिया. 

पहले ही टेस्ट में शतक लगाकर चमके 

पृथ्वी शॉ 

पृथ्वी शॉ वो खिलाड़ी हैं, जिसका नाम पूरा देश बहुत छोटी सी उम्र से सुन रहा था. शॉ के अंतर्राष्ट्रीय पटल पर दस्तक देने का इंतजार सबको था. इस साल वह भारत की टेस्ट टीम का हिस्सा बने और अक्टूबर में वेस्टइंडीज के खिलाफ खेली गई टेस्ट सीरीज में पदार्पण मैच में ही शतक जड़ दिया. पृथ्वी का राष्ट्रीय टीम में आना तय माना जा रहा था. इसका कारण न्यूजीलैंड में खेला गया अंडर-19 विश्व कप था. विश्व कप के बाद पृथ्वी ने इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) में दिल्ली डेयरडेविल्स की ओर से खेलते हुए जिस अंदाज में बल्लेबाजी की थी उससे उनका दावा और पुख्ता हो गया था.

भारत की युवा टीम ने पृथ्वी के नेतृत्व में ही फाइनल में आस्ट्रेलिया को मात दे आईसीसी अंडर-19 विश्व कप का खिताब अपने नाम किया. यहीं से कयास थे कि पृथ्वी जल्द ही राष्ट्रीय टीम में दस्तक देंगे. हुआ भी ऐसा ही. अक्टूबर में चयनकर्ताओं ने इस युवा खिलाड़ी को मौका दिया. मुंबई के रहने वाले पृथ्वी ने इस मौके का फायदा उठाया और पहले मैच में ही 134 रनों की पारी खेली. 

पृथ्वी हालांकि इस साल का अंत अच्छे से नहीं कर पाए और आस्ट्रेलिया दौरे पर खेले गए अभ्यास मैच में चोटिल हो कर आस्ट्रेलिया के खिलाफ खेली जा रही चार मैचों की टेस्ट सीरीज से बाहर हो गए. 

उस अंडर-19 विश्व कप की जीत ने सिर्फ पृथ्वी को ही नहीं बल्कि, मनजोत कालरा, शुभमन गिल जैसे युवाओं को भी चर्चा में ला दिया.

असम से निकलकर दुनिया में छा गईं हिमा

क्रिकेट से इतर अगर युवा खिलाड़ियों की बात की जाए तो हिमा दास का नाम सबसे पहले जहन में आता है. हिमा ने इस साल जुलाई में विश्व अंडर-20 चैम्पियनशिप की महिलाओं की 400 मीटर स्पर्धा में स्वर्ण पदक जीतकर एकाएक देश में अपनी हवा बना दी. इससे पहले वह हालांकि आस्ट्रेलिया के गोल्ड कोस्ट में आयोजित राष्ट्रमंडल खेलों में 400 मीटर और चार गुणा 400 मीटर रिले में हिस्सा ले चुकी थीं, लेकिन अंडर-20 विश्व चैम्पियनशिप की सफलता से वह इतिहास के पन्नों में आ गई थीं. 

वह इस टूर्नामेंट में स्वर्ण पदक जीतने वाली भारत की पहली महिला खिलाड़ी बनी. हिमा यहीं नहीं रुकीं. अगस्त में इंडोनेशिया के जकार्ता में खेले गए एशियाई खेलों में वह उस भारतीय टीम का हिस्सा थीं जिसने चार गुणा 400 मीटर स्पर्धा में स्वर्ण पदक हासिल किया. हिमा के साथ इस टीम में एम.आर. पूवम्मा, सरिता गायकवाड़ और वी.के. विस्मय शामिल थीं. 

18 साल की असम की रहने वाली हिमा के लिए हालांकि इस साल सब कुछ अच्छा नहीं रहा. हिमा से एशियाई खेलों में महिलाओं की 400 मीटर स्पर्धा में भी जीत की उम्मीद थी, लेकिन वह इस रेस में फाउल कर बैठीं और ढींग एक्सप्रेस के नाम से मशहूर यह खिलाड़ी एक और स्वर्ण अपने नाम नहीं लिखा सकी. उन्होंने एशियाई खेलों में चार गुणा 400 मीटर मिश्रित टीम रिले में रजत पदक अपने नाम किया. अपने प्रदर्शन से हिमा ने ओलम्पिक की आस जगा दी है. 

भारतीय निशानेबाजी की चमकदार सितारा हैं मनु

युवा खिलाड़ियों की सूची में एक नाम इस साल बहुत तेजी से उभरा. वह नाम था हरियाणा की महिला निशानेबाज मनु भाकेर. मनु ने साल की शुरुआत मैक्सिको में खेले गए आईएसएसएफ वर्ल्ड कप में दो स्वर्ण पदक जीत सनसनी मचा दी थी. उन्होंने 10 मीटर एयर पिस्टल स्पर्धा और 10 मीटर मिश्रित टीम स्पर्धा में स्वर्ण पदक जीता. 

मनु का अभियान नहीं रूका. उन्होंने अपनी सफलता को अप्रैल में राष्ट्रमंडल खेलों में भी जारी रखा. मनु ने यहां एक और पीला तमगा हासिल किया. इस विश्व कप में मनु के अलावा कुछ और नाम निकल कर आए जिनमें अनिश भानवाल, मेहुली घोष, ओम मिथरवाल प्रमुख हैं. इन सभी ने राष्ट्रमंडल खेलों में पदक जीत छोटी उम्र में ही बड़ी कामयाबी हासिल की. 

मनु का विजयी अभियान अंतत: एशियाई खेलों में विफल हो गया. यहां मनु खाली हाथ लौटीं, लेकिन एक और युवा निशानेबाज मेरठ के रहने वाले सौरभ चौधरी ने यहां बाजी मारी. 

मेरठ के सौरव चौधरी प्रसिद्धि के आसमान पर

सौरभ की खासियत यह रही कि यह युवा खिलाड़ी साल के अंत तक अपने प्रदर्शन में निरंतरता कायम रखा सका. सौरभ ने एशियाई खेलों से 10 मीटर एयर पिस्टल स्पर्धा में सोने पर सफल निशान लगाया. वह एशियाई खेलों में सबसे कम उम्र में स्वर्ण पदक जीतने वाले खिलाड़ी बने थे. सौरभ यहीं नहीं रूके. इसके बाद उन्होंने कई जूनियर स्पर्धाओं में सोने का तमगा हासिल किया. 

एशियाई खेलों की सफलता के बाद कोई बड़ा मंच सौरभ के सामने आया तो वह था यूथ ओलम्पिक. जाट परिवार से आने वाले इस युवा ने यहां भी अपने अभियान को जारी रखा और सोना जीता. इस जीत ने सौरभ का नाम एक बार और इतिहास में लिखवा दिया था. वह यूथ ओलम्पिक में स्वर्ण पदक जीतने वाले भारत के पहले निशानेबाज बने. 

गोल्फर शुभांकर ने कम उम्र में दिखाई चमक

गोल्फ ऐसा खेल है जहां भारत का नाम बहुत आगे नहीं है, लेकिन इस साल शुभांकर शर्मा ने अपने प्रदर्शन से लगातार सुर्खियां बटोरीं और साल का अंत बेहद सुखद अहसास के साथ किया. 

शुभांकर ने इसकी झलक हालांकि बीते साल 2017 में ही दे दी थी जब उन्होंने जोबर्ग ओपन का खिताब जीत ब्रिटिश ओपन जैसे टूर्नामेंट के लिए क्वालीफाई कर लिया था. इसी साल फरवरी ने चंडीगढ़ के इस युवा ने मैबैंक चैम्पियनशिप अपने नाम की. मैक्सिको चैम्पियनशिप में भी उन्होंने अपने खेल को अगले स्तर पर पहुंचाया. 

अपने शानदार प्रदर्शन को शुभांकर ने लगातार जारी रखा और इसी का नतीजा रहा कि वह यूरोपियन टूर के 'रौकी ऑफ द ईयर'अवार्ड लेने में सफल रहे. शुभांकर की सफलता यहीं नहीं रुकी. साल के अंत में उन्होंने एक और बड़ा अवार्ड हासिल किया. शुभांकर ने साल-2018 का अंत उन्होंने एशियन टूर में नंबर-1 खिलाड़ी के रहते हुए किया. 

एशियन टूर ऑर्डर ऑफ मेरिट में पहला स्थान हासिल करना बताता है कि शुभांकर लगातार बड़े मंच पर बेहतरीन खेल खेलते आए हैं. 

भारतीय बैडमिंटन जगत में उभरा एक नया सितारा

बैडमिंटन एक ऐसा खेल रहा जहां सायना नेहवाल और पी.वी. सिंधु के बाद कोई ऐसा खिलाड़ी निकल कर नहीं आ सका जिसमें भविष्य की उम्मीदों का भार उठाने की काबिलियत दिख सके. महिला खिलाड़ियों में तो नहीं लेकिन पुरुष खिलाड़ियों की भीड़ में लक्ष्य सेन एक ऐसे खिलाड़ी बनकर जरूर उभरे जो भारतीय बैडमिंटन को नए आयाम तक ले जा सकते हैं. 

लक्ष्य ने अर्जेटीना में खेले गए यूथ ओलम्पिक में एकल वर्ग में रजत पदक जीत कर एक नई उम्मीद इस देश को दी. उनकी सफलता विश्व जूनियर चैम्पिनयशिप में भी जारी रही जहां उनके हिस्से कांस्य पदक आया. 

इन दो बड़े टूर्नामेंट के अलावा लक्ष्य ने एशियन जूनियर चैम्पियनशिप में स्वर्ण भी जीता. 

कबड्डी मैट पर दिग्गजों पर भारी पड़े नवीन

एशियाई खेलों में कबड्डी टीम की हार ने बेशक इस देश को मायूस किया हो, लेकिन इस खेल से हर साल की तरह इस साल भी कई युवा खिलाड़ियों ने अपनी छाप छोड़ी. इन नामों में सबसे प्रमुख और बड़ा नाम है नवीन गोयत. नवीन इस समय प्रो कबड्डी लीग (पीकेएल) के छठे सीजन में दबंग दिल्ली से खेल रहे हैं. दिल्ली ने इस साल पीकेएल में शानदार प्रदर्शन किया और जिसमें नवीन का योगदान अतुलनीय रहा है और 18 साल के इस खिलाड़ी ने पहले ही सीजन में धमाल करते हुए 100 से अधिक रेड अंक बटोरे हैं.